लोहरदगा / लोहरदग्गा Lohardaga ᱞᱚᱦᱚᱨᱫᱟᱜᱟ | |
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निर्देशांक: 23°26′N 84°41′E / 23.43°N 84.68°Eनिर्देशांक: 23°26′N 84°41′E / 23.43°N 84.68°E | |
देश | भारत |
प्रान्त | झारखण्ड |
ज़िला | लोहरदगा ज़िला |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 57,411 |
भाषाएँ | |
• प्रचलित | हिन्दी |
समय मण्डल | भामस (यूटीसी+5:30) |
वेबसाइट | lohardaga.nic.in |
लोहरदगा (Lohardaga) या लोहरदग्गा भारत के झारखण्ड राज्य के लोहरदगा ज़िले में स्थित एक शहर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है।[1][2] लोहरदगा जिला में आपका स्वागत है । इसका मुख्यालय लोहरदगा है ।
ऐतिहासिक तथ्य लोहरदगा शहर के बीचों बीच विक्टोरिया तालाब की। इस तालाब का निर्माण कैदियों ने किया था।महारानी विक्टोरिया का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज करने और हमेशा जिंदा रखने के लिए इस तालाब की खुदाई कराई गई थी। लगभग 22 एकड़ भूमि में अंग्रेजी हुकूमत ने कैदियों से इस तालाब का निर्माण कराया था। यह बात 1857 से लेकर 1881 के बीच की है। अंग्रेजी हुकूमत के दृष्टिकोण से लोहरदगा का इतिहास और विक्टोरिया तालाब की पहचान काफी पुरानी है। परतंत्र भारत में लोहरदगा सामरिक गतिविधि का केंद्र था। तभी तो अंग्रेजों ने 1833 में साउथ वेस्ट फ्रंटियर एजेंसी का प्रशासकीय इकाई का मुख्य मुख्यालय लोहरदगा को बनाया था। 1857 में भी छोटानागपुर कमिश्नरी का प्रमुख नगर था। 1881 तक आर्मी का नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर पोस्ट का मुख्यालय रहा। ब्रिटिश हुकूमत ने इसे अपनी महारानी के सम्मान में इसका नामकरण विक्टोरिया कर दिया। इसलिए लोग इसे विक्टोरिया तालाब भी कहते हैं।
लोहरदगा वनाच्छादित पहाड़ों, झरनों, ऐतिहासिक धरोहरों और प्रकृति के अनमोल उपहारों से सजा लोहरदगा झारखंड में स्थित है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि पहले यह लोहा गलाने का बड़ा केन्द्र था। इसलिए इसका नाम लोहरदगा रखा गया था। इसके पीछे उनका तर्क है कि लोहरदगा दो शब्दों लोहार और दग्गा से मिलकर बना है। लोहार का अर्थ होता है लोहे का व्यापारी और दग्गा का अर्थ होता है केन्द्र।
जैन पुराणों के अनुसार भगवान महावीर ने लोहरदगा की यात्रा की थी। जहां पर भगवान महावीर रूके थे उस स्थान को लोर-ए-यादगा के नाम से जाना जाता है। लोहरदगा का इतिहास काफी गौरवशाली है। इसके राजाओं ने यहां पर अनेक किलों और मन्दिरों का निर्माण कराया था। इनमें कोराम्बे, भान्द्रा और खुखरा-भाकसो के मन्दिर और किले प्रमुख हैं।
लोहरदगा की रीति-रिवाज और संस्कृति बहुत रंग-बिरंगी और अनूठी हैं। इसके रीति-रिवाजों के अनुसार लड़के की पहली शादी महुआ के वृक्ष के साथ और लड़की की पहली शादी आम के पेड़ के साथा कराई जाती है। इस रिवाज के संबंध के स्थानीय निवासियों का कहना है कि जिन वृक्षों से उनकी शादी कराई जाती है वह उन वृक्षों की जीवन पर्यन्त देखभाल करेंगे।
लोहरदगा के सेन्हा प्रखण्ड में धरधारिया जलप्रपात स्थित है। इसके आस-पास का नजारा भी काफी खूबसूरत है जो पर्यटकों को बहुत पसंद आता है। झारखंड सरकार के अनुसार यहां पर पर्यटन उद्योग में असीमित संभावनाएं हैं। अत: सरकार वहां पर पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए नई परियोजनाओं को शुरू कर रही है।
लावापानी जलप्रपात
लोहरदगा जिले के पेशरार प्रखंड में स्थित लावापानी जलप्रपात अपनी मनमोहक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। यह जलप्रपात सात सीढ़ियों में बहते हुए लावा जैसा प्रतीत होता है, जो दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। जिला मुख्यालय से 37 किलोमीटर दूर स्थित यह जलप्रपात प्राकृतिक सुंदरता का खजाना है। हसीन वादियों से घिरा यह क्षेत्र पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। नव वर्ष के अवसर पर लावापानी जलप्रपात विशेष रूप से लोकप्रिय होता है, जब भारी संख्या में लोग यहां उत्सव मनाने के लिए आते हैं। यहां आगंतुक प्रकृति की गोद में शांत वातावरण का आनंद ले सकते हैं, घंटों टहल सकते हैं और प्राकृतिक दृश्यों का आनंद ले सकते हैं।[3]
धरधारिया जलप्रपात देखने के बाद पर्यटक महादेव मंडा घूमने जा सकते हैं। यह प्राकृतिक रूप से बहुत खूबसूरत है। अत्यंत खूबसूरत होने के बावजूद इसे अभी तक वह स्थान नहीं मिल पाया है जो इसे मिलना चाहिए था। महादेव मंडा के पास ही कंडरा और कोराम्बे घूमने जाया जा सकता है। यह दोनों पर्यटक स्थल महादेव मंडा की भांति ही खूबसूरत हैं और मंडा की अपेक्षा यहां पर पर्यटकों के लिए ज्यादा सुविधाएं हैं।
यह एक मुख्य आदिवासी पर्व है।
बिरसा मुंडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा लोहरदगा के पास स्थित है। हवाई अड्डे से बसों व टैक्सियों द्वारा लोहरदगा तक पहुंचा जा सकता है।
लोहरदगा मीटर गेज रेलवे लाईन द्वारा रांची से जुड़ा हुआ है।
रांची और राउरकेला राज्य-राजमार्ग से पर्यटक आसानी से लोहरदगा तक पहुंच सकते हैं।
2011 में, लोहरदगा की जनसंख्या 461,790 थी, जिसमें पुरुष और महिलाएं क्रमशः 232,629 और 229,161 थीं। 2024 में लोहरदगा जिले की अनुमानित जनसंख्या 595,000 है | [4]