शमशाद बेगम एक भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता है, जिसे छत्तीसगढ़ के पिछड़े वर्गों की शिक्षा के लिए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों में शिक्षा के लिए जाना जाता है।[1] उन्हें भारत सरकार द्वारा २०१२ में, पद्म श्री के चौथे उच्चतम भारतीय नागरिक पुरस्कार के साथ सम्मानित किया गया था।[2]
शमशाद बेगम का जन्म भारतीय राज्य छत्तीसगढ़ में बालोद जिले में हुआ था। उन्होंने भारत सरकार के दुवारा चलाए राष्ट्रीय साक्षरता मिशन कार्यक्रम में हिस्सा लिया और यह बताया गया है कि १९९५ में गंदरदेही में मिशन गतिविधियों को शुरू करने के छह महीने के भीतर, बेगम और उनके सहयोगियों ने १२२६९ महिलाओं को साक्षर बनाने में सक्षम बनाया, कुल १८२६५ अशिक्षित महिलाओं में से।[3]
शमसाद बेगम जनकलेन समिति के साथ जुडी हुए हैं जो एक सामाजिक कल्याण समूह, महिलाओं और बच्चों की शिक्षा और कल्याण गतिविधियों में शामिल है।
शमसाद बेगम को २०१२ में भारत सरकार ने पद्म श्री के पुरस्कार से सम्मानित किया था।[4]