व्यक्तिगत जानकारी | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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पूरा नाम | शेन रॉबर्ट वॉटसन | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
उपनाम | वॉट्टो | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
कद | 1.83 मी॰ (6 फीट 0 इंच) | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
बल्लेबाजी की शैली | दायें हाथ | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
गेंदबाजी की शैली | दायें हाथ तेज-मध्यम | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
भूमिका | बल्लेबाजी हरफनमौला | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
अंतर्राष्ट्रीय जानकारी | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
राष्ट्रीय पक्ष | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
टेस्ट में पदार्पण (कैप 391) | 2 जनवरी 2005 बनाम पाकिस्तान | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
अंतिम टेस्ट | 14 जनवरी 2010 बनाम पाकिस्तान | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
वनडे पदार्पण (कैप 148) | 24 March 2002 बनाम दक्षिण अफ्रीका | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
अंतिम एक दिवसीय | 8 नवम्बर 2009 बनाम भारत | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
एक दिवसीय शर्ट स॰ | 33 | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
घरेलू टीम की जानकारी | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
वर्ष | टीम | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
2001–2004 | तस्मानिया टाइगर्स | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
2004–2009 | क्वींसलैंड बुल्स | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
2005 | हैम्पशायर | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
2008– | राजस्थान रोयल्स | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
2009– | न्यू साउथ वेल्स ब्लूज़ | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
कैरियर के आँकड़े | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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स्रोत : CricketArchive, 20 दिसम्बर 2009 |
शेन वॉटसन रॉबर्ट (जन्म 17 जून 1981 को इप्सविच, क्वींसलैंड में) एक ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट खिलाड़ी हैं। वे दाएँ हाथ के बल्लेबाज और दाएँ हाथ के मध्यम तेज गेंदबाज हैं। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में मुख्यतः सलामी बल्लेबाज के रूप में बल्लेबाजी करते हैं, हालांकि घरेलू मैचों में वे सलामी बल्लेबाजी करते कम ही नज़र आते हैं।
उन्होंनें आस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम के साथ अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत 2002 में अपना पहला एकदिवदसीय मैच दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेलते हुए की. एकदिवसीय टीम के स्थायी सदस्य होने के बावजूद, उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की ओर से बहुत कम टेस्ट मैच खेले हैं, टेस्ट क्रिकेट में उनका पर्दापण जनवरी 2005 को सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में पाकिस्तान के विरुद्ध हुआ। ऑस्ट्रेलिया के नामित टेस्ट हरफनमौला खिलाड़ी के रूप में मनोनीत किए जाने के वाबजूद, अक्सर चोटिल रहने के कारण वे टेस्ट टीम में अपनी जगह पक्की नहीं कर पाते थे। हालांकि, 2009 की दूसरी छमाही से, वॉटसन ने टेस्ट क्रिकेट में औस्ट्रेलियाई सलामी बल्लेबाज के रूप में साइमन कैटिच के साथ बल्लेबाजी करना प्रारंभ किया। वॉटसन को 2010 में एलन बार्डर मेडल से सम्मानित किया गया।
वॉटसन की पत्नी ली फॉक्स स्पोर्ट्स की ऑस्ट्रेलियाई प्रस्तुतकर्ता है।[1] उन्होंने कई मॉडलिंग शूट किए हैं, जैसे 2009 और 2010[2] मैन ऑफ क्रिकेट कैलेंडर और अल्फा मैगजीन का शूट.
वॉटसन ने अपने प्रथम-श्रेणी क्रिकेट करियर की शुरुआत अपने गृह राज्य क्वींसलैंड को छोड़ने के बाद, तस्मानिया टाइगर्स के साथ की, लेकिन अंतरराष्ट्रीय करियर शुरू करने के बाद वे वापस क्वींसलैंड बुल्स के लिए खेलने लगे. वे इंग्लिश काउंटी चैम्पियनशिप हैम्पशायर के लिए भी खेल चुके हैं। वे टेरी एल्डरमैन को अपना गुरु मानते हैं।
वॉटसन को 2002 में पहली बार तस्मानिया के लिए पूरा कप में सबसे अधिक विकेट लेने और मध्य क्रम में बल्लेबाजी के उनके स्थायी प्रदर्शन को देखते हुए, दक्षिण अफ़्रीका के दौरे के लिए ऑस्ट्रेलिया की टेस्ट टीम में चुना गया। ऑस्ट्रेलिया के कप्तान रह चुके स्टीव वॉ ने अपने कार्यकाल के दौरान कहा था कि वॉटसन 1950 के दशक के कीथ मिलर और एलन डेविडसन के बाद संभवतः पहले वास्तविक ऑलराउंडर बन सकते हैं। वॉटसन ने अपने आदर्श, वॉ के साथ ऑस्ट्रेलियाई टीम में चुने जाने पर बहुत खुश थे। वॉटसन ने अभ्यास मैचों के दौरान अपने पहले मैच में नाबाद शतक बनाया था, लेकिन ऑस्ट्रेलियाई सत्र में दक्षिण अफ्रीका को 3-0 से पराजित करने वाली टीम के ग्यारह सदस्योँ को ही चयनकर्ताओं द्वारा प्राथमिकता दिए जाने के कारण, वे टेस्ट मैचों में नहीँ खेल सके। वॉटसन को इस दौरे में अपने वनडे कैरियर की शुरुआत करने का मौका मिला, जब उन्हें वॉ के स्थान पर खेलने के लिए मैदान में उतारा गया, वॉ को ऑस्ट्रेलियाई सत्र के दौरान वनडे के फाइअनल में टीम के जगह बना पाने में विफल होने के कारण टीम से बाहर रखा गया था। 2003 में पीठ में तीन चोटे लगने से पहले तक वॉटसन वनडे टीम के नियमित सदस्य बन चुके थे, चोट के कारण ही वे 2003 क्रिकेट विश्व कप में नहीँ खेल पाए. उनका स्थान उनके टीम क्वींसलैंड के ही सदस्य एंड्रयू सायमंड्स ने लिया, जिन्होंने प्रतियोगिता के दौरान 143* और 91* की नाबाद पारी खेल कर एक सफल ऑल राउंडर के रूप में स्थापित कर दिया.
वॉटसन अपनी चोट के कारण आस्ट्रेलिया के 2003-04 सत्र से बाहर रहे और अपने पुनर्वास के दौरान, वे अपनी बल्लेबाजी की क्षमता को बेहतर करने लिए सत्र के अधिकांश मैंचों में बल्लेबाज के रूप में खेलते दिखे, उस समय भी उनकी पीठ की चोट ठीक नहीं हुई थी। उस दौरान, उन्होंने अपने क्लब साइड, लिंडिसफ़ार्म के लिए खेलते हुए 300 रनों की जोरदर पारी खेली.
वॉटसन ने 2004-05 सत्र में वनडे में गेंदबाज ऑल राउंडर के रूप में पुनर्वापसी की. ऑस्ट्रेलिया के सिडनी क्रिकेट ग्राउंड की सूखी पिच पर दो स्पिनरों और तीन तेज़ गेंदबाज के साथ उतरने का फैसला करने के कारण, वॉटसन पाकिस्तान के विरूद्ध तीसरे टेस्ट में भी खेले।
2005 में ऑस्ट्रेलिया के ऊपर इंग्लैंड के एशेज़ जीत के बाद, प्रत्युत्तर में ऑस्ट्रेलिया ने वॉटसन पांचवे गेंदबाज़ और सभी टेस्ट के लिए ऑल राउंडर के रूप में शामिल किया। वॉटसन ने इंग्लैंड के एंड्रयू फ्लिंटॉफ की बराबरी करने का दावा किया, जिन्होंने इंग़्लैंड की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस भूमिका के साथ वॉटसन आईसीसी विश्व एकादश के खिलाफ खेले, लेकिन इस भूमिका के साथ खेलते हुए वेस्ट इंडीज़ के विरूद्ध अपने दसरे टेस्ट में डाइव लगाकर गेंद को रोकने का प्रयास करते हुए, अपने कंधे पर चोट लग बैठे. वॉटसन को फिर सायमंड्स द्वारा बदला गया और उसके बाद शेष सत्र में उन्हें ऑस्ट्रेलिया के लिए खेलने का मौका नहीं मिला.
उन्हें दक्षिण अफ्रीका के 2006 के दौरे के लिए एकदिवसीय टीम में पुनः बुलाया गया, लेकिन ऑल-राउंडर एंड्रयू सायमंड्स के चोत से उबरकर वापस आने पर उन्हें फिर से टीम से हटा दिया गया। वॉटसन टेस्ट टीम में अपनी जगह तलाश रहे थे, लेकिन चोटिल हो जाने के कारण, एंड्रयू सायमंड्स को उनके स्थान पर खेलने का मौका मिला.
वॉटसन को अपेक्षाकृत अधिक गेंदबाजी औसत के कारण, अपनी अपेक्षाकृत सपाट गेंदबाजी और गेंद को घुमाने की अक्षमता के लिए आलोचनाएं भी झेलनी पड़ी. तस्मानिया टीम के पूर्व सदस्य और भविष्य के ऒस्ट्रेलियाई चयनकर्ता जॅमी कॉक्स ने महसूस किया कि गेंदबाज़ ऑलराउडर के रूप में वॉटसन का उपयोग गलत है, उनका विश्वास था कि वॉटसन का एक बल्लेबाज़ और आंशिक गेदबाज़ के रूप मे उपयोग किया जाना चाहिए, न कि एक ऐसे गेंदबाज़ के रूप में जो कि पारी के अंत में आकर तेज़ी से रन बटोर सके.
यह परिवर्तन 2006 आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में देखने को मिला, जब वॉटसन को साइमन कैटिच के स्थान पर, विकेट-कीपर एडम गिलक्रिस्ट के साथ पारी की शुरुआत करने के लिए भेजा गया। उस प्रतियोगिता में उन्होंने गेंद और बल्ले दोनों से प्रभावित किया और ऑस्ट्रेलिया ने अपनी पहली चैंपियंस ट्रॉफी जीत दर्ज की. आलोचकों और कप्तान रिकी पोंटिंग को उनके बेहतर स्ट्राइक रेट, सीधे मारने और गेंदबाज़ी की अमता ने प्रभावित किया, जिस कारण कैटिच के स्थान पर वॉटसन को वरीयता दी गई। वेस्ट इंडीज और इंग्लैंड के खिलाफ पहले दो मैचों में असफल होने के बाद, वॉटसन ने भारत के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया की जीत में ५० महत्वपूर्ण रन बनाए, जिसके परिणामस्वरूप ऑस्ट्रेलिया को सेमीफाइनल में प्रवेश मिला और 2009 में दक्षिण अफ्रीका में आयोजित चैंपियंस ट्रॉफी में, वॉटसन ने पुनः प्रमुख भूमिका निभाते हुए, इंग्लैंड और न्यूजीलैंड के खिलाफ सेमीफाइनल और फाइनल में दो लगातर शतक जड़ कर खिताब ऑस्ट्रेलिया के नाम कर दिया।
पोंटिंग ने इंग्लैंड के खिलाफ 2006-07 एशेज श्रृँखला में वॉटसन को नंबर 6 की पोजीशन में खेलाने का सुझाव दिया और उन्हें टीम में शामिल कर लिया गया। हालांकि, टेस्ट के एक सप्ताह पहले एक घरेलू एकदिवसीय मैच के दौरान घुटने के पिचले हिस्से की नस खीच जाने के कारण मैदान छोड़ना पड़ा, जिस कारण उन्हें तीनों टेस्ट में बाहर बैठना पड़ा. माइकल क्लार्क को वॉटसन की जगह बुलाया गया, एक अर्द्ध शतकीय पारी और फ़िर एक शतकीय पारी खेलकर क्लार्क ने टीम में अपनी जगह पक्की कर ली।
वॉटसन के मुक्केबाजी दिवस पर और मेलबोर्न में था एमसीजी में चौथे टेस्ट के लिए फिट हो जाने और डेमियन मार्टिन के अप्रत्याशित सन्यास के बाद खेलने की उम्मीद जगी और ऐसा लगने लगा कि वॉटसन को तीम में शामिल कर लिया जाएगा. हालांकि, क्वींसलैंड के मैच में एक और चोट के कारण वॉटसन को एशेज श्रृंखला के बाकी मैचों में भी बाहर बैठना पड़ा. एकदिवसीय टीम में वॉटसन ने फ़रवरी में, ऑलराउंडर कैमरून व्हाइट के स्थान पर वापसी की, हालंकि पुनः २००७ क्रिकेट विश्व कप में चोटिल हो जाने के कारण, सुपर 8 के अधिकांश मैचों में न्यूजीलैंड के विरूद्ध ३२ गेंदो में ५० रनों की करिश्माई पारी से पहले तक बाहर बैठना पड़ा। चोट ने फिर वॉटसन को परेशान किया और आईसीसी विश्व ट्वेंटी 20 के शुरुआती दौर में घुटने में चोट लगने के कारण वे टूर्नामेंट के अधिकांश मैच नहीं खेल पाए।
उसके बाद वे 2007-08 ऑस्ट्रेलियाई सत्र में बाहर रहे।
साइमंड्स को अनुशासनात्मक कारणों से ऑस्ट्रेलियाई टीम से निकाल दिया गया और वॉटसन 2008 के अंत में भारत के दौरे पर ऑलराउंडर के रूप में गए, वहां उन्होंने 6वें नंबर पर बल्लेबाजी की. दिल्ली में तीसरे टेस्ट केसन की दौरान, वे भारतीय सलामी बल्लेबाज़ गौतम गंभीर के साथ कई विवादों में घिरे रहे, जिन्होंने उस मैच में दोहरा शतक जमाया और अपना शतक वॉटसन की गेंद पर मिडविकेट के ऊपर से छक्का मारकर पूरा किया था। पारी के दौरान, एक रन लेते समय गंभीर ने वॉटसन को कोहनी से टक्कर मारी और एक संवाददाता सम्मेलन में यह दावा किया कि वह जानबूझकर नहीं किया गया था और साथ ही यह भी कहा कि वॉटसन में उन्हें आउट करने की क्षमता नहीं है। उन्हें बाद में दोषी पाया गया और उन पर एक मैच का प्रतिबंध लगा।
ऑस्ट्रेलिया लौटने के बाद, सायमंड्स को टेस्ट टीम में वापस बुलाया गया और दोनों ऑलराउंडर ब्रिस्बेन में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेले। पिच में घास होने और बारिश के कारण नमी आ जाने के कारण, पिच तेज गेंदबाज़ी के लिए मददगार प्रतीत हो रही थी, इसलिए स्पिनर जेसन क्रेज़ा को टीम से हताकर दो तेज़ गेंदबाज़ ऑलराउंडर के साथ खेलने का फ़ैसला लिया गया। ऑस्ट्रेलिया के मैच जीतने के बाद, स्पिनर नाथन हॉरिट्ज़ को वॉटसन की जगह टीम में शामिल किया गया और सायमंड्स टीम में बने रहे. साइमंड्स का खराब प्रदर्शन जारी रहा और उनके स्थान पर वॉटसन की टीम में वापसी तय लग रही थी, लेकिन दोनों ही खिलाड़ी वर्ष के अंत में चोटिल हो गए, वॉटसन बलाघात फ्रैक्चर पीड़ित थे। वॉटसन ने कीसंयुक्त अरब अमीरात में पाकिस्तान के खिलाफ वनडे श्रृंखला में शतक जमाते हुए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वापसी की।
उन्होंने ३० जुलाई 2009 को एजबैस्टन में तीसरे एशेज टेस्ट के लिए फार्म पाने के लिए संघर्ष कर रहे सलामी बल्लेबाज फिलिप ह्यूजेस के स्थान पर ऑस्ट्रेलियाई टीम में वापसी की। वर्षा से बाधित मैच में साइमन कैटिच के साथ बल्लेबाजी करते हुए उन्होंने 62 और 53 रनों की पारी खेली।[3] उन्होंने वेस्ट इंडीज के खिलाफ दिसंबर 2009 को एडिलेड में अपना दूसरा सर्वोच्च स्कोर 96 रन बनाए. उन्होंने और कैटिच ने शतकीय साझेदारी की और दिन का खेल समाप्त होने तक वे 96 पर खेल रहे थे, अगली सुबह की पहली गेंद पर ही शतक पूरा करने की लालसा में गेंद को सीमा पार भेजने का प्रयास किया, लेकिन बल्ले का भीतरी किनारा लेते हुए गेंद हवा में उछल गई। तीसरे टेस्ट में, उन्होंने कैटिच के साथ एक और शतकीय साझेदारी करते हुए 89 रन बनाए।दूसरी पारी में, उन्होंने विपक्षी कप्तान क्रिस गेल को आउट किया और उनके सामने चिल्ला कर खुशी जाहिर करने के कारण उन्हें दंड मिला। इस कारण मैच रेफरी ने उनपर फाइन लगाया और ऑस्ट्रेलिया की जनता ने भी उनकी आलोचना की।
पाकिस्तान के खिलाफ पहले टेस्ट में, उन्होंने 93 रन बनाए, कैटिच के साथ बल्लेबाज़ी करते हुए ऐसा तीसरी बार हुआ जब वॉटसन अपना टेस्ट शतक बनाने से चूके, कैटिच के साथ विकेट के बीच तालमेल बिगड़ने के कारण दोनों खिलाड़ी एक ही ओर भागे और वॉटसन रन आउट हो गए। चौथे दिन, अंततः वॉटसन ने अपना पहला टेस्ट शतक जड़ा. दोपहर के भोजन तक वे ९८ के निजी स्कोर पर खेल रहे थे और यहां तक पहुंचने में उन्हें दोपहर के भोजन के विराम सहित 106 मिनट का समय लगा. दोपहर के भोजन के ब्रेक के बाद वे 99 पर पहुंचे और उसके बाद उन्होंने कई डॉट गेंदों का सामना किया। उन्होंने अपना पहला टेस्ट शतक भी एक खास अंदाज में बनाया, पॉइंट पर खड़े अब्दुर रॉफ़ की ओर उन्होंनें गेंद को जोरदार तरीके से हिट किया, पर भाग्यशाली रहे और रॉफ़ उनका वह कैच लपक नहीं पाएं. गेंद दूर जाकर गिरी और वॉटसन को एक रन बनाने का पर्याप्त मौका मिल गया, जिनकी उन्हें सख्त आवश्यकता थी। उनका शतक 293 मिनट में 186 गेंदों का सामना के बाद पूरा हुआ, जिसमें उनके 9 चौके और एक छक्का शामिल था। जब पोंटिंग ने पारी की घोषणा की, तब वे नाबाद खेल रहे थे, उन्होंने 120 रन बनाए. वॉटसन को ऑस्ट्रेलिया की टेस्ट जीत में उनकी भूमिका के लिए 30 दिसम्बर को मैन ऑफ द मैच से सम्मानित किया गया।
एससीजी में दूसरे टेस्ट की दूसरी पारी में, वॉटसन एक बार फिर शतक बनाने से चूके और 97 के स्कोर पर आउट हो गए। इस टेस्ट के दौरान, ऑस्ट्रेलियाई मीडिया क्रिकेट एसोसिएशन ने वॉटसन को वर्ष के ऑस्ट्रेलिया के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट खिलाड़ी के पुरस्कार से नवाजा.[4]
२०१० के एलन बॉर्डर मेडल पुरस्कार में, उन्होंनें वर्ष का सर्वश्रेष्ठ एक दिवसीय खिलाड़ी का पुरस्कार जीता, वर्ष के सर्वश्रेष्ठ टेस्ट खिलाड़ी के उप विजेता रहे।
ऑस्ट्रेलिया के 2010 के भारत दौरे के पहले टेस्ट में, वॉटसन ने अपने दूसरे टेस्ट शतक के साथ अपना खाता खोला, मोहाली पिच पर 338 गेंदों पर 126 रन बनाए। इस पारी ने दौरे के लिए एक उत्कृष्ट शुरुआत की, क्योंकि उन्होंने अभ्यास मैच की प्रत्येक पारी में एक शतक भी बनाया, हालांकि बहुत तेज गति से। उन्होंने दूसरी पारी में 56 रनों के साथ फिर से शीर्ष स्कोर किया, जो प्रतिस्पर्धी लक्ष्य निर्धारित करने में महत्वपूर्ण साबित हुआ क्योंकि ऑस्ट्रेलिया का मध्य क्रम फिर से शानदार अंदाज में उनके आउट होने के बाद ढह गया।
एक सलामी बल्लेबाज के रूप में इस अवधि के दौरान, उन्होंने 2 कैलेंडर वर्षों (2009-2010) के लिए उच्चतम ऑस्ट्रेलियाई टेस्ट बल्लेबाजी औसत (50.40) का प्रदर्शन किया। [5]
कप्तान के रूप में शेन वॉटसन का रिकॉर्ड | |||||||||
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मैच | जीते | हारे | अनिर्णित | बराबरी पर | कोई परिणाम नही | जीत % | |||
एकदिवसीय [6] | 9 | 5 | 3 | 0 | 1 | 0 | ६१.११% | ||
परीक्षण [7] | 1 | 0 | 1 | 0 | 0 | - | - | ||
टी20ई [8] | 1 | 0 | 1 | 0 | 0 | - | - | ||
अंतिम अद्यतन तिथि: | 31 जनवरी 2016 |
२०१०-२०१३ के दौरान, उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई "प्लेयर ऑफ द ईयर" पुरस्कारों की एक श्रृंखला जीती, [9] जिसमें २०१० [10] और २०११ में एलन बॉर्डर मेडल शामिल हैं [11]
31 जनवरी 2016 को, वॉटसन को T20I कप्तान नामित किया गया था और वह सभी प्रारूपों में कप्तान बनने वाले कुछ ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों में से एक बन गए, उन्होंने एक लंबे अंतराल के बाद पारी की शुरुआत की और नाबाद 124* रन बनाए, जिससे कई रिकॉर्ड बने, जिसमें खेल के तीनों प्रारूपों में शतक बनाने वाले पहले ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज होना भी शामिल था। । [12]
उन्होंने 2016 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया और 2000 के दशक की शुरुआत में ऑस्ट्रेलिया के स्वर्ण युग से संन्यास लेने वाले अंतिम खिलाड़ी बने। [13] [14] [15] उन्हें 23 जनवरी 2017 को ऑस्ट्रेलिया का टी20 इंटरनेशनल प्लेयर ऑफ द ईयर चुना गया। [16]
नवंबर 2019 में, उन्हें ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था। [17]
वॉटसन इंडियन प्रीमियर लीग में राजस्थान रॉयल्स टीम की ओर से पहले 7 संस्करणों मे खेले। 2008 के आईपीएल के पहले संस्करण में उन्होंने करिश्माई प्रदर्शन करते हुए, चार अर्द्धशतकीय पारी के साथ अपनी टीम को प्रतियोगिता मे तीन मुख्य मैंचों और सेमी फ़ाइनल मैच में जीत दिलाई। उन्होंने 17 विकेट भी लिए और अपने पहले बारह मैचों मे से चार में मैन ऑफ द मैच बने और साथ ही मैन ऒफ द सीरिज का खिताब भी जीता.[18]
आईपीएल के उनके प्रदर्शन को देखते हुए, वॉटसन को आईपीएल सत्र के दौरान चोटिल हुए मैथ्यू हेडन के स्थान पर ऑस्ट्रेलिया के वेस्ट इंडीज दौरेके लिए एक दिवसीय श्रृंखला के भाग के रूप में टीम में शामिल किया गया।[19] वॉटसन ने इस श्रृंखला में खुद को एकदिवसीय क्रिकेट में सलामी बल्लेबाज के रूप में स्थापित कर दिया।
वॉटसन आईपीएल के दूसरे सत्र में अपने राष्ट्रीय कर्तव्य और चोट के कारण खेल नहीं पाए और शायद यही वजह थी जिसके कारण राजस्थान रॉयल्स अपने क्वालीफाइंग राउंड में शीर्ष चार तक पहुँचने में भी असफल रही।
विकिमीडिया कॉमन्स पर Shane Watson से सम्बन्धित मीडिया है। |