शैक्षिक अनुसंधान

शैक्षिक अनुसंधान (Educational research) छात्र अध्ययन, शिक्षण विधियों, शिक्षक प्रशिक्षण और कक्षा गतिकी जैसे विभिन्न पहलुओं के मुल्यांकन को सन्दर्भित करने वाली विधियों को कहा जाता है।[1][2][3] [4]

शैक्षिक अनुसंधान से तात्पर्य उस अनुसंधान से होता है जो शिक्षा के क्षेत्र में किया जाता है। उसका उद्देश्य शिक्षा के विभिन्न पहलुओं, आयामों, प्रक्रियाओं आदि के विषय में नवीन ज्ञान का सृजन, वर्तमान ज्ञान की सत्यता का परीक्षण, उसका विकास एवं भावी योजनाओं की दिशाओं का निर्धारण करना होता है। टैंवर्स ने शिक्षा-अनुसंधान को एक ऐसी क्रिया माना है जिसका उद्देश्य शिक्षा-संबंधी विषयों पर खोज करके ज्ञान का विकास एवं संगठन करना होता है। विशेष रूप से छात्रों के उन व्यवहारों के विषय में ज्ञान एकत्र करना, जिनका विकास किया जाना शिक्षा का धर्म समझा जाता है, शिक्षा-अनुसंधान में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण समझा जाता है। ट्रैवर्स के अनुसार, शिक्षा के विभिन्न पहलुओं के विषय में संगठित वैज्ञानिक ज्ञान-पुंज का विकास अत्यन्त आवश्यक है, क्योंकि उसी के आधार पर शिक्षक के लिए यह निर्धारित करना संभव होता है कि छात्रों में वांछनीय व्यवहारों के विकास हेतु किस प्रकार की शिक्षण एवं अधिगम परिस्थितियों का निर्माण करना आवश्यक होगा।

अर्थ एवं परिभाषा

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शिक्षा के अनेक संबंधित क्षेत्र एवं विषय हैं, जैसे, शिक्षा का इतिहास, शिक्षा का समाजशास्त्र, शिक्षा का मनोविज्ञान, शिक्षा-दर्शन, शिक्षण-विधियाँ, शिक्षा-तकनीकी, अध्यापक एवं छात्र, मूल्यांकन, मार्गदर्शन, शिक्षा के आर्थिक आधार, शिक्षा-प्रबंधन, शिक्षा की मूलभूत समस्याएँ आदि। इन सभी क्षेत्रों में बदलते हुए परिवेश एवं परिवर्तित परिस्थितियों के अनुकूल वर्तमान ज्ञान के सत्यापन एवं वैधता-परीक्षण की निरंतर आवश्यकता बनी रहती है। यह कार्य शिक्षा-अनुसंधान के द्वारा ही सम्पन्न होता है। इस प्रकार शिक्षा-अनुसंधान शिक्षा के क्षेत्र में वर्तमान एवं पूर्वस्थित ज्ञान का परीक्षण एवं सत्यापन तथा नये ज्ञान का विकास करने की एक विधा, एक प्रक्रिया है। शिक्षा के प्रत्येक क्षेत्र में अनेक प्रकार की समस्याएँ समय-समय पर सामने आती हैं। उनके समाधान खोजना भी आवश्यक होता है। यह कार्य भी शिक्षा-अनुसंधान के द्वारा ही संभव होता है। इस दृष्टिकोण से शिक्षा-अनुसंधान शिक्षा की समस्याओं के समाधान प्राप्त करने की एक विशिष्ट प्रक्रिया है। शिक्षा-संबंधी अनेक अनुत्तरित प्रश्नों के उत्तर प्राप्त करने का माध्यम भी शिक्षा अनुसंधान है। कितने ही विशेषज्ञों ने शिक्षा-अनुसंधान की परिभाषाएँ प्रस्तुत की हैं।

भिटनी (1954) के अनुसार, शिक्षा-अनुसंधान शिक्षा-क्षेत्र की समस्याओं के समाधान खोजने का प्रयास करता है तथा इस कार्य की पूर्ति हेतु उसमें वैज्ञानिक, दार्शनिक एवं समालोचनात्मक कल्पना-प्रधान चिंतन-विधियों का प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार वैज्ञानिक अनुसंधान एवं पद्धतियों को शिक्षा-क्षेत्र की समस्याओं के समाधान के लिए लागू करना शैक्षिक अनुसंधान कहलाता है।

कौरनेल का मानना है कि विद्यालय के बालकों, विद्यालयों, सामाजिक ढाँचे तथा सीखने वालों के लक्षणों एवं इनके बीच होने वाली अन्तर्क्रिया के विषय में क्रमबद्ध रूप से सूचनाएँ एकत्र करना शिक्षा-अनुसंधान है।

यूनेस्को के एक प्रकाशन के अनुसार, शिक्षा-अनुसंधान से तात्पर्य है उन सब प्रयासों से जो राज्य अथवा व्यक्ति अथवा संस्थाओं द्वारा किए जाते हैं तथा जिनका उद्देश्य शैक्षिक विधियों एवं शैक्षिक कार्यों में सुधार लाना होता है।

शिक्षा अनुसन्धान की आवश्यकता

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शिक्षा एक सामाजिक प्रक्रिया है। उसका मूलभूत उद्देश्य व्यक्ति में ऐसे परिवर्तन लाना होता है, जो सामाजिक विकास एवं व्यक्ति के जीवन को उन्नतशील बनाने के दृष्टिकोण से अनिवार्य होते हैं। इस उद्देश्य की पूर्ति मुख्य रूप से शिक्षा की प्रक्रिया पर निर्भर करती है। यदि शिक्षा की प्रक्रिया सशक्त एवं प्रभावशाली हो तो व्यक्ति में उसके द्वारा उपरोक्त वांछनीय परिवर्तन लाना सरल एवं संभव होगा अन्यथा नहीं। अतः शिक्षा की प्रमुख समस्या है कि उसकी प्रक्रिया को सुदृढ़ प्रभावशाली एवं सशक्त कैसे बनाया जाए। इस समस्या के समाधान हेतु अनुसंधान आवश्यक है।

शैक्षिक अनुसंधान का क्षेत्र

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शिक्षा के क्षेत्र में किस प्रकार के अनुसंधानों को प्राथमिकता दी जाए, यह प्रश्न भी दो दशकों से बराबर उठाया जा रहा है। समय-समय पर इस संबंध में संस्तुतियाँ भी की जाती रही हैं, परन्तु शोधकर्ताओं ने इसे कभी गम्भीरता से नहीं लिया। इसका एक कारण तो यह रहा है कि प्राथमिकता का आधार क्या हो, इस संबंध में कोई निश्चित मत नहीं बन सका। तृतीय अनुसंधान सर्वेक्षण (1987) के अन्तिम अध्याय में डॉ॰ शिव के. मित्रा ने सुझाव दिया है कि उन समस्याओं को अनुसंधान हेतु प्राथमिकता दी जानी चाहिए, जिनकी राष्टींय शिक्षा-नीतियों में उठाई गई समस्याओं के समाधान उपलब्ध कराने हेतु तत्काल आवश्यकता है। इससे पूर्व भी 1975 में एन.सी.ई.आर.टी. के एक प्रकाशन 'एजुकेशनल रिसर्च एण्ड इन्नोवेशन्स' में निम्नलिखित समस्याओं को शिक्षा-अनुसंधान की प्राथमिकता सूची में रखा गया था-

  • 1. समाज के गरीब वर्ग के बालकों की शैक्षिक आवश्यकताओं की पूर्ति के समाधान खोजना
  • 2. अन्तर्विषयी अनुसंधान (interdisciplinary research)
  • 3. प्रतिभाओं की खोज एवं उनके विकास से संबंधित समस्याएँ
  • 4. चौदह वर्ष तक के बालकों की अनिवार्य एवं निःशुल्क शिक्षा जिसका भारतीय संविधान की धारा 45 में प्रावधान है, से संबंधित समस्याओं का अध्ययन
  • 5. अनुसूचित जातियों एवं जन-जातियों के बालकों की शिक्षा से संबंधित समस्याओं का अध्ययन।

कुछ अन्य शिक्षा-शास्त्रियों ने भी इस संबंध में विचार व्यक्त किए हैं। उन सबको ध्यान में रखते हुए शिक्षा के निम्नलिखित क्षेत्रों में उपरोक्त के अतिरिक्त प्राथमिकता के आधार पर अनुसंधान की आवश्यकता प्रतीत होती है-

  • 1. छोटे बालकों की देखरेख एवं उनकी शिक्षा,
  • 2. अनौपचारिक शिक्षा,
  • 3. शिक्षा का व्यावसायीकरण,
  • 4. पाठ्यक्रम संशोधन,
  • 5. जीवन-मूल्यों की शिक्षा,
  • 6. शिक्षा में क्षेत्रीय असन्तुलन,
  • 7. शिक्षा एवं सामाजिक परिवर्तन,
  • 8. शिक्षा-प्रशासन,
  • 9. शिक्षा में नेतृत्व,
  • 10. शिक्षा-संस्थाओं के कार्यक्रमों एवं उनकी प्रभाविकता का अध्ययन,
  • 11. पूर्व-प्राथमिक शिक्षा का पाठ्यक्रम एवं शिक्षण विधियाँ,
  • 12. शिक्षा संस्थाओं के वातावरण का अध्ययन,
  • 13. अध्यापक प्रशिक्षण,
  • 14. तुलनात्मक शिक्षा,
  • 15. नैतिक शिक्षा,
  • 16. शैक्षिक अर्थशास्त्र,
  • 17. शिक्षा एवं विधि शास्त्र,
  • 18. शिक्षा एवं राजनीति।

उपरोक्त क्षेत्र अति-विस्तृत एवं व्यापक हैं। प्रत्येक क्षेत्र में अनेक समस्याएँ अध्ययन हेतु उपलब्ध हो सकती हैं। इन क्षेत्रों में अध्ययन बहुत कम हुए हैं। इस दृष्टिकोण से ही इनको दर्शाया गया है।

इन्हें भी देखें

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सन्दर्भ

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  1. Lodico, Marguerite G.; Spaulding, Dean T.; Voegtle, Katherine H. (2010). Methods in Educational Research: From Theory to Practice. जॉन विले एंड संस. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-470-58869-7. मूल से 8 जनवरी 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 मई 2016.
  2. Anderson, Garry; Arsenault, Nancy (1998). Fundamentals of Educational Research. रूटलेज. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-203-97822-1. मूल से 8 जनवरी 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 मई 2016.
  3. Yates, Lyn (2004). What Does Good Educational Research Look Like?: Situating a Field and Its Practices. Conducting Educational Research. मैकग्रा-हिल इंटरनेशनल. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-335-21199-9. मूल से 8 जनवरी 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 मई 2016.
  4. "IAR: Glossary. (n.d.)". Instructional Assessment Resources. टेक्सास विश्वविद्यालय, ऑस्टिन. 21 September 2011. मूल से 13 दिसंबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 मई 2016.