सम्माँ राजवंश سمن جو راڄ | |||||
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सम्माँ राज, अपने चरम पर
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राजधानी | ठठ्ठा | ||||
भाषाएँ | अरबी (राजकीय) सिन्धी (राजपरिवार की मातृभाषा) | ||||
शासन | राज्य | ||||
शाह | जाम उनड़ (प्रथम) | ||||
जाम फ़िरोज़-उद-दीन (अंतिम) | |||||
इतिहास | |||||
- | आरम्भ | १३३५ | |||
- | अंत | १५२० | |||
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सम्माँ राजवंश (सिन्धी: سمن جو راڄ, सम्मन जो राज) या सम्मा राजवंश (अंग्रेज़ी: Samma Dynasty) 1335 ईसवी से 1520 ईसवी काल में सिंध तथा बलोचिस्तान व पंजाब के कुछ हिस्सों में राज किया था। उनकी राजधानी ठठ्ठा शहर था। इस वंश की स्थापना जाम उनड़ (جام انڑ, Jam Unar) ने की थी। उन्होंने सिंध में कुछ महान पुरातन-स्थल छोड़े हैं जिनमें ठठ्ठा का शाही समाधि-क्षेत्र शामिल है। इस राजवंश के बाद सिंध में अरग़ून राजवंश का क़ब्ज़ा हो गया।[1]।samma rajput are belongs to yaduvanshi line age of chandravansh, jadeja jadun bhatti chudasamma are also decedents hindu samma rajputra. Samma name came from one of descendent of krishna whose name is samnat ji