सरिय्या हज़रत साद बिन ज़ैद अशहली रज़ि० | |||||||
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मुहम्मद की सैन्य उपलब्धियाँ का भाग | |||||||
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सेनानायक | |||||||
हज़रत साद बिन ज़ैद अशहली रज़ि० |
सरिय्या हज़रत साद बिन ज़ैद अशहली रज़ि० छापा सैन्य अभियान मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के आदेश पर जनवरी 630 ईस्वी, और इस्लामी कैलेंडर के 9वें महीने 8 हिजरी में अल- मुशाल के आसपास के क्षेत्र में हुआ।
अर्रहीकुल मख़तूम में इस्लाम के विद्वान सफिउर्रहमान मुबारकपुरी लिखते हैं कि मक्का पर विजय के बाद हज़रत साद बिन जैद अशहली रजि० को बीस सवार दे कर बुत मनात की ओर रवाना किया गया। यह कुदैद के पास मुशल्लल में औस व खज़रज और गुस्सान आदि की मूर्ति थी।जब हज़रत साद रज़ि० वहां पहुंचे तो उस के पुजारी ने उन से पूछा, तुम क्या चाहते हो? उन्होंने कहा, मनात को ढाना चाहता हूं। उसने कहा, तुम जानो और तुम्हारा काम जाने। हज़रत साद रज़ि० मनात की ओर बढ़े तो एक काली, नंगी, बिखरे बालों वाली औरत निकली। वह अपना सीना पीट-पीट कर हाय-हाय कर रही थी। उससे पुजारी ने कहा, मनात! अपने कुछ अवज्ञाकारियों को पकड़ ले, लेकिन इतने में हज़रत साद रज़ि० ने तलवार मारकर उसका काम तमाम कर दिया, फिर लपक कर मूर्ति ढा दी और उसे तोड़-फोड़ डाला। ख़ज़ाने में कुछ न मिला।
इस घटना का उल्लेख इब्न साद ने अपनी पुस्तक "किताब अल-तबाक़त अल-कबीर, खंड 2" में भी किया है। उन्होंने उल्लेख किया है कि साद इब्न ज़ैद अल-अश्हाली द्वारा छापा मारा गया था।[3]
इसी महीने हज़रत अम्र बिन आस रज़ि० को सरिय्या अम्र बिन आस (सुवाअ) में सुवाअ नामी बुत ढाने के लिए रवाना किया गया था। [4]
इसी महीने ख़ालिद बिन वलीद द्वारा सरिय्या खालिद बिन वलीद (नख़ला) अभियान में मूर्ति अल-उज़्ज़ा को ध्वस्त कर दिया गया था।
इस्लामी शब्दावली में अरबी शब्द ग़ज़वा [5] इस्लाम के पैग़ंबर के उन अभियानों को कहते हैं जिन मुहिम या लड़ाईयों में उन्होंने शरीक होकर नेतृत्व किया,इसका बहुवचन है गज़वात, जिन मुहिम में किसी सहाबा को ज़िम्मेदार बनाकर भेजा और स्वयं नेतृत्व करते रहे उन अभियानों को सरियाह(सरिय्या) या सिरया कहते हैं, इसका बहुवचन सराया है।[6] [7]