सिरोंज Sironj सेंगराज/सेंगर राज | |
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निर्देशांक: 24°06′00″N 77°41′20″E / 24.100°N 77.689°Eनिर्देशांक: 24°06′00″N 77°41′20″E / 24.100°N 77.689°E | |
देश | ![]() |
राज्य | मध्य प्रदेश |
ज़िला | विदिशा ज़िला स्थापना शंकर सिंह सेंगर 1103 A.D. |
ऊँचाई | 464 मी (1,522 फीट) |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 52,460 |
भाषा | |
• प्रचलित | हिन्दी |
समय मण्डल | भामस (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 464228 |
सिरोंज (Sironj) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के विदिशा ज़िले में स्थित एक नगर है।[1][2]
ऐतिहासिक रूप से, सिरोंज बुंदेलखंड के किनारे पर मालवा क्षेत्र का एक हिस्सा था, और एक जैन तीर्थयात्रा रहा है (दिगंबर जैन नासियाजी जिनोदय तीर्थ)। टोंक के नवाबों के राज्य के हिस्से के रूप में, यह सिंधियाओं के तहत ग्वालियर राज्य की सीमा में था। भारत की स्वतंत्रता के समय, सिरोंज राजस्थान के टोंक राज्य का एक हिस्सा था। इस प्रकार, यह मध्य प्रदेश द्वारा चारों तरफ से घिरा हुआ राजस्थान की भूमी वाला जिला बन गया। 1956 के राज्य पुनर्गठन अधिनियम के तहत सिरोंज मध्य प्रदेश का एक हिस्सा बन गया। हालाँकि, यह एक जिले के रूप में न हो मध्य प्रदेश के विदिशा जिले के तहत एक ब्लॉक (उप-जिला) बन गया। दिल्ली और गुजरात के बीच मध्ययुगीन व्यापार मार्ग के बहुत करीब होने के कारण, सिरोंज में व्यापारियों की काफी संख्या थी। ऐसे व्यापारियों में सबसे प्रसिद्ध महेश्वरी समाज था, जिन्होंने बाद में सिरोंज के नवाब से अन-बन होने पर क्षेत्र छोड़ दिया। उनके निर्जन महल अब भी सिरोंज में देखे जा सकते हैं। सिरोंज भारत के सबसे पुराने शहरों में से एक है। यह मुग़लों के समय में मोघल जिले के लिए भी जाना जाता था और गुजरात के बन्दरगाह से सीधे जुड़ा एक बड़ा व्यापार केंद्र था। वातानुकुलित बर्तनों और बुने हुए चटाईयों को बाहरी देशों में निर्यात किया जाता था।
यहां स्थित जामा मस्जिद का निर्माण औरंगजेब द्वारा करवाया कहा जाता है। 18वीं शताब्दी के दौरान, सर जॉर्ज एवरेस्ट द्वारा एवरेस्ट पर्वत की ऊंचाई को मापने के लिए महान त्रिकोणमितीय सर्वेक्षण का आयोजन किया गया था जिसमें भारत की तीन वेधशालाओं में से एक सिरोंज में बनाया गया था। इस सर्वेक्षण को बाद में राधानाथ सिकदर ने थियोडोलाइट का उपयोग करके पूरा किया। सिरोंज के पास गुना रोड पर भूरी तोरी नामक एक गाँव में, इन वेधशालाओं के अवशेष अभी भी मौजूद हैं। जिसे देख कर अंग्रेजी वास्तुकला का आभास होता हैं। कस्बे में स्थित गिरधारी मंदिर 11वीं शताब्दी ई.पू. में बनी मानी जाती है। यह अपनी मूर्तियों और बारीक नक्काशी के लिए जाना जाता है। जटाशंकर और महामाई के मंदिर पुराने और पवित्र कहे जाते हैं। कहा जाता है कि 1857 क्रांती के तात्या टोपे कुछ समय के लिए यहां रुके थे। सिरोंज के उत्तरी भाग पर औपनिवेशिक पैदल सेना का एक कब्रिस्तान भी देखा जा सकता हैं, जहां 1857 के विद्रोह के दौरान शहीद हुए सैनिकों के नाम के साथ पत्थर पर तारीखें लिखी हुई है। महामई मंदिर सिरोंज के दक्षिण-पश्चिम में 5 किमी दूर है। यह एक पहाड़ी पर स्थित है। यहाँ एक वार्षिक मेला लगता है। सिरोंज टकसाल मुग़ल काल की मुख्य टकसालों में एक थी। उस दौर में जो टकसाल सिरोंज मे थी वो अकबर शाही मशहूर थी, रुपिया मसकूक होकर जारी नहीं हुआ, आईन ए अकबरी में उन 28 बड़े मुक़ामात के नाम दर्ज हैं जहां पैसों की टकसाल थी,उन में सिरोंज का नाम 23 नबंर पर दर्ज है, रुपिया 11 माशे का था, 16 टके एक रुपये के मिलते थे, और एक पैसा 16 माशे का था, कलदार के मुक़ाबले 10 माशा ज़्यादा समझना चाहिये इसलिये कि कलदार 6 माशे का था।[3]
2001 की भारत की जनगणना के अनुसार, सिरोंज की आबादी 42,100 थी। पुरुषों की आबादी 53% और महिलाओं की 47% है। सिरोंज की औसत साक्षरता दर 55% है, जो राष्ट्रीय औसत 59.5% से कम है: पुरुष साक्षरता 62% है, और महिला साक्षरता 47% है। सिरोंज में, 17% आबादी 6 साल से कम उम्र की है।[4]