सुप्रबुद्ध, कोलीय गणराज्य के महाराजा थे।[1][2][3] महावंश वंशावली और थेरवाद टीका परम्परा के अनुसार बुद्ध के मामा और ससुर थे। उन्हें महासु्प्रबुद्ध के नाम से भी जाना जाता है। उनका विवाह शाक्य गणराज्य की राजकुमारी के साथ हुआ था।[4]
महाराजा सुप्रबुद्ध कोलीय | |||||||||
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महाराजा कोलीय | |||||||||
पिताजी | महाराजा अंजन कोलीय | ||||||||
पुत्र | देवदत्त | ||||||||
जन्म | सुप्रबुद्ध देवदह | ||||||||
पत्नी | महारानी अमिता (शाक्य गणराज्य की राजकुमारी) | ||||||||
संतान | राजकुमार देवदत्त एवं राजकुमारी यशोधरा (भदकंचना) | ||||||||
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घराना | नागवंशी क्षत्रिय | ||||||||
पिता | महाराजा अंजन कोलीय | ||||||||
माता | महारानी यशोधरा (शाक्य गणराज्य की राजकुमारी) | ||||||||
धर्म | क्षत्रिय धर्म |
महावंश के अनुसार, वह महाराजा अंजन और उनकी पत्नी यशोधरा के पुत्र थे। वह अपनी पत्नी अमिता से बुद्ध के भद्रकंचना (सिद्धार्थ की पत्नी यशोधरा) और देवदत्त दोनों के पिता बने। उनकी दो बहनें, मायादेवी और पजापति और एक भाई दण्डपाणि कोलीय थे।[5] महावंश द्वारा बुद्ध को दी गई वंशावली विस्तार और व्याख्या को प्रतिबिंबित कर सकती है जो ऐतिहासिक तथ्यों के बजाय स्थानीय परंपराओं को दर्शाती है।[6]
महाराजा सुप्रबुद्ध कोलीय रिसते मे भगवान बुद्ध के ससुर भी लगते थे और फूफा भी लगते थे साथ ही ममेरे भाई भी लगते थे।
एसा इसलिए होति था क्योंकि कोली और शाक्य अपने खून पर बहुत ज्यादा गर्व करते थे एवं किसी दूसरे खानदान के साथ संबंध नही बनाना चाहते थे जिससे उनके खून की पवित्रता बनीं रहे।
कोलीय गणराज्य और शाक्य गणराज्य रोहिणी हे बंटे हुए थे। लेकिन दोनों गणराज्यों के बीच ख़ून का संबंध था। दोनों गणराज्यों के राजपरिवार अपने खून पर इतना अभिमान करते थे की वो किसी और घराने मे शादी नही करते थे।[7]