1630-32 का दक्कन अकाल दक्कन के पठार और गुजरात में पड़ने वाला एक अकाल था। यह अकाल लगातार तीन बार मुख्य फसल की विफलता का परिणाम था, जिससे क्षेत्र में तीव्र भूख, बीमारी और विस्थापन पनपे। यह अकाल भारत के इतिहास में सबसे विनाशकारी अकालों में से एक है, और मुगल साम्राज्य में होने वाला सबसे गंभीर अकाल था।
सूरत में दर्ज की गई अकाल की एक डच रिपोर्ट में कहा गया है कि यह मुख्य रूप से बारिश की विफलता के साथ-साथ शाहजहाँ की सेना की मांगों के कारण घटित हुआ, जिसने बरहनपुर में डेरा डाले हुए था। अक्टूबर 1631 में समाप्त होने वाले इस अकाल के कारण दस महीनों में गुजरात में लगभग 30 लाख लोग मारे गए, जबकि अहमदनगर के आसपास भी दस लाख लोग और मारे गए। डच रिपोर्ट में 1631 के अंत तक 74 लाख कुल मृत्यु बताई गई हैं, जो पूरे क्षेत्र के लिए हो सकती हैं। [1]