अक्रोध मूलतः संस्कृत शब्द है जिसका सामान्य अर्थ "क्रोध अथवा गुस्से से मुक्त" है।[1] इसे भारतीय दर्शन में एक सदगुण के रूप में माना जाता है।[2]
अक्रोध शब्द का निर्माण क्रोध में अ उपसर्ग लगने से हुई है[3] जो मुख्यतः शब्द का विपरीत अर्थ देता है अतः इसका अर्थ क्रोध रहित होना है। समानार्थी संस्कृत शब्द अक्रोधः (विसर्ग के साथ) का अर्थ 'गुस्से की अनुपस्थिति है'।[1]