'''अचिन्त्यभेदाभेद''' (अचिन्त्य-भेद-अभेद) वेदांत का एक सम्प्रदाय है जो अकल्पनीय एकत्व और अंतर के दर्शन का प्रतिनिधित्व करता है।[1] संस्कृत में अचिन्त्य का अर्थ है 'अकल्पनीय', भेद का अनुवाद 'अंतर' के रूप में होता है, और अभेद उसका विलोम है।