[[Image:{{{image}}}|250px|{{{caption}}}]] {{{caption}}} | |
मुख्यालय | {{{मुख्यालय}}} |
सदस्य वर्ग | 15 सदस्य देश |
अधिकारी भाषाएं | {{{भाषा}}} |
अध्यक्ष | इसरो |
जालस्थल | http://www.disasterscharter.org/ |
अन्तरिक्ष एवं प्रमुख आपदाओं का अन्तर्राष्ट्रीय चार्टर एक ऐसा गैर-बाध्यकारी चार्टर है जो प्रमुख आपदाओं के समय राहत संगठनों को परोपकारी एवं मानवीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के उद्देश्य से अन्तरिक्ष उपग्रह आंकड़ें पहुंचाने का कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसका शुभारंभ ऑस्ट्रिया के वियेना में जुलाई 1999 को आयोजित यूनिस्पेस-3 सम्मेलन के बाद यूरोपियन अन्तरिक्ष एजेन्सी तथा फ्रांस की अन्तरिक्ष एजेन्सी सीएनईएस ने किया था, औपचारिक रूप से नवंबर 01, 2000 में कैनेडियन अन्तरिक्ष एजेन्सी द्वारा अक्तूबर 20, 2000 में चार्टर पर हस्ताक्षर करने के बाद यह प्रचालित हुआ। तब तक अन्तरिक्ष अनुसंधान की ओर इनके योगदान में ईआरएस, एवं एन्विसैट, स्पॉट तथा फॉर्मसैट एवं रडारसैट शामिल हैं।
विभिन्न निजी, राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष एजेन्सियों के वर्गीकृत उपग्रह मानवीय हितों के लिए काम करते हैं जो कि हांलाकि आकस्मिक हुआ करते हैं। सबसे पहले दिसंबर 2001 में उत्तर पूर्वी फ्रांस में बाढ़ के लिए इसे सक्रिया किया गया[1], तभी से चार्टर अन्तरिक्ष से जुड़ी सूचना संबंधी संग्रह का विविध भूकंपों, तेल के रिसाव, दावाग्नि, सुनामी, विशाल हिमपात, ज्वालामुखी प्रस्फुटन, तूफानों एवं भूस्खलन[2][3] के लिए उपयोग करने में प्रमुख भूमिका निभाता है, तथा इसके बाद मलेशिया एयरलाइन फ्लाइट 370 की खोज में भी उपयोग किया गया।[4] इसके अलावा वर्ष 2014 में दक्षिणी अफ्रीका में इबोला विषाणु के प्रसार के मानचित्रण हेतु भी इसका उपयोग किया गया।[5]
फरवरी 2005
एन्विसैट के उच्च विभेदन एवं अति उच्च विभेदन रडार संवेदक (अप्रैल माह में वियोजन), रीसैट-1, रडारसैट-1 एवं 2, टेरासार-एक्स एवं टैनडीईएम-एक्स; स्पॉट उपग्रह 4 एवं 5, प्लेडेस, लैंडसैट-5 एवं 7 प्रोबा-1, यूके-डीएमसी-2, कोम्पसैट-2, आईआरएस-पी5, रिसोर्ससैट-2, ओशनसैट-2, कार्टोसैट-2, आईएमएस-1 एवं रैपिडआई के उच्च विभेदन एवं अति उच्च विभेदन प्रकाशीय संवेदक; पीओईएस, जीओईएस एवं सैक-सी के मध्यम एवं निम्न विभेदन प्रकाशीय संवेदक। इसके बाद, अन्य संस्थानों व निगमों के साथ विशिष्ट समझौते से चार्टर को फौर्मोसैट श्रृंखला, जिओआई, आईकोनोस, क्विकबर्ड एवं वर्ल्डव्यू[10] जैसे उपग्रहों के उच्च व अत्यंत उच्च विभेदन के उत्पादों तक पहुंचने की अनुमति प्रदान करते हैं।
भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो)[11] द्वारा 2004 में हिन्द महासागर भूकंप एवं सुनामी के लिए चार्टर सक्रिय हुआ। अन्तरिक्ष एवं प्रमुख आपदा केन्द्र के माध्यम से 2010 में हैती में आए भूकंप के दो दिन बाद फ्रांसिसी नागरिक सुरक्षा प्राधिकरण, जन सुरक्षा कनाडा, यूएसजीएस के अमेरिकी भूकंप के जोखिम का कार्यक्रम एवं हैती में यूएन स्टेबिलाइजेशन मिशन ने जनवरी 14, 2010 को हैती का घटना के पश्चात मानचित्र उपलब्ध कारने का अनुरोध किया था।[12] दोनों सीओजीआईसी (फ्रांसिसी नागरिक सुरक्षा) [13] तथा अमेरिकी यूएसजीएस ने एमसीडीईएम न्यूजीलैंड की ओर से चार्टर को सक्रिय करने का अनुरोध किया, परिणामस्वरूप 2011 में क्राइस्टचर्च भूकंप के बाद सहायता एवं बचाव कार्यों के लिए उपग्रह चित्र तुरंत उपलब्ध कराना आसान हो गया।[14] 2011 में आए तोहोकू भूकंप एवं सुनामी[15] के बाद बेहतर प्रबंधन के लिए जापान ने अपनी अन्तरिक्ष एजेन्सी, जेएएक्सए, द्वारा मार्च 12, 2011 में चार्टर सक्रिय करने का अनुरोध किया।
फिलीपीन्स प्राधिकरण द्वारा नवंबर 08, 2013 को चार्टर सक्रिय किया गया क्योंकि सबसे विशाल टायफून हय्यान ने जमीन पर[16] तूफान मचा दिया था। मार्च 11, 2014 को कुआलालंपूर अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से बीजिंग राजधानी अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे[4][17] की ओर उड़ान भर रहे मलेशियाई वायुयान उड़ान सं. 370 के मार्च 08, 2014 को गायब हो जाने के बाद खोज में सहायता हेतु चीन के अधिकारियों द्वारा चार्टर सक्रिय किया गया।
अक्तूबर 09, 2014 को राष्ट्रीय भूस्थानिक एजेन्सी की ओर से यूएसजीएस द्वारा चार्टर सक्रिय किया गया ताकि पहली बार महामारी से जुड़े रोगविज्ञान अन्तरिक्ष सूचना की भूमिका.[18][19]स्थापित करने के लिए (सिएरा लिओन, विशेषकर) 2014 में पश्चिमी अफ्रीका में फैले इबोला विषाणु का मानीटरन किया जा सके।