भारतीय वायु सेना के मार्शल अर्जन सिंह DFC | |
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भारतीय वायु सेना के मार्शल अर्जन सिंह और (दाएं) औपचारिक बैटन | |
जन्म |
15 अप्रैल 1919 (आयु 98 वर्ष) लायलपुर , पंजाब , ब्रिटिश भारत (अब फैसलाबाद , पाकिस्तान) |
देहांत | 16 सितंबर 2017,आर आर अस्पताल दिल्ली |
निष्ठा |
ब्रिटिश भारत (1938-1947) भारत (1947 से) |
सेवा/शाखा | भारतीय वायु सेना |
सेवा वर्ष |
1938-1969 2002-2017 मृत्यपर्यंत[1] |
उपाधि | वायु सेना के मार्शल |
नेतृत्व |
नंबर 1 स्क्वाड्रन आईएएफ अंबाला वायु सेना स्टेशन पश्चिमी कमान वीसीएएस |
युद्ध/झड़पें | 1965 का भारत-पाकिस्तान युद्ध |
सम्मान |
पद्म विभूषण प्रतिष्ठित उड़ान क्रॉस 1939-45 स्टार बर्मा स्टार युद्ध पदक 1939-1945 भारत सेवा पदक |
मार्शल ऑफ द एयर फोर्स अर्जन सिंह, (पंजाबी: ਅਰਜਨ ਸਿੰਘ) डीएफसी, (पूरा नाम : अर्जन सिंह औलख, जन्म: 15 अप्रैल 1919, निधन: 16 सितंबर 2017) भारतीय वायु सेना के एकमात्र अधिकारी थे जिन्हें मार्शल ऑफ द एयर फोर्स (पांच सितारा रैंक) पर पदोन्नत किया गया था।[2] 16 सितंबर 2017 को 98 वर्ष की आयु में इनका निधन हुआ। ये भारतीय वायुसेना में प्रमुख पद पर १९६४-६९ तक आसीन रहे। १९६५ के भारत पाक युद्ध के समय वायु सेना की कमान को सफलतापूर्वक संभालने हेतु इन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया एवं १९६६ में एयर चीफ़ मार्शल पद पर पदोन्नत किया गया।[3] वायु सेना से सेवानिवृत्ति उपरान्त इन्होंने भारत सरकार के राजनयिक, राजनीतिज्ञ एवं परामर्शदाता के रूप में भी कार्य किया। १९८९ से १९९० तक ये दिल्ली के उपराज्यपाल पद पर रहे। २००२ में भारतीय वायु सेना के मार्शल के पद पर आसीन किया गया। ये प्रथम अवसर था कि जब भारतीय वायु सेना का कोई अधिकारी पांच सितारा स्तर पर पहुंचा हो।[2]
अर्जनसिंह का जन्म 15 अप्रैल 1919 को पंजाब के लायलपुर, (अब फैसलाबाद,पाकिस्तान) में ब्रिटिश भारत के एक प्रतिष्ठित सैन्य परिवार हुआ था। उनके पिता रिसालदार थे व एक डिवीजन कमांडर के एडीसी के रूप में सेवा प्रदान करते थे। उनके दादा रिसालदार मेजर हुकम सिंह 1883 और 1917 के बीच कैवलरी से संबंधित थे व दादा, नायब रिसालदार सुल्ताना सिंह, 1854 में मार्गदर्शिका कैवलरी की पहली दो पीढ़ियों में शामिल थे और 1879 के अफ़गान अभियान के दौरान शहीद हुए थे। अर्जन सिंह की आरम्भिक शिक्षा ब्रिटिश भारत (अब पाकिस्तान में) में मांटगोमरी में हुई। उन्होंने 1938 में रॉयल एयर फ़ोर्स कॉलेज, क्रैनवेल में प्रवेश किया और दिसंबर 1939 में एक पायलट अधिकारी के रूप में नियुक्ति पाई। 1944 में सिंह ने भारतीय वायुसेना की नंबर 1 स्क्वाड्रन का अराकन अभियान के दौरान नेतृत्व किया। 1944 में उन्हें प्रतिष्ठित फ्लाइंग क्रॉस (डीएफसी) से सम्मानित किया गया और 1945 में भारतीय वायुसेना की प्रथम प्रदर्शन उड़ान की कमान संभाली। सिंह को कोर्ट मार्शल का सामना करना पड़ा जब उन्होंने फरवरी 1945 में केरल के एक आबादी वाले इलाके के ऊपर बहुत नीची उड़ान भरी, उन्होंने ये कहते हुए अपना बचाव किया कि ये एक प्रशिक्षु विमानचालक (बाद में एयर चीफ मार्शल दिलबाग सिंह) का मनोबल बढ़ाने की कोशिश थी।
1 अगस्त 1964 से 15 जुलाई 1969 तक वह वायुसेनाध्यक्ष (सीएएस) थे, और 1965 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था [4]। 1965 के युद्ध में वायु सेना में अपने योगदान के लिए उन्हें वायु सेनाध्यक्ष के पद से पद्दोन्नत होकर एयर चीफ मार्शल बनाया गया। वे भारतीय वायु सेना के पहले एयर चीफ मार्शल थे। उन्होंने 1969 में 50 साल की उम्र में अपनी सेवाओं से सेवानिवृत्ति ली। 1971 में (उनकी सेवानिवृत्ति के बाद) उन्हें स्विट्जरलैंड में भारतीय राजदूत नियुक्त किया गया था। उन्होंने समवर्ती वेटिकन के राजदूत के रूप में भी सेवा की।[5]
साल | घटना | पद |
1938 | रॉयल एयर फ़ोर्स कॉलेज (आरएएफ), क्रैनवेल में फ्लाइट कैडेट के रूप में प्रवेश | |
23 दिसंबर 1939 | रॉयल एयर फोर्स में पायलट अधिकारी के रूप में कमीशन | |
9 मई 1941 | फ्लाइंग ऑफिसर | |
15 मई 1942 | फ्लाइट लेफ्टिनेंट | |
1944 | (कार्यकारी) स्क्वाड्रन लीडर | |
2 जून 1944 | प्रतिष्ठित फ्लाइंग क्रॉस से सम्मानित किया गया | |
1947 | विंग कमांडर, रॉयल भारतीय वायु सेना, वायु सेना स्टेशन, अंबाला | |
1948 | ग्रुप कैप्टन, निदेशक, प्रशिक्षण, वायु मुख्यालय | |
12 दिसम्बर 1950 | (कार्यकारी) एयर कमोडोर, भारतीय वायुसेना, एओसी, ऑपरेशनल कमांड | |
1 अक्टूबर 1955 | एयर कमोडोर, एओसी पश्चिमी वायु कमान, दिल्ली | |
19 दिसंबर 1959 | एयर वाइस मार्शल | |
1961 | एयर वाइस मार्शल, वायुसेना अधिकारी, एयर मुख्यालय के प्रभारी | |
1963 | वायुसेना के उप प्रमुख और बाद में वायु सेना के वाइस चीफ (भारत) | |
1 अगस्त 1964 | वायुसेनाध्यक्ष (भारत) (कार्यकारी एयर मार्शल) | |
26 जनवरी 1966 | एयर चीफ मार्शल (वायुसेना प्रमुख), चीफ ऑफ़ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष नियुक्त | |
15 जुलाई 1969 | भारतीय वायु सेना से सेवानिवृत्त | |
26 जनवरी 2002 | भारतीय वायु सेना के मार्शल |
सिंह का स्वास्थ्य अन्तिम वर्षों में बहुत अच्छा नहीं रहा था। वे अपने मिलने वालों से अपनी ढलती आयु के साथ गिरते स्वास्थ्य एवं अपने कई दिवंगत साथियों के बारे में बातें किया करते थे। अपने जीवन के स्वर्णिम काल में गोल्फ़ के खिलाड़ी रहे सिंह अपनी प्रातः की चाय नियम से दिल्ली गोल्फ़ क्लब में पिया करते थे। [6] 2015 में उस समय 96 वर्षीय अर्जन सिंह उन कई गणमान्य व्यक्तियों में से थे जो पूर्व राष्ट्रपति डॉ० ए पी जे अब्दुल कलाम को 28 जुलाई को पालम हवाई अड्डे पर श्रद्धांजलि देने आये थे। उस समय वे व्हीलचेयर पर थे किंतु फिर भी उन्होंने खड़े होकर दिवंगत डा० कलाम को सैल्यूट करके अंतिम श्रद्धांजलि दी। [7][7]
१६ सितम्बर २०१७ को सिंह को जबर्दस्त हृदयाघात हुआ व उन्हें तुरन्त दिल्ली के आर्मी रिसर्च एण्ड रेफ़रल अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उनकी हालात अत्यन्त गम्भीर बतायी।[8] उसी शाम ०७:४७ (भारतीय मानक समय अनुसार) उन्होंने अस्पताल में ही अपनी अन्तिम सांस ली।[9]
सिंह का सीएनएन न्यूज़ 18 को दिया गया अन्तिम साक्षात्कार।[10]
14 अप्रैल 2016 को मार्शल के 97 वें जन्मदिन को यादगार बनाने के लिए तत्कालीन चीफ ऑफ एअर स्टाफ एयर चीफ मार्शल अरुप राहा ने घोषणा की थी कि पश्चिम बंगाल के पानागढ़ में भारतीय वायु सेना स्टेशन का नाम अर्जन सिंह के नाम पर होगा। उनकी सेवा के सम्मान में अब ये वायु सेना स्टेशन, अर्जन सिंह स्टेशन कहलाएगा। [11][12][13]
पद्म विभूषण | जनरल सर्विस मेडल 1 9 47 | समर सेवा स्टार | |
रक्षा पदक | सैन्य सेवा पदक | भारतीय स्वतंत्रता पदक | प्रतिष्ठित उड़ान क्रॉस |
1 9 3 9 -45 स्टार | बर्मा स्टार | युद्ध पदक 1 939-19 45 | भारत सेवा पदक |