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अल्ताफ हुसैन हाली | |
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जन्म | अल्ताफ हुसैन 1837 पानीपत, उत्तर-पश्चिमी प्रान्त, ब्रिटिश भारत[1] |
मौत | 31 दिसंबर 1914 पानीपत, ब्रिटिश भारत |
पेशा | लेखक, जीवनी लेखक और कवि |
उल्लेखनीय कामs | मुसद्दस-ए-हली
यदगर-ए-ग़ालिब हयात-ए-सादी हयात-ए-जावेद |
सक्रिय वर्ष | 1860–1914 |
अल्ताफ हुसैन हाली :
जीवन परिचय :
अल्ताफ हुसैन हाली उर्दू के प्रसिद्ध कवि एवं लेखक थे । हरियाणा के ऐतिहासिक शहर पानीपत के रहने वाले थे | इनका जन्म 11 नवंबर 1837 ईस्वी में हुआ । इनके पिता का नाम इजद बख्श व माता का नाम इमता-उल-रसूल था ।
शुरुआती जिंदगी कुछ इस तरह की थी कि जन्म के कुछ समय के बाद ही इनकी माता का देहांत हो गया । 'हाली' जब 9 वर्ष के थे तो इनके पिता का देहांत हो गया । 'हाली' उर्दू के शायर में प्रथम आलोचक के तौर पर प्रख्यात थे । माता-पिता के देहांत के बाद शिक्षा का समुचित प्रबंध नहीं हो सका और इन्हीं परिस्थितियों के बीच 'हाली' के बड़े भाई इम्दाद हुसैन व उनकी दोनों बड़ी बहनों इम्ता-उल-हुसैन व वजीह-उल-निसां ने 'हाली' की इच्छा के विरुद्ध उनका विवाह इस्लाम-उल-निसां से कर दिया और इन सब परिस्थितियों में हाल ही अपनी शिक्षा व्यवस्थित तरीके से करने में असफल हो रहे थे । इसके बारे में 'हाली की कहानी हाली की जुबानी' में बड़े पश्चाताप से लिखा है कि "डेढ़ बरस दिल्ली में रहते हुए मैंने कालिज को कभी आंख से देखा भी नहीं ।"
और अंत में , 30 सितंबर 1914 ईस्वी को नवजागरण के अग्रदूत 'मौलाना अल्ताफ हुसैन हाली' का देहांत हो गया ।
रचनाएं :
'मुसद्दस-ए-हाली', 'यादगार-ए-हाली', 'हयात-ए-हाली', 'हयात-ए-जावेद', 'मजलिस उलिनसा' , 'तिरिया के मजमुम' आदि ग्रन्थ ।
'हाली' जी ने उर्दू में प्रचलित परंपरा से हटकर गज़ल, नज़्म , रुबाइयाँ व मर्सिया आदि लिखे हैं । [2]
निष्कर्ष :
'अल्ताफ हुसैन हाली' बिना पक्षधरता के रचनाकार थे। डॉ. एहतेमाम हुसैन ने लिखा है कि "हाली को बदलती हुई सभ्यता का प्रतिनिधि कहना असंगत न होगा । वे न तो पुरानी बातों पर आग्रहपूर्वक अड़े रहने के पक्ष में थे और न बिना सोचे-समझे नयी बातों को ग्रहण करने पर ।"
संदर्भ ग्रंथ :
1 ) हयाते-जावेद - मौलाना अल्ताफ हुसैन 'हाली' ।
2) ऊर्दू साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास - एहतेशाम हुसैन ।
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