अवध रियासत | |||||||||
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रियासत of ब्रिटिश राज | |||||||||
1732–1858 | |||||||||
![]() अवध 1857 में | |||||||||
Area | |||||||||
• 1901 | 62,072 कि॰मी2 (23,966 वर्ग मील) | ||||||||
Population | |||||||||
• ल. 1700 | 30,00,000 | ||||||||
• 1901 | 1,28,33,077 | ||||||||
History | |||||||||
• Established | 1732 | ||||||||
• ब्रिटिश संरक्षित राज्य | 1816 | ||||||||
1858 | |||||||||
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Today part of | ![]() |
अवध रियासत (अथवा अवध) ब्रिटिश राज में 1856 तक अवध क्षेत्र की एक रियासत होती थी। इस रियासत का नाम अयोध्या नगर से व्युत्पन्न है।
अवध की राजधानी फ़ैज़ाबाद में होती थी, पर ब्रिटिश एजेंट, जिनको "निवासी" कहलाया जाता था, लखनऊ में रहते थे। अवध के नवाब ने इनके लिए लखनऊ में निवास बनवाया था नागरिक विकास करने के दौरान।[1]
1858 में अवध ने दूसरों भारतीय रियासतें से मिलकर ब्रिटिश राज के ख़िलाफ़ विद्रोह में हिस्सा लिया, प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के आख़िरी सैनिक अभियान में। इस विद्रोह को बंबई के ब्रिटिश सेना ने हरा दिया शीघ्र अभियान में। 1859 तक विद्रोहियों छापेमार लड़ाई लड़ते रहे। इस बग़ावत को "अवध अभियान" भी कहलाया जाता है।[2]
व्यपगत का सिद्धान्त के ज़रिए अवध के राज्य-हरण करने के बाद ब्रिटिश ने अवध क्षेत्र को उत्तर-पश्चिमी प्रान्त का हिस्सा बना दिया।[3]
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के एक से अधिक मान दिए गए हैं (मदद); |ISBN=
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के एक से अधिक मान दिए गए हैं (मदद)