असिता ईसा पूर्व ६ठवीं शताब्दी के एक तपस्वी सन्त थे जिन्होंने सिद्धार्थ गौतम के जन्म पर उनके असाधारण होने की भविष्यवाणी की थी। ऐसा कहा जाता है कि असित और राजा शुद्धोधन (सिद्धार्थ के पिता) बचपन के साथी थे। सिद्धार्थ के जन्म पर वे पहली बार महल पधारे। शिशु की अद्वितीय महानता और ईश्वरीय गुणों से अवगत असित जब नवजात शिशु से मिले तो उन्होंने शिशु के चरणों में माथा टेका। शिशु के चरण असित की जटाओं में फँस गए। महात्मा रो पड़े। राजा ने पूछा ऐसी शुभ घड़ी में आप रोते क्यों हैं? महात्मा ने कहा मैं बूढ़ा हो गया हूँ और इस होने वाले महापुरुष के ऐश्वर्य से वंचित रहूंगा।
Narada (1 January 2006). The Buddha and His Teachings. Jaico Publishing House. p. 2. ISBN 978-81-7992-617-8.