अस्त्र | |
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अस्त्र प्रक्षेपास्त्र की कलाकार छवि | |
प्रकार | हवा से हवा में मारक |
उत्पत्ति का मूल स्थान | भारत |
उत्पादन इतिहास | |
निर्माता | रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन |
उत्पादन तिथि | मई ९, २००३ |
निर्दिष्टीकरण | |
वजन | १५४ किलोग्राम् |
लंबाई | ३५७० मी मी |
व्यास | १७८ मी मी |
वारहेड | १५ किलोग्राम (३३ पाउंड) उच्च विस्फोटक विखंडन दिशात्मक बम |
विस्फोट तंत्र | रडार निकटता फ्यूज |
इंजन | ठोस ईंधन रॉकेट |
पंख सीमा | २५४ मी मी |
परिचालन सीमा | ८०-१०० किलोमीटर सीधा, २० किलोमीटर उल्टा पीछा |
उड़ान छत | ६६,००० फीट |
गति | मैक ४ + |
मार्गदर्शन प्रणाली | इन्र्शिअल, मध्य कोर्स अद्यतन और टर्मिनल सक्रिय राडार (१५ किमी) |
प्रक्षेपण मंच | मिराज २००० एच, मिग २९, सी हैरियर, मिग २१, एच ए एल तेजस और सुखोई ३० एम के आई |
अस्त्र दृश्य सीमा से परे हवा से हवा में मार करने वाला प्रक्षेपास्त्र है जिसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ), भारत ने विकसित किया है।[1] यह हवा से हवा में मार करने वाला भारत द्वारा विकसित पहला प्रक्षेपास्त्र है। यह उन्नत प्रक्षेपास्त्र लड़ाकू विमानचालको को ८० किलोमीटर की दूरी से दुश्मन के विमानों पर निशाना लगाने और मार गिराने की क्षमता देता है।[2]
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने प्रक्षेपास्त्र को मिराज २००० एच, मिग २९, सी हैरियर, मिग २१, एच ए एल तेजस और सुखोई एसयू-३० एमकेआई विमानो में लगाने के लिए विकसित किया है। अस्त्र एक लम्बी मैट्रा ५३० सुपर जैसी दिखती है। यह ठोस ईंधन प्रणोदक इस्तेमाल करती है हालांकि डीआरडीओ इसके लिये आकाश प्रक्षेपास्त्र जैसी प्रणोदन प्रणाली विकसित करना चाहती है। प्रक्षेपास्त्र पराध्वनि गति से लक्ष्य विमान अवरोधन करने में सक्षम है।
९ से१२ मई २००३ को प्रक्षेपास्त्र का नियंत्रण और मार्गदर्शन प्रणाली के बिना सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। २५ मार्च २००७ को मिसाइल का पुन: सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया।[3] [4][5][6] १३ सितंबर २००८ को इसका जमीनी परीक्षण सफल रहा। ११ जनवरी २०१० को चांदीपुर उड़ीसा में किया गया परीक्षण सफल साबित नहीं हुआ क्योंकि प्रक्षेपास्त्र की इलेक्ट्रानिक प्रणाली में एक मामूली गडबडी आ गई थी। ६-७ जून २०१० को अस्त्र का रात्रि परीक्षण सफल साबित हुआ।[7][8][9][10]
अस्त्र प्रक्षेपास्त्र की अधिकतम सीमा ८०-१०० किलोमीटर सीधा और २० किलोमीटर उल्टा पीछा करते हुए हैं। प्रक्षेपास्त्र अलग अलग ऊंचाई से प्रक्षेपित की जा सकती है - १५ किलोमीटर की ऊंचाई पर ११० किलोमीटर, ८ किलोमीटर की ऊंचाई पर ४४ किलोमीटर और सतह पर २१ किलोमीटर कवर कर सकती है। मिसाइल में एक पूर्व खंडित बम है और एक निकटता फ्यूज भी उसमे फिट है। एक राडार फ्यूज पहले से ही प्रक्षेपास्त्र में मौजूद है लेकिन डीआरडीओ वर्तमान में एक नए लेजर फ्यूज पर काम कर रहा है। अस्त्र प्रक्षेपास्त्र मार्क २ की अधिकतम सीमा १५० किलोमीटर सीधा और ३५ किलोमीटर उल्टा पीछा करते हुए होगी।