आदिल मन्सूरी (18 मई 1936 - 6 नवंबर, 2008) एक प्रसिद्ध कवि, नाटककार, और सुलेखक था। उन्होंने कई भाषाओं, अर्थात्, गुजराती, हिन्दी और उर्दू में लिखा।
आदिल मंसूरी,जन्म समय नाम फरीद मोहम्मद गुलाम नबी मंसूरी, 18 मई 1936 को अहमदाबाद में हुआ था। उन्होंने प्रेमचंद रायचंद ट्रेनिंग कॉलेज, अहमदाबाद से अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी की और जीएल निऊ इंग्लिश स्कूल, अहमदाबाद और महानगर हाईस्कूल, कराची से अपनी माध्यमिक शिक्षा पूरी की। उन्होंने कई व्यवसायों पर अपना हाथ अजमाई। उन्होंने कराची में और अपने पूर्वजों के कपड़े की दुकान पर और बाद में अहमदाबाद में कपास और कपड़े के व्यवसाय में काम किया। उन्होंने अंग्रेजी टॉपिक और गुजराती अंगना पत्रिकाओं के साथ पत्रकार के रूप में काम किया। 1972 में विज्ञापन एजेंसी शिल्पी का कॉपीराइटर था। बाद में उन्होंने भारत छोड़ दिया और संयुक्त राज्य अमेरिका चला गया।[1] 6 नवंबर 2008 को संयुक्त राज्य अमेरिका, न्यू जर्सी में उनकी मौत हो गई।
उनकी गजल की प्रयोगात्मक रूपों में दिलचस्पी थी। वलांक (1963), पगार्व (1966) और सतात (1970) उनके गजल संग्रह हैं। उन्होंने कई अन्य रूपों में कविता लिखी है, लेकिन उन्हें मुख्यतः अपने गजलों के लिए जाना जाता है। उनकी गजल उर्दू गजल से प्रभावित हैं। उन्होंने गुजराती, हिंदी और उर्दू में गजलें लिखी और एक भाषा के शब्दों का दूसरी में खुल कार इस्तेमाल किया।[1]
हाथ पग बंधायेला छे (1970) और जे नथी ते (1973) उनके अब्सर्ड एकांकी नाटकों के संग्रह हैं।[1]
उन्होंने 2008 में वली गुजराती पुरस्कार प्राप्त किया।[2]
आदिल मन्सूरी से संबंधित मीडिया विकिमीडिया कॉमंस पर उपलब्ध है। |