आनन्दपुर साहिब Anandpur Sahib ਅਨੰਦਪੁਰ ਸਾਹਿਬ | |
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आनन्दपुर साहिब, विरासत-ए-खालसा, तख्त श्री केसगढ़ साहिब, आनन्दपुर नदी किनारा | |
निर्देशांक: 31°14′06″N 76°29′56″E / 31.235°N 76.499°Eनिर्देशांक: 31°14′06″N 76°29′56″E / 31.235°N 76.499°E | |
देश | ![]() |
प्रान्त | पंजाब |
ज़िला | रूपनगर ज़िला |
ऊँचाई | 311 मी (1,020 फीट) |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 16,282 |
भाषा | |
• प्रचलित | पंजाबी |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 140118 |
दूरभाष कोड | 91-1887 |
वाहन पंजीकरण | PB 16 |
वेबसाइट | www |
आनन्दपुर साहिब (Anandpur Sahib) भारत के पंजाब राज्य के रूपनगर ज़िले में स्थित एक ऐतिहासिक नगर है। यह शिवालिक पर्वतमाला के चरणों में सतलुज नदी के समीप स्थित है। आनन्दपुर साहिब सिख धर्म से सबसे पवित्र स्थानों में से एक है। यहाँ दो अंतिम सिख गुरु, श्री गुरु तेग बहादुर जी और श्री गुरु गोविंद सिंह जी, रहे थे और यहीं सन् 1699 में गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना करी थी। यहाँ तख्त श्री केसगढ़ साहिब है, जो सिख धर्म के पाँच तख्तों में से तीसरा है। यहाँ बसंत होला मोहल्ला का उत्सव होता है, जिसमें भारी संख्या में सिख अनुयायी एकत्र होते हैं।[1][2][3][4]
आनन्दपुर साहिब से पहले यह एक माखोवाल नाम गांव था, जो कहलूर रियासत (वर्तमान हिमाचल प्रदेश) के अंतर्गत आता था। जब सिखों के नवें गुरू गुरु तेग़ बहादुर को कहलूर ने राजा ने अपनी रियासत में शरण दी, तब राजा ने गुरु साहिब को १६६५ में इस जगह बसाया। तब गुरु जी ने इस जगह का नाम माखोवाल से बदल कर चक्क नानकी रखा। फिर बाद में इस जगह का नाम आनन्दपुर पड़ा।
पंजाब व हिमाचल की सीमा पर स्थित।