सर
रामासामी चेट्टी कंदासामी शनमुखम चेट्टी केसीआइई | |
![]() 1947 में शनमुखम चेट्टी | |
कार्यकाल 15 अगस्त 1947 – 17 अगस्त 1948 | |
प्रधान मंत्री | जवाहरलाल नेहरू |
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पूर्व अधिकारी | लियाक़त अली ख़ान |
उत्तराधिकारी | जॉन मथाई |
कोचीन के दीवान
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कार्यकाल 1935 – 1941 | |
शासक | सत्रहवें राम वर्मा |
पूर्व अधिकारी | सी जी हर्बर्ट |
उत्तराधिकारी | ए एफ डब्लू डिकिन्सन |
केन्द्रीय विधान सभा के अध्यक्ष
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कार्यकाल सितम्बर 1933 – 1935 | |
गवर्नर–जनरल | लॉर्ड विलिंग्डन |
पूर्व अधिकारी | सर मुहम्मद याकूब |
उत्तराधिकारी | सर अब्दुर रहीम |
इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल (केन्द्रीय विधान सभा) के सदस्य
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कार्यकाल 1924 – 1935 | |
गवर्नर–जनरल | लॉर्ड रीडिंग, लॉर्ड इर्विन, लॉर्ड विलिंग्डन |
जन्म | 17 अक्टूबर 1892 कोयंबटूर, मद्रास प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत (अब तमिलनाडु), भारत |
मृत्यु | 5 मई 1953 कोयंबटूर, तमिलनाडु, भारत | (उम्र 60 वर्ष)
राष्ट्रीयता | भारतीय |
राजनैतिक पार्टी | स्वराज पार्टी जस्टिस पार्टी |
विद्या अर्जन | मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज मद्रास लॉ कॉलेज |
व्यवसाय | विधायक |
पेशा | अधिवक्ता, राजनेता |
धर्म | हिन्दू |
सर रामासामी चेट्टी कंदासामी शनमुखम चेट्टी (17 अक्टूबर 1892 – 5 मई 1953) एक भारतीय अधिवक्ता, अर्थशास्त्री तथा राजनेता थे, जो 1947 से 1949 तक स्वतंत्र भारत के प्रथम वित्त मंत्री रहे। उन्होंने 1933 से 1935 तक भारत की केन्द्रीय विधान सभा के अध्यक्ष के रूप में, और 1935 से 1941 तक कोचीन राज्य के दीवान के रूप में भी कार्य किया।
शनमुखम चेट्टी का जन्म 1892 में कोयंबटूर के एक साधारण तेली परिवार में हुआ था, और उन्होंने मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज और मद्रास लॉ कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की। अपनी शिक्षा पूरी होने पर, शनमुखम चेट्टी जस्टिस पार्टी में शामिल हो गए और 1917 में कोयंबटूर नगरपालिका के पार्षद चुने गए।[1] 1920 में जस्टिस पार्टी के टिकट पर उन्होंने मद्रास विधानसभा के लिए चुनाव लड़ा, जिसमें वह विजयी हुए, हालाँकि 1922 में उन्होंने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया।[2]
इसके बाद चेट्टी स्वराज पार्टी से जुड़े, और 1924 में भारत की केन्द्रीय विधान सभा के लिए चुने गये।[3] 1932 में उन्हें सभा के उपाध्यक्ष के रूप में चुना गया, और फिर 1933 में वह सभा के अध्यक्ष भी बन गए।[4][5] 1935 के चुनावों में पराजित होने पर चेट्टी वापस दक्षिण भारत लौट आए, जहां उन्होंने 1935 से 1941 तक उन्होंने कोचीन राज्य के दीवान के रूप में कार्य किया।[6]
1947 में भारत की स्वतन्त्रता के पश्चात, भारत के प्रथम प्रधान मंत्री, जवाहरलाल नेहरू ने चेट्टी को अपने वित्त मंत्री के रूप में चुना।[7] चेट्टी को 26 नवंबर 1947 को स्वतंत्र भारत का पहले बजट पेश करने के लिए भी याद किया जाता है।[8]
5 मई 1953 को हृदय गति रुक जाने के कारण शनमुखम चेट्टी की मृत्यु हो गई।[9]