आरती गुप्ता साहा | |
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भारत के 1999 के डाक टिकट पर आरती साहा | |
जन्म |
24 सितम्बर 1940 कोलकता, बंगाल, ब्रिटिश भारत |
मौत |
23 अगस्त 1994 कोलकाता, पश्चिम बंगाल, भारत 23 अगस्त 1994 | (उम्र 53 वर्ष)
राष्ट्रीयता | भारतीय |
पेशा | तैराक |
पुरस्कार | पद्म श्री |
आरती साहा (२४ सितंबर १९४० - २३ अगस्त १९९४ ) भारत तथा एशिया की पहली महिला इंग्लिश चैनल पार करने वाली प्रसिद्ध तैराक थीं।[1]
कलकत्ता , पश्चिम बंगाल की मूल निवासी आरती ने चार साल की उम्र से ही तैराकी शुरु कर दी थी। उनका पूरा नाम आरती साहा 'गुप्ता' है। सचिन नाग ने उनकी इस प्रतिभा को पहचाना और उसे तराशने का कार्य शुरु किया। 1949 में आरती ने अखिल भारतीय रिकार्ड सहित राज्यस्तरीय तैराकी प्रतियोगिताओं को जीता। उन्होंने 1952 में हेलसिंकी ओलंपिक में भी भाग लिया।[2]
भारतीय पुरुष तैराक मिहिर सेन से प्रेरित होकर उन्होंने इंग्लिश चैनल पार करने की कोशिश की और 29 सितम्बर 1959 को वे एशिया से ऐसा करने वाली प्रथम महिला तैराक बन गईं। उन्होंने ४२ मील की यह दूरी १६ घंटे 20 मिनट में तैय की।
उन्हें 1960 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
पीलिया के कारण २३ अगस्त १९९४ को उनकी मृत्यु हो गई।