आश्रमवासिक पर्व में भी ३ उपपर्व हैं-
पर्व | शीर्षक | उप-पर्व संख्या | उप-पर्व सुची | अध्याय एवम श्लोक संख्या | विषय-सूची |
१५ | आश्रम्वासिकापर्व | ९३-९५ |
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८२/१५०६ |
इस पर्व में कुल मिलाकर ८२ अध्याय हैं। आश्रमवासिक पर्व में भाइयों समेत युधिष्ठिर और कुन्ती द्वारा धृतराष्ट्र तथा गान्धारी की सेवा, व्यास जी के समझाने पर धृतराष्ट्र, गान्धारी और कुन्ती को वन में जाने देना, वहाँ जाकर इन तीनों का ॠषियों के आश्रम में निवास करना, महर्षि व्यास के प्रभाव से युद्ध में मारे गये वीरों का परलोक से आना और स्वजनों से मिलकर अदृश्य हो जाना, नारद के मुख से धृतराष्ट्र, गान्धारी और कुन्ती का दावानल में जलकर भस्म हो जाना सुनकर युधिष्ठिर का विलाप और उनकी अस्थियों का गंगा में विसर्जन करके श्राद्धकर्म करना आदि वर्णित है। |