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मिशन प्रकार | एबॉर्ट परीक्षण |
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संचालक (ऑपरेटर) | भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन |
उपसौर (एपोजी) | 2.7 कि॰मी॰ (1.68 मील), |
अंतरिक्ष यान के गुण | |
अंतरिक्ष यान प्रकार | गगनयान की बॉयलरप्लेट |
लॉन्च वजन | 12.5 टन[1] |
मिशन का आरंभ | |
प्रक्षेपण तिथि | 5 जून 2018[2] |
रॉकेट | गगनयान लॉन्च एबॉर्ट प्रणाली |
प्रक्षेपण स्थल | सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र |
इसरो पैड एबॉर्ट परीक्षण (ISRO Pad Abort Test या PAT) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा भारतीय मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम के हिस्से के रूप में अपने क्रू मॉड्यूल का एक पैड एबॉर्ट परीक्षण करना है। इसका सफल परीक्षण 5 जुलाई 2018 को हुआ था।।[2]
पैड एबॉर्ट परीक्षण मानव अंतरिक्ष यान की लॉन्च को आपातकाल दिशा में सुरक्षित निकलने वाले सिस्टम के लिए एक परीक्षण है। कभी-कभी इसे लॉन्च एस्केप सिस्टम भी कहा जाता है। यह प्रणाली एक संभावित विफलता की स्थिति में जल्दी से चालक दल और अंतरिक्ष यान को रॉकेट से दूर करने के लिए डिज़ाइन की गई है। यह एक लड़ाकू पायलट के लिए एक इजेक्शन सीट के समान है। लेकिन इसमे अंतरिक्ष यान से चालक दल को बाहर निकालने के बजाय, पूरे अंतरिक्ष यान को प्रक्षेपण वाहन से दूर "निकाला" जाता है। इस विकसित तकनीक को 2022 में लॉन्च होने वाले गगनयान नामक पहले भारतीय चालक अंतरिक्ष यान पर उपयोग करने की संभावना है।
5 जुलाई 2018 को परीक्षण के लिए उल्टी गिनती 2:00 बजे (भारतीय समयानुसार) शुरू हुई। 7:00 बजे (भारतीय समयानुसार) क्रू मॉड्यूल के साथ क्रू एस्केप सिस्टम ने सफलतापूर्वक सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी। क्रू मॉड्यूल 2.7 कि॰मी॰ (1.68 मील) की ऊँचाई पर पहुँचा था। बाद में इसे सुरक्षित रूप से पैराशूट की सहायता से लॉन्च केंद्र से 2.9 कि॰मी॰ (1.80 मील) दूर बंगाल की खाड़ी में उतारा गया। बाद में रिकवरी नौकाओं को क्रू मॉड्यूल को पुनर्प्राप्त करने के लिए भेजा गया था। इस परीक्षण मिशन की कुल अवधि 259 सेकंड तक चली। इस परीक्षण लॉन्च प्रक्रिया में लगभग 300 सेंसर द्वारा डाटा प्राप्त किया गया।[3][4]