इस्लाम |
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विज्ञान पर इस्लाम के संदर्भ में मुस्लिम विद्वानों ने दृष्टिकोण की स्पेक्ट्रम (पहुँच) का विकास किया है ।[1] क़ुरआन मुसलमानों को प्रकृति का अध्ययन करने और सच्चाई की जांच के लिए प्रोत्साहित करता है।[2]कुछ वैज्ञानिक घटनाओं के बारे में जिन की बाद में वैज्ञानिक अनुसंधान द्वारा पुष्टि की गई उदाहरण के लिए भ्रूण की संरचना, हमारे सौर मंडल और ब्रह्मांड के निर्माण का संबंध आदि की जानकारी क़ुरआन में पहले से मौजुद है, और उसमें कई वैज्ञानिक तथ्य है।[3][4]
मुसलमान अक्सर सूरा अल-बक़रा से आयत 239 का हवाला देते हैं – उसने तुम्हें (वह सब) सिखाया, जो तुम नहीं जानते थे।[5]– उनके विचार के समर्थन में उन्हे बताने के लिए कि क़ुरआन नए ज्ञान के अर्जन को बढ़ावा देता है। कुछ मुस्लिम लेखकों के लिए, विज्ञान का अध्ययन तौहीद से उत्पन्न हुआ है।[6] बहुत सी स्थितिओं में, क़ुरआन ने, विज्ञान का बहुत प्रभावाशाली रूप में उल्लेख किया और विज्ञान जानने के लिए मुसलमानों के लिए प्रोत्साहित किया, चाहे प्राकृति या साहित्य हो।
मध्यकालीन मुस्लिम सभ्यता (सातवीं से तेरहवीं शती के बीच फारस एवं अरब के मुसलमानों ने) के वैज्ञानिकों (जैसे इब्न-अल-हैदम) का आधुनिक विज्ञान के कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान रहा।[7][8][9] इस तथ्य को आज मुस्लिम दुनिया में गौरव समझा जाता है। उसी समय में, जब मुस्लिम देशो के कुछ हिस्सों में विज्ञान शिक्षा की कमी के बारे में मामलें को उठाया गया था[10]
यह व्यापक रूप से मान्य किया गया है कि क़ुरआन में लगभग 6236 आयात(श्लोक) प्राकृतिक घटनाओं का ज़िक्र करते हैं। कई आयात(श्लोक) मानवजाति से क़ुदरत के अध्ययन करने का बुलावा देती हैं।