उपेन्द्र कुशवाहा[1] | |
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जन्म |
2 जून 1960[2] वैशाली[2] |
नागरिकता | भारत[3] |
शिक्षा | बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय |
पेशा | राजनीतिज्ञ[3] |
राजनैतिक पार्टी | समता पार्टी, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी[4] |
उपेन्द्र कुशवाहा भारत की सोलहवीं लोकसभा में सांसद हैं।[5][6]
आरंभ में उपेन्द्र कुशवाहा जनता दल (यूनाइटेड) के सदस्य थे। नवंबर 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में कुशवाहा अपने ही चुनाव क्षेत्र से हार गए और वो भी तब, जब जेडी(यू) और भाजपा की भारी जीत हुई.. इसके बाद कुशवाहा ने जनता दल (यूनाइटेड) का साथ छोड़कर नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी का हाथ थाम लिया। कुशवाहा ने कुशवाहा जाति का समर्थन जुटाना शुरू किया. उस वक़्त कुशवाहा और कुर्मी समाज जेडी (यू) का मुख्य वोटबैंक था. आधिकारिक तौर पर किसी भी जाति की ठीक-ठीक जनसंख्या बताना तो मुश्किल है, लेकिन बिहार की राजनीति पर नज़र रखने वालों का मानना है कि बिहार में कुर्मी 2-3 फ़ीसदी हैं, जबकि कुशवाहा 10-11फ़ीसदी है।31 अक्टूबर 2009 को सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती के मौके पर नीतीश कुमार ने उपेंद्र कुशवाहा को जेडी (यू) में लौट आने का न्यौता दिया। [7]
2 फ़रवरी 2010 को शोषित समाज दल के दिवंगत और समाजवादी नेता बाबू जगदेव प्रसाद की जयंती के मौक़े पर नीतीश और कुशवाहा ने सार्वजनिक तौर पर पिछड़ी जातियों के समर्थन की घोषणा की. उसी साल नीतीश कुमार ने उपेंद्र कुशवाहा को राज्यसभा भेज दिया. इसके बाद राजनीतिक रूप से सशक्त कुशवाहा ने जेडी (यू) के भीतर अपनी ताक़त दिखाना शुरू किया. वो एक बार फिर 2013 में तीन मार्च को जदयू से अलग हो गए और रालोसपा नाम की अलग पार्टी बना ली.रालोसपा शुरू में भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी पार्टी थी[8] पर 2015 विधानसभा चुनाव के बाद जदयू के राजग में दोबारा शामिल होने पर उसे राजग छोड़ना पड़ा।[9][10]
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(मदद)
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