उमेश चन्द्र बनर्जी | |
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जन्म |
29 दिसम्बर 1844 कलकत्ता, ब्रितानी भारत |
मौत |
21 जुलाई 1906 | (उम्र 61 वर्ष)
राष्ट्रीयता | भारतीय |
शिक्षा की जगह |
ओरिएंटल सेमिनरी हिन्दू स्कूल |
पेशा | वकील |
प्रसिद्धि का कारण | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष व्योमश्र्चंद्रा बनर्जी |
जीवनसाथी | हेमांगीनी मोतीलाल (वि॰ 1859) |
व्योमेश चन्द्र बनर्जी (29 दिसम्बर 1844 – 21 जुलाई 1906) भारतीय बैरिस्टर एवं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष थे। ब्रिटेन के हाउस ऑफ कॉमन्स के लिये चुनाव लड़ने वाले वे प्रथम भारतीय थे (किन्तु वे जीत नहीं पाये)। ब्रितानी संसद में प्रवेश पाने की उन्होने दो कोशिशें की किन्तु असफल रहे।
उमेश चन्द्र बनर्जी का जन्म 29 दिसम्बर 1844 को कलकत्ता के एक उच्च मध्यम वर्ग के कुलीन ब्राह्मण परिवार में हुआ। उनके पूर्वज हुगली जिले के बंगदा नामक गाँव से थे। उनके पिता कलकत्ता उच्च न्यायालय में न्यायवादी थे।[1] 1859 में उनका विवाह हेमांगिनी मोतीलाल के साथ हुआ। उन्होंने 1862 डब्ल्यू॰पी॰ अटोर्नीज़ ऑफ़ कलकत्ता सुप्रीम कोर्ट में लिपिक की नौकरी आरम्भ की। इस समय उन्होंने कानूनी जानकारियाँ प्राप्त की जो उनके आगे के जीवन में काफी सहायक रही। 1864 में उन्हें बम्बई के आर॰जे॰ जीजाबाई ने छात्रवृत्ति के साथ इंग्लैण्ड भेजा।[1][2] 1868 में अपनी कोलकाता वापसी पर उन्हें सर चार्ल्स पॉल, बैरिस्टर-एट-लॉ, कलकत्ता उच्च न्यायालय में नौकरी मिली।[1] अन्य वकील जे॰पी॰ केनेडी ने भी उनकी एक वकील के रूप में काफी सहायता की। कुछ ही समय में वो उच्च न्यायालय के जाने-माने वकीलों में से एक हो गये। वो कलकत्ता विश्वविद्यालय के छात्र एवं इसके विधि संकाय के अध्यक्ष भी रहे[1] और इसके बाद विधान परिषद् के लिए भी चुने गये।[2] वो कलकत्ता बार से 1901 में सेवा निवृत्त हुए।[1] उनकी पुत्री जानकी बनर्जी ने नेवंहम कॉलेज, कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में प्राकृत विज्ञान, रशायन शास्त्र, प्राणीशास्त्र और कार्यिकी की शिक्षा प्राप्त की।[3]
उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बम्बई में 1885 में हुए प्रथम सत्र की अध्यक्षता की।[2] यह सत्र 28 दिसम्बर से 31 दिसम्बर तक चला था और 72 सदस्यों ने इसमें भाग लिया था।[4][5]