ऋण संकट एक ऐसी स्थिति है जिसमें एक व्यक्ति, व्यवसाय, सरकार, या अन्य संस्था अपने ऋणों को चुकाने में असमर्थ हो जाती है। यह स्थिति आर्थिक अस्थिरता का कारण बन सकती है।
ऋण संकट, कर आय की तुलना में, बड़े पैमाने पर लोक ऋण के प्रसार के लिए प्रयुक्त सामान्य शब्द हैं, जिसका विशिष्ट सन्दर्भ १९८० के दशक के दौरान लातिनी अमरीकी देश, और मध्य २००० के दशक से संयुक्त राज्य अमेरिका व यूरोपीय संघ, और साथ ही २०१५ के चीनी ऋण संकटों से हैं।[1][2][3][4] [5]
ऋण संकट के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
जब कोई व्यक्ति या संस्था अपने ऋणों को चुकाने के लिए पर्याप्त आय नहीं कमाती है, तो वह ऋण संकट में पड़ सकती है। सबसे बड़ा इसका उदहारण अमेरिका के ऊपर कर्ज [6]
आर्थिक मंदी के दौरान, व्यवसायों और व्यक्तियों की आय कम हो सकती है, जिससे वे अपने ऋणों को चुकाने में असमर्थ हो सकते हैं।
राजनीतिक अस्थिरता के कारण अर्थव्यवस्था अस्थिर हो सकती है, जिससे ऋण संकट बढ़ सकता है।