एंड्रयू यूल एंड कंपनी लिमिटेड

एंड्रयू यूल एंड कंपनी लिमिटेड
कंपनी प्रकार[सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम]
कारोबारी रूप
BSE: 526173
NSEANDREWYULE
स्थापित1863
स्थापक[एंड्रयू यूल]
मुख्यालय,
प्रमुख लोग
श्री संजय भट्टाचार्य [(अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक)]
शुद्ध आय
27 करोड़ (US$3.94 मिलियन) (2016-17)[1]
मालिकभारत सरकार
प्रभागइंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल, चाय
सहायकहुगली प्रिंटिंग
वेबसाइटwww.andrewyule.com

एंड्रयू यूल एंड कंपनी लिमिटेड एंड्रयू यूल समूह की स्वतंत्रता-पूर्व की प्रमुख कंपनियों में से एक है। इसने एक प्रबंधन एजेंसी के रूप में अपना व्यापार शुरु किया। सरकार ने जब इसमें हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया तो 1979 में यह एक सरकारी कंपनी बन गई। यह भारी उद्योग विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत है और इसमें सरकार की 93.14 प्रतिशत की इक्विटी हिस्सेदारी है जबकि शेष हिस्सेदारी जनता की है। कंपनी के शेयर स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध हैं।

यह विविध उत्पादों/व्यापारों का एक समूह है। प्रमुख रूप से इसके तीन प्रभाग हैं जो इस प्रकार हैं:- चाय प्रभाग जो सीटीसी और ऑर्थोडॉक्स टी का उत्पादन करता है, विद्युतीय प्रभाग जो विभिन्न विद्युतीय उपकरणों जैसे एचटी एंड एलटी स्विचगियरों और ट्रांसफॉर्मरों आदि का उत्पादन करता है तथा आभियांत्रिकी प्रभाग जो औद्योगिक पंखों, वायु प्रदूषण नियंत्रण उत्पादों, उत्प्रवाही और जल उपचार संयंत्रों आदि का उत्पादन करता है। इसका आभियांत्रिकी प्रभाग पश्चिम बगाल के कल्याणी, विद्युत प्रभाग की इकाई कोलकाता और चेन्नई तथा चाय के बागान पश्चिम बंगाल और असम में स्थित हैं। 150 वर्षों के शानदार व्यापारिक इतिहास के बावजूद इसकी स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा था और 2001-02 में इसकी शुद्ध संपत्ति के क्षरण के साथ ही यह एक रुग्ण कंपनी बन गई और बीआईएफआर को इसे निर्दिष्ट कर दिया गया। सरकार द्वारा इसके लिए 2003 में पुनरुद्धार पैकेज दिए जाने के बावजूद इसकी स्थिति में परिवर्तन नहीं आया। चाय की थोक क़ीमतों और निर्यात में कमी, आदानों की लागत में वृद्धि, बड़ी संख्या में राज्य विद्युत बोर्ड के देनदार, विद्युत उत्पादों के उन्नयन में विफलता और निधियन के अभाव में विद्युत उपकरणों के प्रमाण-पत्रों को पुनर्वैध न कर पाना, कार्यशील पूंजी की समस्या, बैंक गांरटी की ज़रुरत के कारण निविदाओं में भाग न लेसकना, आवश्यकता से अधिक जनशक्ति, ज़रुरत आधारित कार्यशील पूंजी मुहैया कराने में बैंकों की अनिच्छा, निष्क्रीय नकदी ऋण खाते, अपर्याप्त निवेश/आधुनिकीकरण, विक्रेताओं के विश्वास में कमी तथा सीमित उत्पाद विविधीकरण इसकी खराब स्थिति के मुख्य कारण थे।

2006 में कंपनी को बीआरपीएसई के हाथों सौंप दिया गया। बोर्ड ने समग्र दृष्ष्टिकोण के साथ कंपनी के संचालन पर दृष्टिपात किया और इसके पुनरुद्धार के लिए निम्नलिखित रणनीतियां तैयार की :

  • विद्युतीय और आभियांत्रिकी प्रभागों को दो अलग-अलग सहायक कंपनियों के रूप में विभाजित करके व्यापारिक पुनर्गठन करना ताकि विद्युत और आभियांत्रिकी क्षेत्र के बढ़ते अवसरों को अलग से पकड़ कर व्यापार को स्वतंत्रतापूर्वक बढ़ाया जा सके।
  • एवाईसीएल की शेयर धारिता को- टीडबल्यूओएल, पीवाईएल और डीपीएससी समूह कंपनियों में विनिवेश कर समूह पुनर्गठन द्वारा इसके पुनरुद्धार की कोशिश करना।
  • कंपनी की बैलेंस शीट को साफ कर वित्तीय पुनर्गठन ताकि बाज़ार की विश्वसनीयता में सुधार लाया जा सके और कंपनी वापस अपनी स्थिति में आ जाए तथा कार्यशील पूंजी के लिए ताजा निधियन, कैपेक्स, देनदारियों का निर्वहन और बैंक गारंटी का प्रावधान आदि।
  • सबसे नीचे की रेखा में सुधार लाने के लिए जनशक्ति का पुनर्गठन और लाभप्रदता में सुधार लाने के लिए बढ़ते हुए चाय खंड- पैक चाय के व्यापार में प्रवेश करना।
  • इसके पुनर्गठन के बाद सतत पुनरुद्दार लाने के लिए यूल इंजीनियरिंग लिमिटेड और भेल के बीच संयुक्त उद्यम की संभावनाओं को तलाशना।


फरवरी 2007 में सरकार ने पुनरुद्धार पैकेज को मंज़ूरी दे दी जिसमें निम्नलिखित चीजें शामिल थीं:

सहायक कंपनियों का निर्माण: एवाईसीएल के विद्युत और आभियांत्रिकी प्रभाग को दो अलग अलग कंपनियों यूल इंजिनियरिंग लिमिटेड और यूल इलेक्ट्रिकल लिमिटेड में विभाजित करना।


निधियन: सरकार द्वारा इक्विटी के माध्यम से 87.06 करोड़ रुपयों का सम्मिश्रण और योजना निधियन के रूप में 29.56 करोड़ रुपए प्रदान करना।


छूट : 45.17 करोड़ रुपए के ऋण और ऋण पर ब्याज आदि को माफ करना/ रुपांतरित करना।


सरकारी गांरटी: 111.96 करोड़ रुपए के लिए सरकार द्वारा गारंटी देना


सहायक कंपनियों का विनिवेश : एवाईसीएल को विनिवेश की मंज़ूरी देना और (अ) टाईड़ वाटर ऑयल कंपनी (इंड़िया) लिमिटेड़ (टीओडब्लयूएल) (ब) फोनेक्स यूल लिमिटेड़ (पीवाईएल) (स) दिशेरगढ़ सप्लाई कंपनी लिमिटेड (डीपीएससी) में इसके सभी शेयरों को समाप्त करना और 76.21 करोड़ रुपए की इसकी अनुमानित बिक्री आय से इसके पुनर्गठन और इसकी ज़रुरतों को पूरा करना। एवाईसीएल की सौ फीसदी इक्विटी को यूल इंजिनियरिंग और यूल इलेक्ट्रिकल लिमिटेड़ में विनिवेश को मंज़ूरी देना।


इससे आशा की एक नई किरण का संचार हुआ। प्रबंधन, कर्मचारियों और हितधारकों के एकजुट प्रयास से पहले ही वर्ष में कंपनी में काफी परिवर्तन आया और बाद के वर्षों में और अधिक वृद्धि हुई। कर्मचारियों के बीच भरोसा और विश्वास दोबारा कायम करने और उन्हें एक साथ मिलकर काम करने की प्रेरणा देने से उत्पादकता और प्रदर्शन में सुधार आया। चक्रण समय और सुपुदर्गी के समय में कमी लाने के लिए अथक प्रयास किए गए। स्टॉक प्रबंधन और देनदारों के प्रबंधन के लिए विशेष प्रयास किए गए।

प्रमुख बिंदु

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  • कंपनी बैंकरों का भरोसा दोबारा प्राप्त करने में सक्षम रही और बैंको से इसे राहत और रियायते मिली जिससे बैलेंस शीटों को नए सिरे से बनाया जा सका और कंपनी की वित्तीय स्थिति और विश्वसनीयता में सुधार आया। ब्याज दरों में कटौती प्राप्त करने में कंपनी सक्षम रही।
  • कंपनी ने सफलतापूर्वक समूह कंपनियों- पीवाईएल और डीपीएससी में विनिवेश किया और पुनरुद्धार प्रस्ताव में उसे जिस ऋण के लिए मंज़ूरी मिली थी उसका सरकार को वापस भुगतान कर दिया।
  • उपभोक्ताओं और आपूर्तिकर्ताओं के साथ नज़दीकी बातचीत के कारण भी कंपनी को उनके साथ अपने संबंध पुनर्स्थापित करने में मदद मिली।
  • संघों के विभिन्न आसन्न मुद्दों के निपटान से प्रबंधन में उनका विश्वास दोबारा कायम हुआ और विभिन्न संचालन इकाईयों के साथ शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण औद्योगिक रिश्तों को कायम रखा गया, मानव आस्तियों के मूल्य में संवर्धन के लिए करमचारियों के प्रशिक्षण और विकासात्मक गतिविधियों को मज़बूत किया गया।
  • टाइड वाटर ऑयल कंपनी (इंडिया) लिमिटेड़ एंड्रयू यूल समूह के ताज का बेशकीमती रत्न हैजो कि बेहद प्रतिस्पर्धात्मक स्नेहक बाज़ार में संचालन करता है और इसका लक्षित वार्षिक सकल कारोबार 1000 करोड़ रुपए का है। कंपनी ने कैस्ट्रॉल लिमिटेड़ और ल्यूब्रिकेंट यू॰के॰ लिमिटेड़ से वीडोल इंटरनेशनल लिमिटेड के 100 प्रतिशत शेयरों का अधिग्रहण कर लिया है।
  • कंपनी को प्रतिवर्तन वर्ग के लिए वर्ष 2007 के स्कोप उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।


2007-08 से कंपनी लाभ अर्जित करने लगी। 2008-09 से इसकी शुद्ध संपत्ति सकारात्मक में तब्दील हो गई।

वर्तमान में कंपनी नवीन उत्पादों और व्यवसायों जैसे – वायु पृथक्करण व्यापा, लघु पवन टरबाईन, सौर हाईब्रिड़ व्यापार (एसडब्ल्यूटी) परियोजना, ट्रांसफॉर्मर की क्षमता में संवर्धन और उसकी रेटिंग के लिए व्यापार संबंधों की तलाश कर रही है। इसके साथ ही प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए एचईएजी चीन के साथ गठजोड़ तथा उच्च रेटिंग-40 केए के सर्किट ब्रेकर के निर्माण आदि के लिए भी संभावनाओं की तलाश कर रही है।

अपने सामाजिक दायित्वों के प्रति कंपनी हमेशा ही जागरुक रही है और कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व के प्रमुखता से सामने आने से भी पूर्व यानि 25 वर्षों से भी अधिक समय से यह अपने चाय बागानों में सामाजिक कर्तव्यों के प्रति अपना योगदान करती रही है। कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी के तहत कंपनी विभिन्न गतिविधियों जैसे- आंगनवाडी स्कूलों के निर्माण और इनके संचालन, रात्रि विद्यालयों को शुरु करने, मलेरिया रोकथाम और एचआईवी/एड्स जागरुकता शिविरों का संचालन, पंचायतों द्वारा चलाए जा रहे विद्यालयों में पानी की सुविधा मुहैया कराना और युवाओं के लिए व्यावसायिक कार्यक्रम का संचालन करती है।

कंपनी ने अपने कायापलट की कहानी रची है। कर्मचारियों के बीच दोबारा आत्म विश्वास कायम कर इसने आशा की एक नई किरण दर्शायी है कि कंपनी अपने अतीत के गौरव को फिर से हासिल करेगी।

बाहरी कड़ियाँ

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  1. Singh, Mahendra K. (26 May 2018). "Government looking at stake sales in 11 more public sector companies". The Economic Times. अभिगमन तिथि 26 May 2018.