रिचर्ड एटकिंसन और रिचर्ड शिफरीन ने सन् 1968 में स्मृति को व्याख्यायित करने हेतु एक सिद्धांत प्रस्तुत किया जिसे स्मृति का "अवस्था माॅडल" अथवा "मोडल माॅडल" के रूप में जाना जाता है। इस सिद्धांत का दावा है कि मानव स्मृति के तीन अलग-अलग घटक होते हैं:
अपने प्रथम प्रकाशन के बाद से ही यह मॉडल काफी जाँच के दायरे में आया है तथा विभिन्न कारणों से इसकी आलोचना भी की गई है (जिसका वर्णन नीचे किया गया है)। परंतु, आधुनिक स्मृति अनुसंधान को प्रोत्साहित करने में इसका महत्वपूर्ण योगदान है, अतः यह उल्लेखनीय है।