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फ़्रैंक बर्सले टेलर (अंग्रेज़ी:Frank Bursley Taylor, 1860 – 1938) एक अमेरिकी भूगर्भशास्त्री थे। [1] उन्होंने महाद्वीपों और महासागरों के निर्माण की समस्या को सुलझाने के लिये नवीन विचार दिया जिसे" महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धान्त" 1908 म् दिया था जिसका प्रकाशन 1910 म् हुआ था। टेलर का मुख्य उद्देश्य टर्शयरीयुग के नवीन मोड़दार पर्वतो की उत्त्पत्ति की व्याख्या करने था।
उत्तरी भाग में लॉरेशिया तथा दक्षिणी भाग का गोंडवाना लैंड था। महाद्वीपों सियाल व महासागर तली सिमा से निर्मित है। सियाल सिमा पर तैर रहा था। टेलर का कहना है कि स्थल भागों के प्रवाह ज्वारिय बल के कारण हुआ। यह प्रवाह विषुवत रेखा तथा पश्चिम दिशा में हुआ है। टेलर अनुसार जहा भी प्रवाह में अवरोध हुआ वहाँ पर उनके अग्र भागों में पर्वतों ओर द्वीपीय चापों का निर्माण हुआ है।