मिंजुर भक्तवत्सलम | |
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के हरिपुरा सत्र में भक्तवत्सलम, 1938 | |
चौथें मद्रास के मुख्यमंत्री
| |
---|---|
कार्यकाल 2 अक्टूबर 1963 – 6 मार्च 1967 | |
प्रधान मंत्री | जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी |
राज्यपाल | भीष्नुरम मेधी, जयचमराजा वोडेयार बहादुर, पी.चंद्र रेड्डी (कार्यकारी), सरदार उज्जल सिंह (कार्यकारी) |
पूर्व अधिकारी | के. कामराज |
उत्तराधिकारी | सी. एन. अन्नादुरै |
लोक निर्माण और योजना मंत्री (मद्रास प्रेसीडेंसी)
| |
कार्यकाल 24 मार्च 1947 – 6 अप्रैल 1949 | |
राजनयिक | ओ. पी. रामस्वामी रेड्डीयार |
जन्म | 09 अक्टूबर 1897 |
मृत्यु | 13 फ़रवरी 1987 चेन्नई, तमिलनाडु, भारत | (उम्र 89 वर्ष)
राजनैतिक पार्टी | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
जीवन संगी | ज्ञानसुंदरमबाल |
संतान | सरोजिनी वरदप्पन |
व्यवसाय | राजनेता |
मिंजुर भक्तवत्सलम या मिंजुर कनकसाभापति भक्तवत्सलम (9 अक्टूबर 1897 - 13 फरवरी 1987), तमिलनाडु राज्य के एक भारतीय वकील, राजनेता और स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने 2 अक्टूबर 1963 से 6 मार्च 1967 तक मद्रास राज्य (तमिलनाडु) के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया था। वह तमिलनाडु के अन्तिम कांग्रेसी मुख्यमंत्री थे[1] और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने वाले आखिरी थे।
भक्तवत्सलम का जन्म मद्रास प्रेसीडेंसी में 9 अक्टूबर 1897 को हुआ था।[2] उन्होंने कानून का अध्ययन किया और मद्रास उच्च न्यायालय में एक वकील के रूप में अभ्यास करने लगे। उन्होंने राजनीति में कम उम्र से ही शामिल होकर स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेना आरम्भा कर दिया था। वह नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जेल भी गये। वह 1937 में मद्रास विधान सभा के लिए चुने गए[2] और राजाजी सरकार में संसदीय सचिव के रूप में कार्यरत रहे और फिर ओ पी रामस्वामी रेड्डीयार की सरकार में मंत्री के रूप में कार्य किया।[3] उन्होंने 1950 के दशक के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का नेतृत्व किया और 1963 से 1967 तक मद्रास प्रेसिडेंसी के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। 1967 के चुनावों में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की हार के बाद, भक्तवत्सलम आंशिक रूप से राजनीति से सेवानिवृत्त हुए। 31 जनवरी 1987 को 89 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हो गई।