एस. ए. चंद्रशेखर | |
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![]() एस. ए. चंद्रशेखर | |
जन्म |
2 जुलाई 1945 थंगाचिमदम, मद्रास प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत |
पेशा | अभिनेता, निर्माता, निर्देशक |
कार्यकाल | 1978–वर्तमान |
जीवनसाथी | शोभा चंद्रशेखर |
बच्चे |
विजय विद्या (मृतक) |
एस. ए. चंद्रशेखर (जन्म 2 जुलाई 1945) एक भारतीय फिल्म निर्देशक, निर्माता, लेखक और अभिनेता हैं जो मुख्य रूप से कॉलीवुड में काम करते हैं। उन्होंने अवल ओरु पचाई कुज़ंथाई (1978) के साथ अपने निर्देशन की शुरुआत की और उन्हें सफलता सत्तम ओरु इरुत्तराई (1981) के साथ मिली। उन्होंने सभी दक्षिण भारतीय भाषाओं में 70 से अधिक फिल्मों का निर्देशन किया है, और वे सामाजिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने वाली फिल्मों के निर्देशन के लिए जाने जाते हैं।[1][2]
चंद्रशेखर का एक बेटा हैं जिसका नाम विजय हैं, जो तमिल सिनेमा के प्रमुख अभिनेताओं में से एक हैं। चंद्रशेखर की एक बेटी भी थी जिसका नाम विद्या था; जिनकी दो वर्ष की आयु में मृत्यु हो गई थीं।[3] उनके बहनोई, एस एन सुरेंद्र एक पार्श्व गायक और आवाज कलाकार हैं और उनके भतीजे विक्रांत भी एक अभिनेता हैं।[4]
चंद्रशेखर ने तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और हिंदी में 70 से अधिक फिल्मों का निर्देशन किया है। उनके साथ निर्देशक एस. शंकर, एम. राजेश, पोनराम ने सहायक के तौर पर काम किया था।[5][6]
उनकी कुछ सफल फिल्मों में सट्टम ओरु इरुतराई (1981), चटानिकी कल्लू लेवु (1981), न्याय एलाइड (1982), पलेटूरी मोनागाडू (1983), साची (1983), वेट्री (1984), नान सिगप्पु मनिथन (1985), सत्तम ओरु विलायाट्टु (1987), सेंधूरपंडी (1993), रसिगन (1994), देवा (1995), एक बार फिर (1997) और नेन्जिरुक्कम वरई (2006) शामिल हैं।
उन्होंने अपने प्रारंभिक वर्षों में कई फिल्मों का निर्देशन किया और बाद में विजय का अभिनय करियर शुरू करने में मदद की। उन्होंने शुरूआती दिनों में नालैया थीरपू (1992), सेंधूरापंडी (1993), रसिगन (1994), देवा (1995) और विष्णु (1995) जैसी कई फिल्मों का निर्देशन किया। उनकी ज्यादातर फिल्में विजयकांत और विजय के साथ हैं।
उन्होंने चिरंजीवी के साथ छत्तनिकी कल्लू लेवु (1981) और पल्लेटूरी मोनागाडु (1983) जैसी तेलुगु फिल्मों का भी निर्देशन किया।