सबस्क्राइबर ट्रंक डायलिंग (Subscriber trunk dialling /STD) एक ऐसी प्रणाली है जो बिना किसी ऑपरेटर की सहायता के ही ट्रंक डायलिंग (स्थानीय टेलीफोन एक्सचेंज के बजाय अन्य दूरस्थ टेलीफोन एक्सचेंज में स्थित टेलीफोन उपभोक्ता से टेलीफोन से जुड़ना) सम्भव बनती है। इसके आने के पूर्व दूर के स्थानों को टेलीफोन करने के लिए ऑपरेटर की मदद आवश्यक थी। 'एसटीडी' शब्द का उपयोग भारत, युनाइटेड किंगडम, आयरलैण्ड, आस्ट्रेलिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों में होता है। यूएअए और कनाडा आदि उत्तरी अमेरिकी देशों में इसी तरह के काम के लिए जो संख्या प्रयुक्त होती है उसे 'डायरेक्ट डिस्टैन्स डायलिंग' कहते हैं।
यूके में यह सेवा ५ दिसम्बर, १९५८ में आरम्भ हुई थी।[1] भारत मे इसकी शुरूआत १७ मार्च १९६६ को हुई।[2]