सोंडेकोप्पा श्रीकांत शास्त्री (5 नवंबर 1904-10 मई 1974) एक भारतीय इतिहासकार, भारतविज्ञानी और बहुभाषाविद् थे।[9][10] उन्होंने अंग्रेजी, कन्नड़, तेलुगु और संस्कृत में चार दशकों में लगभग 12 पुस्तकें, दो सौ से अधिक लेख, कई मोनोग्राफ और पुस्तक समीक्षाएँ लिखीं।[11][12] उनकी प्रमुख कृतियाँ ये हैं- "कर्नाटक इतिहास के स्रोत", "भारत और बृहद भारत की भू-राजनीति", "भारतीय संस्कृति" और "होयसल वास्तु शिल्प" ( होयसल काल के मंदिर वास्तुकला का अध्ययन) ।[13][14][15] श्रीकांत शास्त्री एक बहुभाषी थे। वे ग्रीक, लैटिन, पाली, प्राकृत, संस्कृत और जर्मन सहित चौदह भाषाओं में पारंगत थे।[16][17][18] वे 1940 और 1960 के बीच मैसूरु विश्वविद्यालय के महाराजा कॉलेज में इतिहास और भारतविद्या विभाग के प्रमुख थे।[19][20] उन्हें 1970 में कन्नड़ साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था और बाद में 1973 में पौराणिक समाज हीरक जयंती समारोह के दौरान कर्नाटक के राज्यपाल मोहनलाल सुखाडिया द्वारा सम्मानित किया गया।[21] 1973 में उनके सम्मान समारोह में प्रतिष्ठित विद्वानों द्वारा इतिहास और भारत विज्ञान पर लेखों के साथ "श्रीकांतिका" शीर्षक से उन्हें प्रस्तुत किया गया।[22][23]सिंधु घाटी सभ्यता और हड़प्पा और मोहनजोदड़ो में नगर योजना पर उनके शोधकार्य लगातार लेखों में प्रकाशित हुए और काफी लोगों का ध्यान आकर्षित किया।[24] आर्य आक्रमण सिद्धांत पर उनके लेख, आदि शंकराचार्य का जीवनकाल , भारतीय संस्कृति पर ओस्वाल्ड स्पेंगलर का दृष्टिकोण, जैन ज्ञानमीमांसा, सिंधु घाटी सभ्यता का आदि-वैदिक धर्म और गंडभेरुंड का विकास प्रतीक चिन्ह आज भी प्रासंगिक हैं।[6][25][26][27][28][29][30][31]
↑Krishnamurti, Y. G. (1943). Independent India and a New World Order (First ed.). Lamington Road, Bombay: The Popular Book Depot. p. XVIII. Retrieved 28 March 2016.
↑V. S., Sampathkumaracharya (2006). Life in the Hoysala age, 1000–1340 A.D. (First ed.). Mysore: Bharateeya Ithihasa Samkalana Samiti. p. 426. OCLC423293561.
↑C. U., Manjunath (2012). ಶಾಷನಗಳು ಮತ್ತು ಕರ್ನಾಟಕ ಸಂಸ್ಕೃತಿ [Śāsanagaḷu mattu Karṇāṭaka saṃskr̥ti: A. D. 1150–1340] (First ed.). Kuppam: Chitrakala Prakashana. p. 280. OCLC864790401.
↑Srikantayya, K (1983). ವಿಜಯನಗರ ಕಾಲದ ಕನ್ನಡ ಸಾಹಿತ್ಯದಲ್ಲಿ ಜನಜೀವನ ಚಿತ್ರ (ಸಾಮಾಜಿಕ, ಆರ್ಥಿಕ ಮತ್ತು ರಾಜಕೀಯ) (Second ed.). Mysore: Geetha Book House. p. 508.
↑S, Srikanta Sastri (1931). "Evolution of the Gandabherunda". Quarterly Journal of Mythic Society. 26 (16): 226. Retrieved 25 December 2015.
↑T. V. Venkatachala Sastry, C. R. Leela Subramanyam (1972). A Bibliography of Karnataka Studies (1st ed.). Mysore: Prasārānga : University of Mysore. p. 79. OCLC2805144.{{cite book}}: CS1 maint: publisher location (link)