कपकोट Kapkot | |
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![]() कपकोट नगर में सरयू पुल दृश्य | |
निर्देशांक: 29°56′46″N 79°51′36″E / 29.946°N 79.860°Eनिर्देशांक: 29°56′46″N 79°51′36″E / 29.946°N 79.860°E | |
देश | ![]() |
प्रान्त | उत्तराखण्ड |
ज़िला | बागेश्वर ज़िला |
ऊँचाई | 1150 मी (3,770 फीट) |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 2,858 |
भाषा | |
• प्रचलित | हिन्दी, कुमाऊँनी |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
वाहन पंजीकरण | UK-02 |
कपकोट (Kapkot) भारत के उत्तराखण्ड राज्य के कुमाऊँ मण्डल के बागेश्वर ज़िले में स्थित एक गाँव है। यह इसी नाम की तहसील का मुख्यालय भी है। सरयू नदी के तट पर बसा कपकोट जनपद मुख्यालय, बागेश्वर से 25 किमी की दूरी पर स्थित है, और कपकोट तहसील का मुख्यालय है, जो क्षेत्रफल के आधार पर बागेश्वर जनपद की सबसे बड़ी तहसील है।[1][2][3]
कपकोट नगर का पहला वर्णन पिण्डारी हिमनद पर जाने वाले यात्रियों के वृतांतों में मिलता है। ई शर्मन ओकले ने अपनी पुस्तक, होली हिमालय में लिखा है कि कपकोट २०वीं शताब्दी के प्रारंभ में लंदन मिशनरी सोसाइटी का स्टेशन था, और यहां मिशनरी द्वारा एक विद्यालय तथा डिस्पेंसरी का संचालन किया जाता था।[4] एडविन टी एटकिंसन ने अपनी पुस्तक, हिमालयन गजटियर में कपकोट का विस्तृत वर्णन किया है।[5] एटकिंसन के अनुसार कपकोट "पिंडारी हिमनद के मार्ग में बागेश्वर से १४ मील, अल्मोड़ा से ४१ मील और ल्वारखेत (लोहारखेत) से ९ मील की दूरी पर स्थित एक विश्राम स्थल था।"
१९४७ में स्वतंत्रता प्राप्ति के समय कपकोट अल्मोड़ा जनपद के दानपुर परगना में स्थित एक गांव था। १२ सितंबर १९९७ को बागेश्वर तहसील के २१४ ग्रामों द्वारा कपकोट तहसील का गठन किया गया, तथा तहसील का मुख्यालय कपकोट ग्राम में रखा गया। कपकोट नगर पंचायत का गठन ९ फरवरी २०१२ को, बागेश्वर जनपद की कपकोट तहसील के कपकोट, भंडारीगांव, बमसेरा, एठौण, पालीडुगरा, हिचौड़ी, कन्यूटी और भयूं ग्रामों को मिलाकर किया गया।[6]
कपकोट २९.९५ डिग्री एन के अक्षाशों, और ७९.८७ डिग्री ई के देशान्तरों पर स्थित है।[7] समुद्र तल से इसकी औसत ऊंचाई ११३३ मीटर (३७१६ फीट) है।[8] यह नगर सरयू नदी के तट पर स्थित है, जो इसके पश्चिम से होकर बहती है।[9] सरयू के पानी की उपलब्धता के कारण कपकोट के आस-पास की भूमि का उपयोग बड़े पैमाने पर कृषि गतिविधियों के लिए किया जाता है। कपकोट की स्थलाकृति घाटियों, स्थानीय अवसादों और उच्च मैदानों द्वारा चिह्नित है।
कपकोट की जलवायु शेष भारत की ही तरह वर्ष के आठ महीनों में ठंडी और शुष्क रहती है, वर्षा केवल मानसून के महीनों में ही होती है। फरवरी और मार्च के दौरान ठंडी हवाएं अनुभव की जाती हैं। सबसे गर्म महीने मार्च से जुलाई तक के हैं। अगस्त से अक्टूबर तक जलवायु मध्यम रहती है, और फिर नवंबर से फरवरी तक कड़ाके की ठंड पड़ती है। धुंध और ओस यहां आम हैं, और सर्दियों के मौसम में तो अक्सर होते ही रहते हैं। कपकोट भूस्खलन-प्रवण क्षेत्र में स्थित है।[10]
२०११ की जनगणना के अनुसार ५.४९ वर्ग किमी क्षेत्र में फैले कपकोट नगर पंचायत क्षेत्र की जनसंख्या ५,०६० है, जिसमें से २५६५ पुरुष हैं, जबकि २४९५ महिलाएं।[11] इस प्रकार नगर का लिंगानुपात ९७२ महिलाएं प्रति १००० पुरुष है। १५३६ लोग, जो कि कुल जनसंख्या का ३० प्रतिशत हैं, अनुसूचित जाति या जनजाति से हैं।[11] नगर की साक्षरता दर ८१.८० प्रतिशत है।[11]
कपकोट उत्तराखण्ड राज्य राजमार्ग ३९ पर स्थित है, जो इसे बागेश्वर, शामा और तेजम से जोड़ता है।[12] तेजम से आगे सड़क मार्ग थल तथा मुनस्यारी तक जाते हैं। कपकोट और बागेश्वर के बीच बस सेवा १९५५-५६ में शुरू हुई थी।
कपकोट में एक राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान आईटीआई है। तहसील मुख्यालय से चार किमी दूर खाईबगड़ स्थित पूर्व सैनिक संगठन के भवन में वर्ष २००७ में आईटीआई की स्थापना हुई थी।[13] वर्ष २०१३ में तिमिलाबगड़ में २५ नाली भूमि में १.६१ करोड़ की लागत से इसके भवनों का निर्माण हुआ।
राजकीय गवर्नमेंट पॉलीटेक्निक कालेज कपकोट की स्थापना २०१० में हुई। स्थापना के समय यह कालेज अल्मोड़ा जिले के ताकुला में चलता था। २०१४ में इसे कपकोट लाया गया। कपकोट पॉलीटेक्निक में वर्तमान में एक ही कोर्स संचालित है। जिसका नाम मॉडर्न आफिस मैनेजमेंट एंड सक्रेट्रेरियल प्रैक्टिस है। दो साल का यह कोर्स शुरू से लेकर अब तक चल रहा है।