कमलापति त्रिपाठी (जन्म: 3 सितम्बर, 1905; मृत्यु: 8 अक्टूबर, 1990, वाराणसी) एक भारतीय राजनेता, लेखक, पत्रकार और स्वतंत्रता सेनानी थे।। वे संविधान सभा के सदस्य रहे,उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे (1971-73) तथा भारत के रेल मंत्री रहे।
कमलापति त्रिपाठी का जन्म 3 सितम्बर, 1905 को हुआ थ। उनके पिता का नाम नारायणपति त्रिपाठी था। मूल रूप से वह देवरिया जिले में पिंडी के त्रिपाठी परिवार से थे, जिन्हें लोकप्रिय रूप से पिंडी तिवारी कहा जाता था। औरंगजेब के समय के दौरान उनके पूर्वज वाराणसी में बस गए थे। उन्होंने काशी विद्यापीठ से शास्त्री की उपाधि एवं डी. लिट. किया था।
उन्होंने दैनिक हिंदी अखबार 'आज' और बाद में 'संसार' के लिए काम कर रहे एक पत्रकार के रूप में अपना करियर शुरू किया। वह दो टैब्लोइड्स के संपादक भी थे। उनका 19 वर्ष की आयु में विवाह हो गया था। उनके 5 बच्चे थे, जिनमें उनके तीन बेटे और दो बेटियां थीं। उनके सबसे बड़े पुत्र लोकपति त्रिपाठी थे, जो उत्तर प्रदेश में मंत्री थे तथा उनके दूसरे बेटे मायापाति त्रिपाठी हैं, जिन्होंने अखिल भारतीय किसान मजदूर वाहिनी के नाम से सामाजिक संगठन की स्थापना की। उनका सबसे छोटा बेटा मंगलापति त्रिपाठी (जिसे शशिपति त्रिपाठी भी कहा जाता है) है।
कमलपति त्रिपाठी स्वतंत्रता सेनानी भी थे। उन्होंने 1921 के दौरान असहयोग आंदोलन में भाग लिया। वह सविनय अवज्ञा आंदोलन में भी सक्रिय भागीदार थे, जिसके लिए वह जेल भी गये। 1942 में वे आंदोलन में भाग लेने के लिए मुंबई गए थे जब उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया और तीन साल तक जेल भेज दिया गया।
कमलपति त्रिपाठी 4 अप्रैल, 1971 से 12 जून, 1973 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। वर्ष 1973 से 1978, 1978 से 1980 और 1985 से 1986 में वे राज्यसभा के सदस्य थे। वर्ष 1980 1984 तक वे लोक सभा के सदस्य थे। वे 1975 से 1977 के बीच रेलवे के केंद्रीय मंत्री थे और 1980 से कुछ समय पहले भी। उन्होंने भारत के रेलवे बजट को 1975 से 1976, 1976 से 1977 और 1980 से 1981 तक पेश किया। कमलापति त्रिपाठी ने पुणे में डीजल लोको शेड अपने कार्यकाल के दौरान शुरू किया था।
कमलापति त्रिपाठी हिन्दी तथा संस्कृत के विद्वान व ग्रंथकार थे। उन्होंने 'आज' तथा 'संसार' नामक समाचार पत्रों का सम्पादन किया। गांधी दर्शन से सम्बद्ध पुस्तक पर उन्हें मंगलाप्रसाद पारितोषिक प्रदान किया गया।
कमलापति त्रिपाठी का 8 अक्टूबर, 1990 को वाराणसी में निधन हो गया।
वे हिन्दी तथा संस्कृत के विद्वान व ग्रंथकार थे। आज तथा संसार नामक समाचार पत्रों का सम्पादन किया। गांधी दर्शन से सम्बद्ध पुस्तक पर मंगला प्रसाद पारितोषिक प्रदान किया गया।
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