कामतापुर (কামতাপুর) भारत के पश्चिम बंगाल के उत्तरी भाग के कुछ ज़िलों और उन से लगने वाले असम राज्य के कुछ ज़िलों पर विस्तृत भूभाग का पारम्परिक नाम है। इस क्षेत्र की एक विशेष सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान है और यहाँ पर "कामतापुर" नामक एक अलग राज्य बनाने की मांग है। स्थानीय लोगों की बहुसंख्या राजबोंग्शी (राजवंशी) तथा कोच भाषा बोलने वाले राजबोंग्शी समुदाय की सदस्य है। अलग राज्य के आन्दोलन का नेतृत्व कामतापुर पीपल्स पार्टी नामक राजनैतिक पार्टी कर रही है।[1]
प्राचीन कामतापुर राज्य ब्रह्मपुत्र नदी की घाटी के पश्चिमी भाग मे स्थित था।[2] कुछ इतिहासकार मानते हैं कि चिलपटा वन में नलराजर गढ़ इसकी सर्वप्रथम राजधानी थी।[3] लम्बे काल के विकास व घटनाक्रम के बाद राजधानी बदलकर पहले मयनगुरी, फिर पृथु राजर गढ़, फिर सिंगीजनी और अंत में गोसानीमरी कर दी गई, जो ७वीं शताब्दी से एक महत्वपूर्ण नदी-बंदरगाह थी।
६५० ईसवी से १४९८ ई काल तक कामतापुर पूर्व भारत में एक स्वतंत्र हिन्दू राज्य था।[4] कामता राज्य के नाम से यह राजा विश्व सिंह द्वारा स्थापित कोच राजवंश के उभरने से पहले यहाँ पर पनपता रहा। १४९८ में, जब कामतापुर पर निलाम्बर नामक नरेश का राज था, बंगाल सल्तनत के अलाउद्दीन हुसैन शाह ने यहाँ आक्रमण किया और राजधानी गोसानीमरी को ध्वस्त कर दिया।[5] इसके बाद दोआर क्षेत्र में हिंगुलव में राजधानी रखने वाला कोच राज्य जन्मा।