कारईकाल Karaikal காரைக்கால் | |
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सरकारी गृह | |
निर्देशांक: 10°55′59″N 79°49′55″E / 10.933°N 79.832°Eनिर्देशांक: 10°55′59″N 79°49′55″E / 10.933°N 79.832°E | |
देश | भारत |
प्रान्त | पुरुचेरी |
ज़िला | कारईकाल ज़िला |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 86,838 |
भाषाएँ | |
• प्रचलित | तमिल, फ्रान्सीसी |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 609602 |
दूरभाष कोड | +91-4368 |
वाहन पंजीकरण | PY 02 |
वेबसाइट | www |
कारईकाल (Karaikal) भारत के पुदुच्चेरी केन्द्रशासित प्रदेश के कारईकाल ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। यह विशेष रूप से मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। यह चेन्नई के दक्षिण से लगभग 300 किलोमीटर और पुदुचेरी से 135 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह जिला तमिलनाडु राज्य के नागपत्तिनम और तिरूवरूर जिले से घिरा हुआ है। कारईकाल बंगाल की खाड़ी पर तटस्थ है।[1][2]
कारईकाल-पैरालम मार्ग के दक्षिण दिशा में स्थित यह दूसरा बड़ा गांव है। यहां स्थित भद्रकालीयम्मान मंदिर प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यह मंदिर भद्रकालीयम्मान को समर्पित है जो कि देवी परशक्ति का अवतार रूप है। पौराणिक कथा के अनुसार इस मंदिर का नाम देवी परशक्ति के नाम पर रखा गया था क्योंकि इस स्थान पर उन्होंने अम्बरन दानव को मारा था। अम्बरन अपनी मृत्यु के समय भैसें के रूप में था। जिस कारण इस घटना की याद में तमिल महीने के बैसाखी के दौरान यहां भैसा को मारा जाता है। प्रत्येक वर्ष मई-जून माह में 12 दिनों तक लगने वाले इस वार्षिक त्यौहार पर हजारों की संख्या में भक्तगण उपस्थित होते हैं।
यह मंदिर काराईकल के समीप तिरूमलाईरयानपत्तिनम गांव में स्थित है। अयिरामकालीयाम्मन मंदिर ऐतिहासिक दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण है। यह मंदिर देवी अम्मा को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि एक बार किसी पुजारी को समुद्र पर एक चांदी का सन्दूक तैरता हुआ दिखाई पड़ा। इसके साथ ही संदूक में पत्तों पर लिखें कुछ लेख भी मिलें। जिसमें यह लिखा हुआ था कि देवी अम्मा की रोजाना 1000 चीजों से पूजा करनी होगी। गांव वालों के लिए प्रतिदिन 1000 चीजों से पूजा कर पाना सम्भव नहीं था। इसलिए उन्होंने यह निश्चय किया कि देवी अम्मा की पूजा पांच वर्ष में केवल एक बार की जाएगी। पांच वर्ष में एक बार की जाने वाली यह पूजा तमिल माह के बैसाखी के दौरान की जाती है। यह पूजा लगातार तीन दिनों तक चलती हैं। पूजा के बाद संदूक में रखी देवी अम्मा की मूर्ति के हिस्सों को एक-एक कर बाहर निकाला जाता है। यह संदूक पांच वर्ष में केवल एक बार ही खोला जाता हैं।
धर्मपुरम कारईकाल के पश्चिम से 1.8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां स्थित श्री यजमुरिनाथेश्वर मंदिर काफी सुंदर है। माना जाता कि एक बार यहां संत तिरूगंनासम्बंदर आए थे जिन्होंने पाथिगम कहा गया था।
कारईकाल श्री उप्पिलमनियार, श्री कैलाशनाथर, नित्या कल्याणपरूमल, कारईकाल अम्मियार, श्री पर्वतेश्वरस्वामी मंदिर और श्री कोथनधर्मस्वामी प्रसिद्ध मंदिरों में से है। इसके अलावा यहां कई वर्षों से मंगनी त्यौहार मनाया जा रहा है।
कारईकाल के कराईकोविलपत्तू स्थित तिरूतेलीचेरी मंदिर यहां के प्रमुख और प्रसिद्ध मंदिरों में से है। तिरूतेलीचेरी मंदिर उन चार प्रमुख मंदिरों में से हैं जहां संत तिरूगंनासम्बंदर ने श्री पर्वतेश्रेवरस्वामी के सम्मान में पाथिगम प्रस्तुत किया था। यहां मनाए जाने वाले प्रमुख त्यौहारों में सुरासमहारम, विजयदशमी, कड़ाईमुजुक्कू और तिरूवधिराय है।
यह जगह कारईकाल- नेदुंगडु मार्ग पर स्थित कारईकाल से सात किलोमीटर की दूरी पर है। माना जाता है यहां स्थित श्री वर्धराजा पेरूमल मंदिर करीबन 12वीं शताब्दी का है। इसके अतिरिक्त यहां एक पुराना स्मारक भी स्थित है। मंदिर में वेकुंडा एकादशी और मासी मगाम त्यौहारों को पूरी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। इस अवसर पर हजारों की संख्या में आस-पास के गांव के भक्तगण त्यौहार में सम्मिलित होते हैं। जबकि श्री नागनाथस्वामी मंदिर में मनाए जाने वाले प्रमुख त्यौहारों में तिरूवातिराई, चित्तीराई और मासी मगाम आदि प्रसिद्ध है।
ऑवर लेडी एंगल चर्च काफी पुराना चर्च है। इस चर्च का निर्माण 1740 ई. में करवाया गया था। लेकिन 1828 ई. में इसका पुर्ननिर्माण करवाया गया। प्रत्येक वर्ष 15 अगस्त के दिन यहां प्रमुख त्यौहार तेत्तरावु माधा मनाया जाता है। जिसका आरम्भ तिरंगा लहरा कर किया जाता है।
यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। श्री तिरूमेनीयाजगरस्वामी मंदिर कारईकाल के विशिष्ट चिन्ह के रूप में जाना जाता है। यहां भगवान शिव को सुंदरेश्वर और उनकी पत्नी देवी पार्वती को सौन्दर्यान्यागी के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर विशेष रूप से यहां स्थित 45 फीट ऊंची शिकारा या राजगोपुरम के लिए जाना जाता है। इसके अलावा मंदिर के परिसर के कई और मंदिर है। यह मंदिर भगवान गणेश, सूर्य, देवी दुर्गा, देवी लक्ष्मी, भगवान कर्तिके, चंडीकेश्वर, अय्यानर और पुन्नाईवन्नाथर को समर्पित है। कारईकाल पांडिचेरी से 135 किलोमीटर और चैन्नई से 300 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह जगह तमिलनाडु के नागपत्तिनम और तिरूवरूर जिले से घिरी हुई है।
सनीसवार मंदिर कारईकाल स्थित तिरूनाल्लर से सिर्फ पांच किलोमीटर की दूरी पर है। इस मंदिर में विशेष रूप से श्री धारबारनेश्वार अर्थात् भगवान शिव की पूजा की जाती है। इसके अलावा यहां भगवान सनीसवार (यम) की उपासना की भी जाती है। यह मंदिर भारत के प्रमुख शनि मंदिरों में से एक है।
सबसे निकटतम हवाई अड्डा तिरूचिरपल्ली विमानक्षेत्र है। तिरूचिरपल्ली से कारईकाल 168 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन नागौर है। यह जगल कारईकाल से सिर्फ दस किलोमीटर की दूरी पर है।
कारईकाल सड़क मार्ग द्वारा चिदम्बरम, मयिलादुरई, कुम्बकोनम, तिरूचिरापल्ली, तिरूवरूर, वेलनकन्नी, नागप्पत्तिनम और नागौर आदि से जुड़ा हुआ है।