कालकूट अथवा हलाहल हिन्दू ग्रन्थों में वर्णित वह विष है जो समुद्र मन्थन के समय क्षीरसागर से निकला था। इस विष को भगवान शंकर ने अपने कंठ में धारण किया था जो उनके कंठ में आज तक है। इस विष के प्रभाव को कम करने के लिए ही भगवान शिव पर भांग , धतूरा, आक और बेलपत्र चढ़ाए जाते हैं और साथ ही साथ उनका जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक किया जाता है। [1]
यह हिंदू धर्म-सम्बन्धी लेख एक आधार है। जानकारी जोड़कर इसे बढ़ाने में विकिपीडिया की मदद करें। |