कुन्दन लाल सहगल | |
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पृष्ठभूमि | |
जन्म | 11 अप्रैल 1904 जम्मू , जम्मू और कश्मीर, भारत |
निधन | 18 जनवरी 1947 जालंधर, पंजाब, तत्कालीन भारत | (उम्र 42 वर्ष)
विधायें | पार्श्वगायक |
पेशा | अभिनेता एवं गायक |
वाद्ययंत्र | गायक,हारमोनियम |
सक्रियता वर्ष | १९३२-१९४७ |
कुन्दन लाल सहगल (११ अप्रैल, १९०४ - १८ जनवरी, १९४७) हिन्दी फ़िल्मों के एक प्रसिद्ध गायक-अभिनेता थे। इन्हें हिंदी फिल्म उद्योग जो तत्कालीन समय के दौरान कोलकाता में केंद्रित था, का पहला सुपरस्टार माना जाता था[1]। वर्ष २०१८ में उनके ११४वें जन्मदिन के अवसर को गूगल ने डूडल[2] बना कर मनाया।
सहगल का जन्म जम्मू में हुआ था, जहां उनके पिता अमरचंद सहगल जम्मू और कश्मीर के राजा की अदालत में तहसीलदार थे। उनकी मां केसरबाई सहगल एक गहरी धार्मिक हिंदू महिला थीं जिन्हे संगीत का बहुत शौक था। वह अपने पुत्र को धार्मिक कार्यों में लेकर जाया करती थी जहां शास्त्रीय भारतीय संगीत के आधार पर पारंपरिक शैली में भजन, कीर्तन और शब्द गाए जाते थे।[3] सैगल पांच साल के चौथे जन्मजात बच्चे थे और उनकी औपचारिक शिक्षा संक्षिप्त थी। एक बच्चे के रूप में उन्होंने कभी-कभी जम्मू के रामलीला में सीता की भूमिका निभाई थी।
स्कूली शिक्षा के बाद उन्होंने रेलवे टाइमकीपर के रूप में काम शुरू किया। बाद में, उन्होंने रेमिंगटन टाइपराइटर कंपनी के लिए टाइपराइटर सेल्समैन के रूप में काम किया, जिससे उन्हें भारत के कई स्थान घूमने का अवसर प्राप्त हुआ। उनकी यात्रा के दौरान लाहौर के अनारकली बाज़ार में मेहरचंद जैन (जो बाद में शिलॉन्ग में असम सोप फैक्ट्री शुरू करने के लिए चले गए) के साथ मित्रता हुई। मेहरचंद और कुंदन दोस्त बाद कलकत्ता चले गए जहाँ मेहफिल-ए-मुशायरा में लिप्त रहे। उन दिनों में सहगल एक उभरते गायक थे और मेहरचंद ने उन्हें अपनी प्रतिभा को निखारने लिए प्रोत्साहित किया। सहगल अक्सर टिप्पणी करते थे कि 'आज वो जो कुछ भी हैं, मेहरचंद के प्रोत्साहन और शुरुआती समर्थन के कारण ही हैं'। उन्होंने थोड़े समय के लिए होटल मैनेजर के रूप में भी काम किया। इस बीच गायन के लिए उनका जुनून जारी रहा और समय बीतने के साथ अधिक तीव्र हो गया।
१९३० के दशक के शुरूआती दौर में, शास्त्रीय संगीतकार और संगीत निर्देशक हरिश्चंद्र बाली सहगल को कलकत्ता ले गए और उन्हें आर॰ सी॰ बोराल से मिलवाया। आर॰ सी° बोराल ने तुरंत उनकी प्रतिभा को पसंद किया और सहगल को बी॰ एन॰ सरकार के कलकत्ता स्थित फिल्म स्टूडियो न्यू थियेटर्स में २०० रुपये प्रति माह पर रख लिया जहाँ वे पंकज मलिक, के° सी° डे और पहाड़ी सान्याल जैसे समकालीन लोगों के संपर्क में आए।
वर्ष | शीर्षक | भूमिका | टिप्पणियाँ |
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१९३२ | मोहब्बत के आँसू | पहली फिल्म | |
जिंदा लाश | |||
सुबह का सितारा | |||
१९३३ | यहूदी की लड़की | प्रिंस मार्कस | के एल सहगल की पहली हिट |
राजरानी मीरा | |||
पुराण भगत | पूरन | ||
दुलारी बीबी | |||
१९३४ | डाकू मंसूर | ||
मोहब्बत की कसौटी | अरूप | हिंदी संस्करण में | |
चंडीदास | चंडीदास | ||
१९३५ | कारवां | परवेज | |
देवदास (बंगाली) | चंद्रमुखी के घर में अतिथि | बंगाली | |
देवदास (हिंदी) | देवदास | पहली सुपरहिट[4] | |
१९३६ | पुजारिन | जिबानंद | |
करोडपति | |||
१९३७ | दीदी (बंगाली) | प्रकाश | कुंदन लाल सगल, बंगाली के रूप में |
राष्ट्रपति उर्फ बादी बाहेन | प्रकाश | दीदी का हिंदी संस्करण | |
१९३८ | स्ट्रीट सिंगर | भलवा | |
साथी | भुलावा | स्ट्रीट सिंगर की बंगाली संस्करण | |
जीवन मारन | मोहन | दुश्मन के बंगाली संस्करण | |
धरती माता | अशोक | ||
देसर माती | अशोक | बंगाली | |
१९३९ | दुश्मन | मोहन | |
१९४० | जिंदगी | रतन | |
१९४१ | परिचय | संगीतकार | लैगान का बंगाली संस्करण |
डूबा हुआ जहाज़ | संगीतकार | ||
१९४२ | भक्त सूरदास | के एल सहगल के रूप में | पहली फिल्म बॉलीवुड फिल्म |
१९४३ | तानसेन | तानसेन | सैगल के रूप में |
१९४४ | मेरी बहन | रमेश | |
भँवरा | |||
१९४५ | तदबीर | कन्हैयालाल | |
कुरुक्षेत्र | |||
१९४६ | शाहजहां | सोहेल | |
उमर खैय्याम | |||
१९४७ | परवाना | इंदर |
कुंदनलाल सहगल के संस्मरण Archived 2009-07-07 at the वेबैक मशीन
१९६०-७० के दशक के अभिनेत्रियों की श्रेणी में साधना, नलिनी जयवंत, कल्पना, सायराबनों का व ४० के दशक में सुरैय्या का नाम जोड़ना जरूरीहै.