कुलतिस्स नन्द जयतिलके | |
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चित्र:KN Jayatilleke.jpg | |
जन्म | 1 नवम्बर 1920 कोलम्बो |
मौत | 23 जुलाई 1970 कैंडी (श्रीलंका) | (उम्र 49 वर्ष)
पेशा | लेखक, दार्शनिक, प्राध्यापक |
राष्ट्रीयता | श्रीलंकाई |
उच्च शिक्षा | Royal College, University of Ceylon, कैंब्रिज विश्वविद्यालय |
विधा | दर्शन, बौद्ध अध्ययन |
जीवनसाथी | Pat Jayatilleke |
बच्चे | अञ्जनि करुणारत्ने नन्दिनी करुणारत्ने |
कुलतिस्स नन्द जयतिलके (1 नवम्बर 1920 - 23 जुलाई 1970) बौद्ध दर्शन के एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्य विद्वान थे। उनके द्वारा रचित ग्रन्थ "अर्ली बौद्ध थ्योरी ऑफ नॉलेज" (आरम्भिक बौद्ध ज्ञान सिद्धान्त) को "इनसाइक्लोपीडिया ऑफ फिलॉसफी" में "बुद्ध की शिक्षा की एक उत्कृष्ट दार्शनिक व्याख्या" के रूप में वर्णित किया गया है। [1]
जयतिलके का जन्म 1 नवम्बर 1920 को श्रीलंका के कोलंबो में हुआ था । कोलम्बो के रॉयल कॉलेज में अपनी माध्यमिक शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने सीलोन विश्वविद्यालय में पालि और संस्कृत का अध्ययन किया जहाँ उन्होने प्रथम श्रेणी हॉनर्स उपाधि प्राप्त की। पश्चिमी दर्शन में एक दृढ़ आधार प्राप्त करने की दृष्टि से उन्होने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में अपनी शिक्षा जारी रखी। उन्होंने पूर्वी और पश्चिमी विचारों में एक अनूठा प्रशिक्षण प्राप्त किया और दर्शन का एक विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण प्राप्त किया जिसने उन्हें एक ऐसी पृष्ठभूमि प्रदान की जिसने उनके पूरे करियर में उनके काम को पोषित किया। जयतिलके मानविकी में नफिल्ड फेलो, वर्ल्ड एकेडमी ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेज के फेलो तथा हे-व्हिटनी-फुलब्राइट फेलो थे। वे दर्शन की विभिन्न पत्रिकाओं के संपादक थे। 1963 से 1970 में अपनी मृत्यु तक वे सीलोन विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख थे।