कुशोक बकुला रिंपोचे हवाई अड्डा | |||||||||||
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विवरण | |||||||||||
हवाईअड्डा प्रकार | सार्वजनिक | ||||||||||
संचालक | भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण | ||||||||||
सेवाएँ (नगर) | लेह | ||||||||||
स्थिति | लेह, जम्मू और कश्मीर, भारत | ||||||||||
समुद्र तल से ऊँचाई | 3,256 मी॰ / 10,682 फुट | ||||||||||
निर्देशांक | 34°08′09″N 077°32′47″E / 34.13583°N 77.54639°Eनिर्देशांक: 34°08′09″N 077°32′47″E / 34.13583°N 77.54639°E | ||||||||||
उड़ानपट्टियाँ | |||||||||||
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सांख्यिकी (अप्रैल 2016 - मार्च 2017) | |||||||||||
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कुशोक बकुला रिंपोचेे विमानपत्तन (आईएटीए: आईएक्सएल ; आईसीएओ: वीआईएचएच) लद्दाख की राजधानी लेह में निर्मित भारत का एक हवाई अड्डा है। यह समुद्र के स्तर से 3,256 मीटर ऊपर लेख लद्दाख के पहाड़ों के बीच स्थित है। हवाई अड्डे का नाम 19वीं शताब्दी के कुशोक बकुला रिनपोछे के नाम पर रखा गया है, जो एक भारतीय राजनेता और भिक्षु थे, जिनका स्पितुक मठ हवाई क्षेत्र के परिसर में ही है।
यहां विमान उतारना चुनौतीपूर्ण है क्योंकि यहैं एक ही दिशा से उतरना सम्भव है। दोपहर में पहाड़ की हवाओं की उपस्थिति के कारण सभी उड़ानें जाती हैं, और सुबह आती हैं। हवाई अड्डे के पूर्वी छोर की ओर उच्च स्थान है। हवाई अड्डे की सुरक्षा भारतीय सेना के गश्ती दल द्वारा की जाती है और उड़ानों में केबिन में सामान ले जाने की अनुमति नहीं है। हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं के बीच लेह हवाई अड्डे के उतरने का कोण होने के कारण इसे दुनिया के सबसे सुंदर उतरने के कोणों (landing approach) में से एक के रूप में नामित किया गया है जिससे इस हवाई अड्डे को उड़ान भरने के लिए एक सुंदर हवाई अड्डा बना दिया है।
फरवरी 2016 में, भारतीय वायु सेना ने इस हवाई अड्डे को भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को सौंप दिया था। एएआई इसे नागरिक उद्देश्यों के लिए विस्तारित करेगा। [4]
वायुसेवाएं | गंतव्य |
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एयर इंडिया | चंडीगढ़, दिल्ली, जम्मू, श्रीनगर |
गोएयर | इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, दिल्ली, मुंबई, श्रीनगर |
स्पाइस जेट | दिल्ली |
विस्तारा | दिल्ली |