कृष्ण चन्द्र भट्टाचार्य

कृष्ण चन्द्र भट्टाचार्य
कृष्ण चन्द्र भट्टाचार्य
व्यक्तिगत जानकारी
जन्म12 मई 1875
मृत्यु11 दिसम्बर 1949(1949-12-11) (उम्र 74 वर्ष)
वृत्तिक जानकारी
राष्ट्रीयताIndian

कृष्ण चन्द्र भट्टाचार्य (12 मई 1875 - 11 दिसंबर 1949) कलकत्ता विश्वविद्यालय में एक दार्शनिक थे, जो "रचनात्मक व्याख्या" की अपनी पद्धति के लिए जाने जाते थे, जिसके माध्यम से प्राचीन भारतीय दार्शनिक प्रणालियों के संबंधों और समस्याओं को निकाला जाता है। [1] [2] उन्होंने एक व्यापक सर्वदेशीयवाद के विचार को प्रोत्साहित किया जिसमें भारतीय दर्शन प्रणालियों को यूरोपीय विचारों की अंधी नकल के बजाय आत्मसात और विसर्जन के माध्यम से आधुनिक बनाया जाय। [3]

कृष्णचन्द्र भट्टाचार्य का जन्म 12 मई, 1875 ई. को बंगाल के श्रीरामपुर में हुआ था। वे बंगाल शिक्षा सेवा में आये और कई कॉलेजों में व्याख्याता रहे। 1930 में उन्होंने हुगली कॉलेज के स्थानापन्न प्रधानाचार्य के पद से अवकाश ग्रहण किया। अमलनेर के भारतीय दर्शन संस्थान के निदेशक के पद पर भी वे कुछ दिन रहे। 1935 में कलकत्ता विश्वविद्यालय के दर्शन शास्त्र के पंचम जॉर्ज प्रोफ़ेसर का पद उनको दिया गया।

कृतियाँ

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  • Studies in Sankhya Philosophy
  • Studies in Philosophy
  • Studies in Vedantism
  • Implications of Kant's Philosophy (काण्टदर्शनेर तात्पर्य" का अनुवाद)
  • Search for the Absolute in Neo-Vedanta

व्याख्यान

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  • Swaraj in Ideas (विचारों का स्वराज)


सन्दर्भ

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  1. Chattopadhyaya, Debiprasad (1992). Lokayata: A Study in Ancient Indian Materialism (Seventh ed.). New Delhi: People's Publishing House. p. xi. ISBN 81-7007-006-6.
  2. Basant Kumar Lal (1978). Contemporary Indian Philosophy. Motilal Banarsidass. p. 223. ISBN 978-81-208-0261-2.
  3. Ganeri, Jonardon. "Freedom in Thinking: The Immersive Cosmopolitanism of Krishnachandra Bhattacharya (2017)". The Oxford Handbook of Indian Philosophy.