कोडरमा Kodarma ᱠᱚᱰᱟᱨᱢᱟ | |
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निर्देशांक: 24°28′N 85°36′E / 24.47°N 85.60°Eनिर्देशांक: 24°28′N 85°36′E / 24.47°N 85.60°E | |
देश | भारत |
प्रान्त | झारखंड |
ज़िला | कोडरमा ज़िला |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 24,633 |
भाषा | |
• प्रचलित | हिन्दी |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
वेबसाइट | koderma.nic.in |
कोडरमा (Kodarma) भारत के झारखंड राज्य के कोडरमा ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है।[1][2]
कोडरमा भारत के अभ्रक जिला के रूप मे जाना जाता है। इसे झारखंड का प्रवेशद्वार के नाम से भी जाना जाता है। यह जिला अर्धविकसित, क्षीण जनसंख्या वाला है जबकि सीमित प्राकृतिक संसाधन मौजूद है। 717 गाँवों वाले इस जिले का निर्माण हजारीबाग जिले को विभाजित कर 10 अप्रैल 1994 को किया गया। इस जिले में सिर्फ़ दो शहर कोडरमा और झुमरी तिलैया हैं। कोडरमा जिले की सीमायें बिहार में गया और नवादा तथा झारखंड में गिरिडीह तथा हजारीबाग के साथ लगती हैं। इस जिला मे पाच प्रखण्ड कोडरमा, जयनगर, मरकच्चौ, सतगांवा एंव चंदवारा है। इस जिले की सबसे बड़ी खासियत यह है कि विश्व के पूरे माइका का 90% उत्पादन यहीं होता है।
कोडरमा की स्थिति 24°28′N 85°36′E / 24.47°N 85.6°E पर है। यहां की औसत ऊंचाई 375 मीटर (1230 फीट) है।
शक्तिपीठ मां चंचला देवी के लिए कोडरमा प्रसिद्ध है। यह शक्तिपीठ दुर्गा मां को समर्पित है। प्रत्येक मंगलवार व शनिवार को यहां पर भक्तों की भारी भीड़ देखी जा सकती है। शक्तिपीठ के अलावा इसे अभ्रक की खदानों के लिए भी पूरे विश्व में जाना जाता है। यहां पर अभ्रक की इतनी खदानें हैं कि इसे अभ्रक नगरी के नाम से भी पुकारा जाता है। शक्तिपीठ और खदानों के अलावा भी यहां देखने के लिए बहुत कुछ है। उरवन टूरिस्ट कॉम्पलैक्स, ध्वजागिरि पहाड़ी और सतगांवा पैट्रो झरने इसके प्रमुख पर्यटक स्थल हैं।
कोडरमा में पर्यटक तिलैया बांध देख सकते हैं। दामोदर नदी घाटी परियोजना के तहत सबसे पहले इसी बाँध का निर्माण हुआ था। जल ठहराव के कारण जीटी रोड से भी इस पानी का नजारा बरसात के दिनों में देखा जा सकता है। NH-33 भी इससे होकर गुजरती है। हरा पानी डर के साथ आनंद और रोमांच भी उत्पन्न करता है। एक तरफ पहाड़,दुसरे तरफ पेड़ - पौधे और उसके नीचे डैम का पानी एक मनमोहक दृश्य का निर्माण करते है। यह बांध दामोदर घाटी में बराकर नदी पर बना हुआ है। आकार में यह लगभग 1200 फीट लंबा और 99 फीट ऊंचा है। बांध के आस-पास का क्षेत्र काफी मनोरहारी है और पर्यटकों को बहुत पसंद आता है। इसके अलावा यहां पर एक विशाल जलाशय के किनारे पिकनिक का आनंद भी लिया जा सकता है। यह जलाशय बहुत विशाल है और लगभग 36 वर्ग कि॰मी॰ में फैला हुआ है। जलाशय के पास खूबसूरत पहाड़ियां भी हैं जो पर्यटकों को बहुत आकर्षित करती हैं। जाड़े के मौसम में नवम्बर से लेकर मार्च तक यह परिंदों तथा पर्यटकों से गुंजायमान होता है। ताजे मछलियों के अलावा नौकाविहार का भी मजा लिया जा सकता है। बाँध स्थल 'राष्ट्रीय राज्यपथ से करीब आठ कीलोमीटर अंदर है,,वहाँ दामोदर घाटी निगम का अतिथि गृह है। वहाँ जल और जंगल का विहंगम दृश्य आँखो को बहुत सुभाता है। वनभोज करने वालों के लिए यह आदर्श स्थल है। हाल के वर्षों में यह फिल्म दृश्यांकन के लिए भी चर्चित हो रहा है, विशेषकर स्थानीय फिल्म निर्माताओं के नजर में। बाँध स्थल तक आने में सैनिक विधालय ,तिलैया का द्वार आता है,,जो कुछ समय के लिए देशभक्ति तथा सैन्य शिक्षा की याद दिलाता है। प्रसिद्ध फिल्मकार प्रकाश झा,इसी विधालय के विधार्थी रह चुके है।
तिलैया बांध से कुछ ही दूरी पर उरवन टूरिस्ट कॉम्पलैक्स है। यहां पर पर्यटक बेहतरीन पिकनिक मना सकते हैं। पिकनिक मनाने के अलावा यहां पर बोटिंग और वाटर स्पोर्टस का आनंद भी लिया जा सकता है। उरवन में घूमने के बाद बागोधर के हरि हर धाम के दर्शन किए जा सकते हैं। यहां पर भगवान शिव को समर्पित 52 फीट ऊंचा शिवलिंग है। कहा जाता है कि यह शिवलिंग पूरे विश्व में सबसे विशाल है और इसके बनने में 30 वर्ष लगे थे।
प्रकृति की गोद में बसे ककोलत में सतगांवा पैट्रो झरने के खूबसूरत दृश्य देखे जा सकते हैं। यह झरने घने जंगलों में स्थित हैं और बहुत खूबसूरत हैं। इन झरनों के आस-पास का क्षेत्र भी काफी मनोहारी हैं। पर्यटक चाहें तो इन जंगलों की सैर पर जा सकते हैं और वन्य जीवों व पेड़-पौधों की आकर्षक छटा देख सकते हैं। लेकिन यह बात ध्यान देने योग्य है कि यहां तक पहुंचना काफी मुश्किल है।
कोडरमा-गिरिडीह हाईवे से 33 कि॰मी॰ की दूरी पर मां चंचला देवी शक्तिपीठ स्थित है। यह पीठ मां दुर्गा को समर्पित है और 400 फीट की ऊंचाई पर बनी हुई है। मंगलवार और शनिवार को इस शक्तिपीठ में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी जा सकती है। शक्तिपीठ के पास एक पहाड़ी पर गुफा बनी हुई है। इस गुफा में मां दुर्गा की चार मुद्राओं के चित्र देखे जा सकते हैं। मां दुर्गा को समर्पित यह गुफा बहुत खूबसूरत है लेकिन इसका प्रवेश द्वार काफी छोटा है।
2011 में, कोडरमा की जनसंख्या 716,259 थी, जिसमें पुरुष और महिलाएं क्रमशः 367,222 और 349,037 थीं। 2024 में कोडरमा जिले की अनुमानित जनसंख्या 1,061,900 है |[3]
कोडरमा जिला अपने प्राकृतिक सौन्दर्य से पर्यटकों को मंत्रमुग्ध करता है। जिला मुख्यालय से प्राररम्भ होकर NH- 33 से होते हुए बिहार के गया और नवादा जिला तक विस्तृत वन क्षेत्र दो वन्यजीव अभयारण्य के लिए भौगोलिक विस्तार प्रदान करता है। कोडरमा वन्यजीव अभयारण्य हिरण, भालू, नीलगाय,जंगली खरहा के लिए प्रसिद्ध है। कुछ दशक पुर्व तक बाघ देखे जाते थे,,पर अब इनकी संख्य लगभग नगण्य है। यहाँ सैकड़ो तरह के परिंदे है,,इनके अलावा साँप तथा कई अन्य सरीसृप मिलते है। यहाँ के जंगल में मुख्य वृक्ष सखुआ,बेल,बाँस,आम ,शिरिष,महुआ,पलाश है। गर्मियों के दिनों में इस बन से गुजरते समय पलाश का सौन्दर्य अपने चरम पर होता है,,ऐसा लगता है मानो आकाश आग की लपटों से लाल हो उठा है। इसी अभयारण्य में ध्वजाधारी नामक एक धार्मिक तीर्थ स्थल भी है जो पहाड़ के शिर्ष पर है। वहाँ चढने के लिए पत्थर की सीढियाँ है। महशिवरात्री के अवसर पर वहाँ मेला लगता है। लगन तथा अन्य शुभ दिन वहाँ विवाह,मुंडन जैसे संस्कार होते है।
कोडरमा के सबसे नजदीक रांची विमानक्षेत्र है। यहां से पर्यटक आसानी से कोडरमा तक पहुंच सकते हैं।राँची से कोडरमा की दुरी सड़क मार्ग से 160 किलोमीटर है।
देश के प्रमुख भागों से कोडरमा के लिए कई रेलगाड़ियां हैं। यह ग्रैंड कोर्ड लाइन पर अवस्थित स्टेशन है जो ,हावड़ा- मुगल सराय के बीच एक वैकल्पिक सेवा विशेषकर कोयला और अभ्रख के लिए बना था। दिल्ली से हावड़ा जाने वाली कई गाड़ियों का यहाँ ठहराव है। इनके अलावा कुछ राजधानी और शताब्दी भी यहाँ रूकती है। वर्तमान में कोडरमा जक्शन बन गया है,,जो एक तरफ हजारीबाग और दुसरी तरफ गिरीडीह से संपर्क स्थापित कर लेगी।इस स्टेशन का कोड KQR है। इन रेलगाडियों से पर्यटक आसानी से कोडरमा तक पहुंच सकते हैं।
पटना-रांची रोड से बसों व निजी वाहन द्वारा कोडरमा तक पहुंचा जा सकता है।कोडरमा NH-31 पर अवस्थित है। ग्रैंड ट्रंक रोड( NH-2) से कोडरमा की दुरी मात्र 30 km है। सड़क की स्थिति भी आवागमन के लिए बेहतर है। राँची से पटना जाने वाली गाडियाँ कोडरमा होकर ही जाती है। अन्य जिलों से SH( राज्य पथों) से जुड़ी है। अभ्रख, पत्थर के व्यवसाय के कारण व्यवसायिक वाहन भी खुब चलते है।