कोप्पल Koppal ಗಂಗಾವತಿ | |
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महादेव मंदिर, कोप्पल | |
निर्देशांक: 15°21′N 76°09′E / 15.35°N 76.15°Eनिर्देशांक: 15°21′N 76°09′E / 15.35°N 76.15°E | |
देश | भारत |
प्रान्त | कर्नाटक |
ज़िला | कोप्पल ज़िला |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 70,698 |
भाषाएँ | |
• प्रचलित | कन्नड़ |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
कोप्पल (Koppal) भारत के कर्नाटक राज्य के कोप्पल ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है।[1][2]
कोप्पल विभिन्न मंदिरों और किलों के लिए प्रसिद्ध है। यह जगह ऐतिहासिक रूप से भी काफी महत्वपूर्ण है। कोप्पल का इतिहास लगभग 600 वर्ष पुराना है।
कोपल (या कोप्पल, कन्नड़ : ಕೊಪ್ಪಳ) की स्थिति 15°21′N 76°09′E / 15.35°N 76.15°E[3] पर है। यहां की औसत ऊंचाई है ५३० मीटर (1738 फीट).
कनकगिरी कोप्पल की काफी पुरानी जगहों में से है। यह जगह गंगावती से 13 मील की दूरी पर स्थित है। कनकगिरी का अर्थ भगवान का पर्वत है। इसका पुराना नाम स्वर्णनगरी था, जिसका अर्थ भी यही होता है। ऐसा माना जाता है कि संत कनक मुनि ने इस जगह पर तपस्या की थी। इसके अतिरिक्त यहां एक अन्य मंदिर भी है। जिसका निर्माण कनकगिरी के नेक ने करवाया था।
कनकगिरी के समीप ही कनकचलपथी मंदिर स्थित है। यह मंदिर काफी विशाल है। इस मंदिर की वास्तुकला काफी खूबसूरत है। यह मंदिर दक्षिण भारत के सबसे सुंदर मंदिरों में से है। इस मंदिर में बने हॉल और सुंदर स्तम्भ इसे और अधिक खूबसूरत बनाते हैं। इस मंदिर की दीवारों व गोपुरम पर काफी अच्छी तस्वीरें बनी हुई है। इस मंदिर में राजाओं और रानियों की मूर्तियां भी बनी हुई है। इन मूर्तियों के पत्थरों पर काली पॉलिश की हुई है। इसके अलावा यहां लकड़ी से बनी कई मूर्तियां भी है। फागुन माह में प्रत्येक वर्ष कनकचलपथी मंदिर में जात्रा (मेला) का आयोजन किया जाता है। इस मेले में प्रत्येक वर्ष काफी संख्या में लोग आते हैं।
यह किला कोप्पल के प्रमुख ऐतिहासिक किलों में से है। यह किला समुद्र तल से 400 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। निश्चित रूप से इस बात का पता नहीं है कि इस किले का निर्माण किसने करवाया है। लेकिन ऐसा माना जाता है कि इस किले का निर्माण टीपू सुल्तान ने 1786 ई. में करवाया था। इस किले का जब पुनर्निर्माण करवाया गया था तो इसके लिए फ्रेंच इंजीनियरों की सहायता ली गई थी। मई 1790 ई. को ब्रिटिश सैनिकों और निजाम ने इस जगह को घेर लिया था। इस घेराबन्दी में इनका साथ सर जॉन मेलकोम ने भी दिया था।
महादेव मंदिर चालुक्यों द्वारा बनाए गए सबसे खूबसूरत मंदिरों में से एक है। मंदिर के भीतर एक स्तम्भ हॉल है जिसे 68 स्तम्भों की सहायता से बनाया गया है। इस मंदिर का निर्माण 1112 ई. में महादेव ने करवाया था। इस मंदिर की वास्तुकला काफी सुंदर है। यह मंदिर देश के श्रेष्ठ मंदिरों में से एक है।
यह जैनों के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से है। यह काफी पुराना मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण ग्यारहवीं शताब्दी के दौरान करवाया गया था। इस मंदिर में र्तींथकर और ब्रह्माक्ष की सुंदर प्रतिमाएं है।
यह मंदिर बहादुर बसादी से नौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर में ब्रह्माक्ष और पदावती की कांसे की बनी मूर्तियां स्थित है। यह मूर्तियां 13वीं व 16वीं शताब्दी की है। इसके अतिरिक्त इस मंदिर जैन तीर्थंकर शान्तिनाथ और भगवान अजीतनाथ की कांसे में बनी प्रतिमाएं भी है। यह मंदिर अपनी सुंदरता और शान्तिपूर्ण वातावरण के कारण भी श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है।
सबसे नजदीकी हवाई अड्डा बंगलुरू विमानक्षेत्र है। बंगलुरू से कोप्पल की दूरी 380 किलोमीटर है।
कोप्पल रेल मार्ग द्वारा कई प्रमुख शहरों जैसे बंगलुरू, हुबली, बेलगम, गोवा, त्रिपति, विजयवाड़ा, गंटूर, गंटकल, हैदराबाद और मिराज आदि से जुड़ा हुआ है।
कोप्पल कर्नाटक शहर के कई प्रमुख जगहों से जुड़ा हुआ है। यह स्थान सड़क मार्ग द्वारा बंगलुरू, हुबली, होसपट, बेलारी, रायचूर आदि से राष्ट्रीय राजमार्ग 63 द्वारा जुड़ा हुआ है। यह जगह बंगलुरू से 380 किलोमीटर और हुबली से 120 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।