कोलचेल की लड़ाई | |||||||
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त्रावणकोर-डच युद्ध का भाग | |||||||
कोलचेल की लड़ाई में यूस्टाचियस डी लैनॉय का आत्मसमर्पण | |||||||
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योद्धा | |||||||
त्रावणकोर का साम्राज्य | डच साम्राज्य | ||||||
मृत्यु एवं हानि | |||||||
नगण्य | 24 अधिकारियों को युद्धबंदियों के रूप में लिया गया कस्तूरी, तलवार और तोपों पर कब्जा कर लिया गया |
कोलाचेल की लड़ाई १० अगस्त १७४१ को त्रावणकोर-डच युद्ध के दौरान त्रावणकोर साम्राज्य और डच ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच लड़ा गया था। इस लड़ाई में राजा मार्थंडा वर्मा (१७२९-१७५८) की सेना ने १० अगस्त १७४१ को एडमिरल यूस्टाचियस डी लैनॉय के नेतृत्व में डच ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना को हराया। डच हार से कभी उबर नहीं पाए और यह लड़ाई भारत में डच प्रभाव के अंत की शुरुआत थी।[1][2][3]