क्रिकेट के खेल में क्षेत्ररक्षण वह कला या विधा है जहां क्षेत्ररक्षक बल्लेबाज द्वारा मारी गयी गेंद को रन बचाने के लिये रोकता है, बल्लेबाज को आउट करने के लिये उसे हवा में कैच करता है अथतवा बल्लेबाज को रन आउट करने का प्रयास करता है। 'क्षेत्ररक्षक अपने शरीर के किसी भी भाग से गेंद रोक सकता है। परन्तु यदि वह जानबूझ कर टोपी या अन्य किसी वस्तु का प्रयोग गेंद रोकने के लिये करे तो विरोधी टीम को 5 रन पेनल्टी के रूप में देने पड़ते हैं। शर्त केवल यह है कि बल्लेबाज ने गेंद को बल्ले से खेलने का प्रयास किया हो ना कि उसे जाने देने का. क्षेत्ररक्षण के अधिकतर नियम क्रिकेट कानूनों की धारा 41 में परिभाषित हैं।
टेस्ट क्रिकेट के शुरू में क्षेत्ररक्षण पर अधिक ध्यान नहीं दिया जाता था, इसलिये अधिकतर क्षेत्ररक्षक साधारण हुआ करते थे। [तथ्य वांछित] एक दिवसीय क्रिकेट के आने से इस कला में बहुत सुधार हुआ क्योंकि रन बचाना अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हो गया था। एक उत्तम क्षेत्ररक्षक टीम एक दिन में 30 रन तक बचा सकती है। [तथ्य वांछित]
टीम के 11 क्षेत्ररक्षकों में से एक विकेट कीपर होता है और एक गेंदबाज, तथा अन्य 9 कहीं भी रक्षण कर सकते हैं। कौन से स्थान भरे होंगे कौन से रिक्त ये कप्तान पर निर्भर करता है। अपने सहयोगियों से परामर्श करके कप्तान कभी भी रक्षण स्थान बदल सकता है। केवल गेंद फ़ेंके जाने की प्रक्रिया के दौरान यह निषेध है।
क्रिकेट में कई क्षेत्ररक्षक स्थान नियत हैं, जिनमें से कुछ का प्रयोग सामान्य तौर पर किया जाता है जबकि अन्य का प्रयोग कभी-कभार ही किया जाता है। परन्तु यह कोई पत्थर की लकीर नहीं है तथा इनके इतर भी अन्य स्थान होते हैं। अधिकतर क्षेत्ररक्षक स्थान बल्लेबाज को केन्द्र मान कर नामित किये गये हैं। उदाहरण के लिये कवर, मिड विकेट तथा लेग जैसे शब्द रक्षक से बल्लेबाज की दिशा और कोण को बयान करते हैं। साथ ही इनके पूर्व लगने वाले शब्द जैसे लॉन्ग, सिली, डीप तथा शार्ट बल्लेबाज से रक्षक की दूरी बताते हैं। बैकवर्ड तथा फ़ार्वर्ड शब्दों का प्रयोग कर रक्षण स्थानों को और बेहतर प्रकार से नियत किया जाता है।
चित्र में आम प्रयोग की रक्षण अवस्थाओं को चिन्हित किया गया है (बल्लेबाज दाहिने हाथ का हो तो) उसके बायीं ओर की दिशा लेग साईड या ऑन साईड कहलाती है तथा दायीं ओर ऑफ साईड . बायें हाथ के बल्लेबाज के लिये यह व्यवस्था इसके बिल्कुल विपरीत हो जाती है।
कुछ रक्षण स्थान उग्र रक्षण के लिये जाने जाते हैं, जैसे कि स्लिप (1, 2, 3 या अधिक संख्या में, कीपर की ओर से गिनती). स्लिप का ध्येय बल्लेबाज के बल्ले के कोने से निकले ’एज’ को लपकना होता है। अन्य उग्र रक्षण स्थान हैं फ्लाई स्लिप, गली, लेग गली, लेग स्लिप तथा शार्ट व सिली स्थान. इसके अतिरिक्त बैट पैड वह रक्षण अवस्था है जहां गेंद बैट और फिर पैड से लग कर एक मीटर के अन्दर ही गिरती है और वहां खड़ा रक्षक उसे लपक लेता है। ये सभी अवस्थायें रन रोकने की नहीं बल्कि आउट करने का ध्येय रखतीं हैं।
अन्य प्रमुख क्षेत्ररक्षण स्थानों में शामिल हैं:
इसके अतिरिक्त ज़रूरी है कि गेंदबाज गेंद फेंकते हुये पिच पर ना आये. आम तौर पर गेंदबाज सिली मिड ऑफ या सिली मिड ऑन तक आ जाते हैं।
इसके अलावा कमेंटेटरों को अन्य शब्द प्रयोग करते भी सुना गया है, जैसे सामान्य गली से थोड़ा वाइड, अथवा मिड ऑफ से थोड़ा डीप, उसे थोड़ा शार्ट आना चाहिए इत्यादि.
क्षेत्ररक्षक को कहीं भी खड़ा किया जा सकता है, जब तक वह निम्न नियमों क पालन करे. गेंद फेंके जाने के समय:
इन नियमों में से किसी का भी उल्लन्घन होने पर अम्पायर नो बोल करार दे सकता है। गेंदबाज के हाथ से स्ट्राइकर तक गेंद पहुंचने तक कोई खिलाड़ी हिलना नहीं चाहिये, अन्यथा डेड बाल दिया जाता है। बल्लेबाज के निकट खड़े खिलाड़ी भी लेश मात्र ही हिल सकते हैं। हां सीमा पर खड़े खिलाड़ी गेंद फेंके जाते समय पिच की ओर आ सकते हैं, परन्तु सीमा की ओर जाना निषेध है।
विकेट कीपर व गेंदबाज के अलावा अन्य 9 रक्षक कहां तैनात होंगे यह कप्तान के लिये एक अत्यंत महत्वपूर्ण सामरिक निर्णय होता है।
एक कप्तान के लिये अत्यंत ज़रूरी है कि वह आक्रमण व रक्षा दोनों के बीच सटीक तालमेल बना सके. आक्रामक क्षेत्ररक्षण में रक्षक बल्लेबाज के निकट खड़े किये जाते हैं ताकि अधिक कैच पकड़े जा सकें. उदाहरण के लिये स्लिप व शार्ट लेग आक्रामक क्षेत्ररक्षण स्थान हैं।
रक्षात्मक नीति में रक्षक दूर सीमा पर खड़े रह कर रन बचाने का प्रयास करते हैं।
कई परिस्थितियां क्षेत्ररक्षण को प्रभावित करती हैं, जैसे मैच की स्थिति, गेंदबाज का कौशल, बल्लेबाज नया है या जम चुका है, गेंद की स्थिति, पिच की हालत, रोशनी व खेल समाप्त होने में बाकी समय.
कुछ सामान्य सिद्धांत:
9 खिलाडियों को कहां क्षेत्ररक्षण कराना है यह कप्तान के लिये एक महत्त्वपूर्ण निर्णय होता है। यह संख्या दोनों ओर एक सी नहीं हो सकती.
कमेन्ट्री में जब ’5-4 फ़ील्ड ’ कहा जाता है तो उसका अर्थ होता है 5 क्षेत्ररक्षक ऑफ की तरफ़ और 4 लेग की ओर.
आम तौर पर ऑफ की ओर अधिक क्षेत्ररक्षक रखे जाते हैं क्योंकि अधिकतर गेंदबाज ऑफ स्टम्प पर ही गेंद करते हैं और वहीं ज़्यादा शाट जाते हैं।
प्रचुर आक्रमण की अवस्था में 3 से 4 स्लिप व 2 गली तक हो सकते हैं। यानी ऑफ पर 9 मे से 6 रक्षक. साथ रहते हैं मिड ऑन, मिड विकेट तथा फ़ाइन लेग, यानी 7-2 की फ़ील्ड. लेग की ओर लगे दोनों रक्षक अधिकतर खाली रहते हैं क्योंकि गेंदबाजी ऑफ स्टंप पर केन्द्रित रहती है और अधिकतर शाट भी उसी ओर जाते हैं। यह आक्रमण संरचना बल्लेबाज को लेग की ओर खाली स्थानो पर शाट मारने को बाध्य करती है जिससे उसके आउट होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
जैसे जैसे मैच आगे जाता है, संरचना फ़िर 5-4 या 6-4 की हो सकती है। तथा रक्षक स्लिप व गली त्याग कर सुदूर सीमा पर जा सकते हैं।
दूसरी ओर लेग स्पिनर अधिकतर 4-5 की संरचनासे काम करते हैं क्योंकि उनका आक्रमण लेग स्टम्प पर केन्द्रित होता है। इसके द्वारा वह लेग दिशा में कैच, टांगों के पीछे से आउट करने व स्टम्प आउट का प्रयास करते हैं।
कुछ खास मौकों पर 2-7 की संरचना का प्रयोग किया जाता है। सभी गेंदबाज लेग स्टम्प पर गेंद रखते हैं तथा रन बनाने के लिए बल्लेबाज को खतरा उठाना पड़ता है। लेग स्टंप के बाहर आकर शॉट खेलें पर स्टंप पूरे दिखने लगते हैं। रिवर्स स्वीप या पुल तथा हाथ बदल कर खेलना भी काफी खतरनाक होता है।
इसके विपरीत 7-2 की संरचना में आक्रमण ऑफ स्टम्प पर रखा जाता है। बल्लेबाज या तो गेंद जाने देता है या लेग दिशा में शाट खेलने के प्रयास में खतरा मोल ले लेता है।
एक अन्य आक्रामक संरचना में लेग की ओर सीमा पर रक्षक तैनात कर बाउन्सर फेंके जाते हैं। हुक या पुल करने के प्रयास में बल्लेबाज कैच दे बैठता है। धीमी गति गेंद के लिये इसमें रक्षक 10-15 मीटर आगे खड़े किये जाते हैं ताकि लेग ग्लांस तथा स्वीप शॉट रोके जा सकें.
विकेट कीपर को छोड़कर क्षेत्ररक्षण करने वाले पक्ष का कोई अन्य सदस्य दस्ताने या एक्सटर्नल लेग गार्ड नहीं पहन सकता. हालांकि क्षेत्ररक्षक (विशेषकर बल्ले के नजदीक क्षेत्ररक्षण करने वाले खिलाड़ी) अपने कपड़ों के भीतर शिन प्रोटेक्टर, ग्रॉइन प्रोटेक्टर (बॉक्स) और चेस्ट प्रोटेक्टर पहन सकते हैं। विकेट कीपर के अतिरिक्त कोई अन्य क्षेत्ररक्षक हाथ या उंगलियों की सुरक्षा वाले उपकरण तभी पहन सकते हैं जब अम्पायर इसके लिए सहमत हो.
क्षेत्ररक्षकों को हेलमेट और फेसगार्ड पहनने की अनुमति है। इन्हें सामान्यत: सिली प्वाइंट या सिली मिड विकेट की स्थिति में पहना जाता है, जहां क्षेत्ररक्षक को बल्लेबाज के नजदीक होने की वजह से इतना समय नहीं मिल पाता कि वह सीधे सिर पर लगने वाले गेंद से बच सके. हेलमेट या लिड पहनकर खेलने में होनेवाली असुविधा की वजह से यह कार्य प्राय: टीम के सबसे जूनियर सदस्य को सौंपा जाता है। अगर हेलमेट का उपयोग सिर्फ एक तरफ से क्षेत्ररक्षण करने के लिए किया जा रहा हो तो जब यह उपयोग में नहीं हो, उस समय इसे विकेटकीपर के पीछे रख दिया जाएगा. मैदान के एक छोटे से हिस्से को पिच के भीतर अस्थायी भंडारण के उपयोग के लिए बने केविटी के रूप में तैयार किया जाता है जो लगभग 1 मीटर × 1 मीटर × 1 मीटर के आकार का होता है और घास से ढका होता है। यह क्षेत्ररक्षण करने वाले टीम के हेलमेट, शिन पैड या ड्रिंक रखने के लिए उपयोग में आता है। जिस समय क्षेत्ररक्षक ने हेडगियर नहीं पहन रखा हो, उस समय हेडगियर से गेंद लगने पर बल्लेबाजी करने वाले पक्ष को को 5 रनों की पेनाल्टी दी जाती है। उस स्थिति में बल्लेबाजी करनेवाली टीम को इस पेनाल्टी से छूट मिलती है, जब किसी बल्लेबाज को गेंद छोड़ते या उससे बचते समय उस गेंद से चोट लग जाती है। 19वीं शताब्दी में हैट पहने हुए क्षेत्ररक्षकों द्वारा कैच लेने के लिए किए जा रहे पक्षपातपूर्ण हरकतों को रोकने के लिए यह नियम बनाया गया था।
चूंकि क्रिकेट के गेंद ठोस होते हैं और बल्ले से मारने पर इनकी गति बहुत तेज हो सकती है, इससे लगने वाले चोट से बचने के लिए सुरक्षात्मक उपकरण पहनने की सलाह दी जाती है। क्रिकेट के खेल में चोट की वजह से कुछ खिलाड़ियों की मौत हो चुकी है,[2] लेकिन ये मामले विरले ही होते हैं।
कई खिलाड़ी किसी एक स्थान पर क्षेत्ररक्षण में पारंगत होते हैं और वे प्रायः वहीँ पाए जाते हैं:
परंतु अन्त में यह याद रहना चाहिये की कोई भी खिलाड़ी केवल क्षेत्ररक्षण के कारण टीम में नहीं रखा जाता. चयन का कारण तो बल्लेबाजी या गेंदबाजी कला ही होती है। यहां तक कि कीपर से भी रन बनाने की अपेक्षा की जाती है।
आरम्भ से ही क्रिकेट की गेंद को फेंकने की स्पर्धायें होती रही हैं। विज़्डन में लिखा है कि 1882 में राबर्ट पर्चिवाल ने डर्हम सैन्ड्ज़ रेस कोर्स पर 140 गज 2 फ़ुट (128. 7 मीटर) गेंद फेंकी थी। पूर्व एसेक्स हरफ़नमौला इयन पौन्ट ने 1981 में केप टाउन में 138 गज (126.19 मीटर) गेंद फेंकी. कहा जाता है कि सोवियत भाला फेंक खिलाड़ी जनुस लुसिस जिन्होनें 1968 में ओलम्पिक स्वर्ण पदक जीता था, उन्होंने 150 गज गेंद फेंकी, मगर यह अपुश्ट है।
बल्लेबाजी व गेंदबाजी की तरह क्षेत्ररक्षण में भी प्रशिक्षक का चलन हो गया है। वर्तमान दौर के कुछ नामी प्रशिक्षक हैं: