खंडा चिह्न (पंजाबी: ਖੰਡਾ) एक सिख धार्मिक, सांस्कृतिक, एवं ऐतिहासिक चिह्न है जो कई सिख, धर्म एव वष्वदर्षण, सिद्धांतों को ज़ाहिर रूप से दर्शाता है। यह "देगो-तेगो-फ़तेह" के सिद्धान्त का प्रतीक है एवं इसे चिन्हात्मक रूप में पेश करता है। यह सिखों का फ़ौजी निशान भी है, विशिष्ट रूप से, इसे निशान साहब(सिखों का धार्मिक ध्वज) के केंद्र में देखा जा सकता है। इसमें चार शस्त्र अंकित होते हैं: एक खंडा, दो किर्पन और एक चक्र। खंडा की एक वेशेष पहचान यह भी है कि वह धार्मिक सिद्धांतों के साथ-साथ शक्ती एवं सैन्य-ताक़त का भी प्रतीक है। इसी लिये इसे खाल्सा, सिख मिस्लें एवं सिख साम्राज्य के सैन्यध्वजों में भी इसे प्रदर्षित किया जाता था। एक दोधारी खंडे (तलवार) को निशान साहब ध्वज में ध्वजडंड के कलश (ध्वजकलश) की तरह भी इस्तमाल किया जाता है।[1]
खंडा निशान तीन चिह्नों का संयोजन है:
इस चिह्न को अकसर व्यक्तिगत वाहनों पर, कपड़ों पर और अन्य व्यक्तिगत वस्तुओं पर अंकित किया जाता है, एवं इसे प्रचलित रूप से पेंडन्ट के रूप में भी पहना जाता है। खंडा चिह्न को अक्सर लोग ईरान के ध्वज पर बने निशान से उलझा देते हैं, जबकी इन चिह्नों का आपस् में कोई मेल नहीं है। यूनिकोड लीप्यावली में स्थानांक U+262C(☬) पर खंडा चिह्न मौजूद है।
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