खट्टा मीठा | |
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फिल्म का पोस्टर | |
निर्देशक | प्रियदर्शन |
लेखक |
प्रियदर्शन जय मास्टर (संवाद) |
निर्माता | केप ऑफ गुड फिल्म्स |
अभिनेता | |
संगीतकार | प्रीतम |
प्रदर्शन तिथियाँ |
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देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
खट्टा मीठा 2010 की हिन्दी फिल्म है। इसे प्रियदर्शन द्वारा लिखा गया एवं निर्देशित किया गया है। इसमें अक्षय कुमार और तृषा कृष्णन (अपनी पहली हिन्दी फ़िल्म में) ने मुख्य भूमिकाएँ अदा की।[1] जबकि कुलभूषण खरबंदा, राजपाल यादव, असरानी, जॉनी लीवर, अरुणा ईरानी, उर्वशी शर्मा, मकरंद देशपांडे, मनोज जोशी, मिलिंद गुनाजी और नीरज वोरा सहायक भूमिकाओं में हैं।[2]
यह मलयालम फिल्म वेल्लानाकालुडे नाडु की रीमेक है। उसका निर्देशन भी प्रियदर्शन ने किया है। इसे 23 जुलाई 2010 को जारी किया गया था। इसे समीक्षकों से मिश्रित समीक्षाएँ मिलीं।
सचिन टिचकुले (अक्षय कुमार) संघर्षशील मराठी ठेकेदार है जिसके सपने बड़े हैं। लेकिन उसके सपने सच होने की कोई संभावना नहीं है क्योंकि उसके पास नौकरशाही को रिश्वत देने के लिए कभी पैसे नहीं होते। उसके परिवार ने उस पर यकीन करना छोड़ दिया है। मामले को बदतर बनाने के लिए, नई नगर आयुक्त उसकी पूर्व प्रेमिका गहना गणपुले (तृषा कृष्णन) निकलती है। वह अब उसके भ्रष्ट तरीकों के कारण उससे नफरत करती है। जब सचिन गहना से उसके कार्यालय में मिलता है, तो पता चलता है कि सचिन एक ईमानदार कॉलेज छात्र था। वह गांधीवाद के सिद्धांतों का प्रबल अनुयायी था। उसके बहनोई त्रिगुण फाटक (मनोज जोशी), सुहास विचारे (मिलिंद गुनाजी) और उसके बड़े भाई हरीश टिचकुले सभी एक पुल के ढहने के लिए जिम्मेदार थे। इसके परिणामस्वरूप कई मौतें हुईं और उन्हें संजय राणा नामक एक राजनेता ने मदद की। दुर्घटना का दोष वह अपने ड्राइवर विश्वास राव पर डलवा लेते हैं। वे बाद में उसे मार देते हैं।
इस बीच, संजय की वासना भरी नज़र सचिन की बहन अंजलि (उर्वशी शर्मा) पर पड़ती है। सचिन उसे अंजलि से दूर रहने की चेतावनी देता है और उसे थप्पड़ मारता है। इस बीच, आज़ाद भगत (मकरंद देशपांडे) नामक एक पत्रकार न्याय चाहता है क्योंकि उस दुर्घटना में उसका परिवार मारा गया था। फिर सचिन की जानकारी के बिना अंजलि की सगाई संजय से हो जाती है। जब वह अपने पिता रमाकांत टिचकुले (कुलभूषण खरबंदा) से पूछता है कि कैसे उसकी जानकारी के बिना एक बुरे आदमी से शादी तय कर दी गई है। तो वह सचिन को फटकार लगाते हुए कहते हैं कि उसे कुछ भी कहने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि उसके पास अपनी बहन की शादी करने के लिए पैसे नहीं हैं। विदाई के बाद सचिन को पता चलता है कि अंजलि उससे संपर्क करने की कोशिश कर रही है। जब वह एक रात उनके घर जाता है, तो गार्ड उसे कहता है कि वे लोग बाहर गए हैं। संजय के घर से लौटते समय, वह आज़ाद को चुपके से बाहर निकलते हुए देखता है।
इसी बीच सचिन द्वारा गहना को रिश्वत लेने के मामले में फंसा दिया जाता है। इस कारण वह कलाई काट के आत्महत्या करने का प्रयास करती है। सचिन पश्चाताप करके अपने पिछले सिद्धांतों के साथ अपने मोहभंग के बारे में सच्चाई बताता है। वह गहना के साथ-साथ उसके बड़े भाई माधव (नीरज वोरा) के साथ सुलह कर लेता है। कुछ दिनों बाद, उसे पता चलता है कि अंजलि की गैस विस्फोट में मृत्यु हो गई है। सचिन को शक होता है और उसकी बहन की मौत में कोई साजिश है। इसके बाद वह आज़ाद से मिलता है। वो बताता है कि कैसे उसने संजय के घर से मजबूत सबूत हासिल किए हैं जो पुल के ढहने में शामिल लोगों को सलाखों के पीछे डालने में मदद करेंगे। गहना और आज़ाद धोखेबाजों के खिलाफ़ केस दर्ज करते हैं। संजय को इस बारे में पता चल जाता है और वह गहना का दूसरे शहर में तबादला करवा देता है। बाद में नकाबपोश लोग आज़ाद को कोर्ट जाते समय मार देते हैं। सचिन गंभीर रूप से घायल आज़ाद को इलाज के लिए अस्पताल ले जाता है। अस्पताल में, आज़ाद सचिन की बाहों में मर रहा होता है। वह बताता है कि जब वह सबूत चुरा रहा था, तो उसने देखा था कि संजय के दोस्तों ने अंजलि का बलात्कार किया था। फिर या तो उसने आत्महत्या कर ली या उसे संजय और उसके दोस्तों ने मार दिया।
सचिन संजय से बदला लेने की कसम खाता है। वह आज़ाद के घर पर दस्तावेज़ों की तलाश करने जाता है। लेकिन वह वहां नहीं होते। वह सबूत संजय के पास होते हैं और वह उन्हें कहीं और छिपाने का फैसला करता है। सचिन संजय का पीछा करता है और उसे सबूतों से भरा बैग लेकर भागते हुए देखता है। वहां संजय और सचिन के बीच लड़ाई होती है। फिर एक ट्रक से कुचलकर संजय की मौत हो जाती है। सचिन सफलतापूर्वक सबूत वापस पा लेता है। त्रिगुण, हरीश और सुहास को गिरफ्तार कर लिया जाता है। पूरा परिवार, खास तौर पर सचिन की भाभियाँ, उसे नीचा दिखाने लगती हैं और परिवार के नाम को कलंकित करने के लिए उसे दोषी ठहराती हैं। सचिन फिर तर्क देता है कि उनके पति अभी भी सलाखों के पीछे जीवित हैं जहाँ पत्नियाँ उन्हें देख सकती हैं। जबकि पुल ढहने से मरने वाले लोग हमेशा के लिए चले गए हैं। उसने अपनी बहन अंजलि भी खो दी। यह सोचकर कि दूसरे लोग सोचते हैं कि उसने परिवार की हवेली हड़पने के लिए ऐसा किया है। सचिन वहां से जाने का फैसला करता है। रमाकांत, उसकी ईमानदारी को महसूस करते हुए उसे रोकते हैं और कहते हैं कि उसे उस पर गर्व है। गहना उसे बताती है कि वह उसका इंतजार करते हुए कुंवारी रह गई और सचिन के लिए अपने प्यार को कबूल करती है। वे शादी करने का फैसला करते हैं।
सभी प्रीतम द्वारा संगीतबद्ध।
क्र॰ | शीर्षक | गीतकार | गायक | अवधि |
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1. | "नाना ची टांग" | इरशाद कामिल | कुणाल गांजावाला | 4:58 |
2. | "सजदे" | इरशाद कामिल | केके, सुनिधि चौहान | 5:05 |
3. | "बुल शिट" (संगीत: शानी) | शहज़ाद रॉय | शहज़ाद रॉय | 3:53 |
4. | "आइला रे आइला" | नितिन रायकवार | दलेर मेंहदी, कल्पना पटवारी | 4:20 |
5. | "नाना ची टांग" (रिमिक्स) | इरशाद कामिल | कुणाल गांजावाला, किरन कामथ | 4:02 |
6. | "सजदे" (रिमिक्स) | इरशाद कामिल | केके, हर्षदीप कौर | 4:35 |
7. | "आइला रे आइला" (रिमिक्स) | नितिन रायकवार | दलेर मेंहदी, कल्पना पटवारी, किरन कामथ | 3:31 |
वर्ष | नामित कार्य | पुरस्कार | परिणाम |
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2011 | तृषा कृष्णन | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पर्दापण पुरस्कार — महिला | नामित |