ख़ाचीतरख़ान (तातार: Хаҗитархан, अंग्रेज़ी: Xacitarxan) या हाजी तरख़ान (Haji Tarkhan) दक्षिण-पूर्वी यूरोप में वोल्गा नदी के किनारे बसा एक मध्यकालीन शहर था जो आधुनिक आस्त्राख़ान शहर से १२ किमी उत्तर में स्थित था। इस नगर का ज़िक्र ऐतिहासिक वर्णनों में सबसे पहले सन् १३३३ ईस्वी में मिलता है और १३वीं और १४वीं शताब्दियों में यह सुनहरे उर्दू ख़ानत का एक अहम व्यापारिक और राजनैतिक केंद्र था। १३९५ में तैमूर में इसे जलाकर नष्ट कर दिया लेकिन इसका पुनर्निर्माण हुआ और १४५९ में यह आस्त्राख़ान ख़ानत की राजधानी बना। १५४७ में इसपर क्राइमियाई ख़ानत के साहिब गिरेय (Sahib Giray) नामक ख़ान का क़ब्ज़ा हो गया। १५५६ में इसे रूस के त्सार इवान भयानक (Ivan the Terrible) ने हमला करके जला डाला। अब इस से कुछ दूर पर आधुनिक रूस का आस्त्राख़ान शहर है।[1]
'ख़ाचीतरख़ान' में 'ख़' अक्षर के उच्चारण पर ध्यान दें क्योंकि यह बिना बिन्दु वाले 'ख' से ज़रा भिन्न है। इसका उच्चारण 'ख़राब' और 'ख़रीद' के 'ख़' से मिलता है। तातार भाषा और रूसी भाषा में कभी-कभी इसे 'ख़ाझ़ीतरख़ान' भी उच्चारित किया जाता है। इसमें बिंदु वाले 'झ़' के उच्चारण पर भी ध्यान दें, क्योंकि यह 'झ', 'ज' और 'ज़' से अलग है और अंग्रेज़ी के 'टेलिविझ़न' (television) और 'मेझ़र' (measure) शब्दों में आने वाली 'झ़' की ध्वनि है।